Monday, 6 November 2017

Shree Ganapati Atharvashirsha

।।श्री गणपति अथर्वशीर्ष।।

ॐ नमस्ते गणपतये।
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि
त्वमेव केवलं कर्ताऽसि
त्वमेव केवलं धर्ताऽसि
त्वमेव केवलं हर्ताऽसि
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि
त्व साक्षादात्माऽसि नित्यम्।।1।।

ऋतं वच्मि। सत्यं वच्मि।।2।।
अव त्व मां। अव वक्तारं।
अव श्रोतारं। अव दातारं।
अव धातारं। अवानूचानमव शिष्यं।
अव पश्चातात। अव पुरस्तात।
अवोत्तरात्तात। अव दक्षिणात्तात्।
अवचोर्ध्वात्तात्।। अवाधरात्तात्।।
सर्वतो मां पाहि-पाहि समंतात्।।3।।

त्वं वाङ्‍मयस्त्वं चिन्मय:।
त्वमानंदमसयस्त्वं ब्रह्ममय:।
त्वं सच्चिदानंदाद्वितीयोऽसि।
त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि।
त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि।।4।।

सर्वं जगदिदं त्वत्तो जायते।
सर्वं जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति।
सर्वं जगदिदं त्वयि लयमेष्यति।
सर्वं जगदिदं त्वयि प्रत्येति।
त्वं भूमिरापोऽनलोऽनिलो नभ:।
त्वं चत्वारिवाक्पदानि।।5।।

त्वं गुणत्रयातीत: त्वमवस्थात्रयातीत:।
त्वं देहत्रयातीत:। त्वं कालत्रयातीत:।
त्वं मूलाधारस्थितोऽसि नित्यं।
त्वं शक्तित्रयात्मक:।
त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यं।
त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं
रूद्रस्त्वं इंद्रस्त्वं अग्निस्त्वं
वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चंद्रमास्त्वं
ब्रह्मभूर्भुव:स्वरोम्।।6।।

गणादि पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरं।
अनुस्वार: परतर:। अर्धेन्दुलसितं।
तारेण ऋद्धं। एतत्तव मनुस्वरूपं।
गकार: पूर्वरूपं। अकारो मध्यमरूपं।
अनुस्वारश्चान्त्यरूपं। बिन्दुरूत्तररूपं।
नाद: संधानं। सं हितासंधि:
सैषा गणेश विद्या। गणकऋषि:
निचृद्गायत्रीच्छंद:। गणपतिर्देवता।
ॐ गं गणपतये नम:।।7।।

एकदंताय विद्‍महे।
वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दंती प्रचोदयात।।8।।

एकदंतं चतुर्हस्तं पाशमंकुशधारिणम्।
रदं च वरदं हस्तैर्विभ्राणं मूषकध्वजम्।
रक्तं लंबोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम्।
रक्तगंधाऽनुलिप्तांगं रक्तपुष्पै: सुपुजितम्।।
भक्तानुकंपिनं देवं जगत्कारणमच्युतम्।
आविर्भूतं च सृष्टयादौ प्रकृ‍ते पुरुषात्परम्।

एवं ध्यायति यो नित्यं स योगी योगिनां वर:।।9।।
नमो व्रातपतये। नमो गणपतये।
नम: प्रमथपतये।
नमस्तेऽस्तु लंबोदरायैकदंताय।
विघ्ननाशिने शिवसुताय।

श्रीवरदमूर्तये नमो नम:।।10।।
एतदथर्वशीर्ष योऽधीते।
स ब्रह्मभूयाय कल्पते।
स सर्व विघ्नैर्नबाध्यते।
स सर्वत: सुखमेधते।

स पञ्चमहापापात्प्रमुच्यते।।11।।
सायमधीयानो दिवसकृतं पापं नाशयति।
प्रातरधीयानो रात्रिकृतं पापं नाशयति।
सायंप्रात: प्रयुंजानोऽपापो भवति।
सर्वत्राधीयानोऽपविघ्नो भवति।
धर्मार्थकाममोक्षं च विंदति।।12।।

इदमथर्वशीर्षमशिष्याय न देयम्।
यो यदि मोहाद्‍दास्यति स पापीयान् भवति।
सहस्रावर्तनात् यं यं काममधीते तं तमनेन साधयेत्।13।।

अनेन गणपतिमभिषिंचति
स वाग्मी भवति
चतुर्थ्यामनश्र्नन जपति
स विद्यावान भवति।
इत्यथर्वणवाक्यं।
ब्रह्माद्यावरणं विद्यात्
न बिभेति कदाचनेति।।14।।

यो दूर्वांकुरैंर्यजति
स वैश्रवणोपमो भवति।
यो लाजैर्यजति स यशोवान भवति
स मेधावान भवति।
यो मोदकसहस्रेण यजति
स वाञ्छित फलमवाप्रोति।
य: साज्यसमिद्भिर्यजति
स सर्वं लभते स सर्वं लभते।।15।।

अष्टौ ब्राह्मणान् सम्यग्ग्राहयित्वा
सूर्यवर्चस्वी भवति।
सूर्यग्रहे महानद्यां प्रतिमासंनिधौ
वा जप्त्वा सिद्धमंत्रों भवति।
महाविघ्नात्प्रमुच्यते।
महादोषात्प्रमुच्यते।
महापापात् प्रमुच्यते।
स सर्वविद्भवति से सर्वविद्भवति।
य एवं वेद इत्युपनिषद्‍।।16।।

*📜ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय📜*
       छाया चोक्की रोनक कोम्प्लेक्ष
               पोरबंदर-गुजरात
               9727972119
         शास्त्री  एच एच राजगुरू
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Thursday, 26 October 2017

।। शनि महाराज धन राशि मे प्रवेश ।।

।। शनि ग्रह धन राशि मे प्रवेश ।।

शनिग्रह का गुरुवार दिनांक- २६/१०/२०१७ से राशि परिवर्तन होगा।

ज्योतिषियों के मुताबिक इस बदलाव से कई राशियों के जातकों को शनि की साढ़े साती से मुक्ति मिलेगी तो कुछ जातकों को परेशानी भी रहेगी।

इससे सात राशियों के जातकों को फायदा होगा।

ज्योतिषविदों के अनुसार २६ अक्टूबर को दोपहर ०३:१८ बजे से शनि अपनी सम राशि धनु में प्रवेश करेंगे।

शत्रु राशि वृश्चिक को छोड़कर सम राशि में शनि का यह प्रवेश काफी उठापटक वाला रहेगा।
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दो साल तीन माह यानी २४ जनवरी २०२० तक शनि धनु राशि में चलायमान रहेंगे, हालांकि इस बीच में धनु राशि में ही शनि दो बार वक्रीय होंगे और दो बार मार्गीय होंगे।

शनि का राशि परिवर्तन मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, मीन और कुंभ राशि के जातकों के लिए लाभप्रद रहेगा।
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वहीं मकर राशि पर शनि की साढ़े साती का प्रभाव आरंभ हो जाएगा।

वृषभ और कन्या राशि के जातकों के लिए शनि की ढैया से कष्ट रहेगा।

वृश्चिक, धनु और मकर राशियों वाले जातकों पर शनि की साढ़े साती के कारण फिलहाल कष्ट की स्थितियां रहेंगी।

राशि परिवर्तन मकर राशि के लिए काफी परेशानियों भरा रहेगा, क्योंकि मकर राशि के जातकों के लिए शनि की साढ़े साती का प्रभाव आरंभ हो जाएगा।

वृषभ और कन्या राशि के जातकों के लिए ढैया का प्रभाव लघु कल्याणकारी रहेगा, जिससे आजीविका में परेशानी उत्पन्न होगी।
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*वृषभ राशि - ब,व,उ,*

*कन्या राशि - प,ठ,ण,*

*वृश्चिक राशि - न,य,*

*धन राशि - भ,ध,फ,ढ,* 

*मकर राशि - ख,ज,*

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*राशि अनुसार - - - शनि स्थान*

मेष राशि - - - ९ स्थान शनि

वृषभ राशि - - - ८ स्थान शनि

मिथुन राशि - - - ७ स्थान शनि

कर्क राशि - - - ६ स्थान शनि

सिंह राशि - - - ५ स्थान शनि

कन्या राशि - - - ४ स्थान शनि

तुला राशि - - - ३ स्थान शनि

वृश्चिक राशि - - - २ स्थान शनि

धन राशि - - - १ स्थान शनि

मकर राशि - - - १२ स्थान शनि

कुंभ राशि - - - ११ स्थान शनि

मीन राशि - - - १० स्थान शनि
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सुचना 📵 यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विशेष रूप से माहिती के लिए कार्यालय का संपर्क करें।

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Monday, 16 October 2017

ज्योतिष वास्तु एवं धार्मिकपुजा

श्री ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय
*📜Grahraj🌐Astrology📜* *Rg-no-0000*
Dt.

*१.जातक का पुरानाम* ....

*२.पिताजी का नाम*...

*३.माता का नाम* .......

*४.स्त्री / पुरुष*.....

*५.जन्म दिनांक -* ००/००/००००

*६.जन्म समय -* ००/००/०० am - pm

*७.जन्म स्थान -* ......

*८. संपर्क सूत्र -*

विशेष ज्योतिष-वास्तु- एवं-धार्मिक पुजा माहिती हेतु कार्यालय पर संपर्क करें।
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समय - १०:३०am ०७:३०pm तक

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Tuesday, 10 October 2017

दिपावली विशेष मुहूर्त - २०१७

����॥��"श्री हरि:परमानंदम्��॥����

      *॥दिपावली विशेष मुहूर्त २०१७ पंचांग॥*

       *॥ ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय ॥*
                  एच एच राजगुरु
           -----------------------

*॥चोपड़ा खरिदी मुहूर्त॥*
संवत-2073 आश्विन मास कृष्ण पक्ष -9 तिथि
दिनांक-13/10/2017- शुक्रवार

समय -सुबह 06:44 से 08:39 सायं 
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*��विशेष समय तालिका चोघडीया के अनुसार��*
*सुबह 06:44 से 08:10 तक
*सुबह 08:10 से 11:06 दोपहर तक
*दोपहर 12:33 से 14:00 तक
*सायं संध्या 16:55 से 18:22 तक
*सायं 21:28 से 23:00
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*॥ग्रह होरा अनुसार मुहूर्त॥*
सुबह- 06:44 से 09:38 तक
सुबह- 10:36 से 11:35 दोपहर तक
दोपहर 01:31 से 04:26 संध्या तक
संध्या काल 05:24 से 06:20 तक
सायं काल - 08:26 से 11:31
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नोध ~उपर बताएँ गए समय तालिका के अनुसार नुतन वषॅ के लिए पुस्तक, डायरी,रजिस्ट्रर, और वैपारिक उपयोगी एवं नया साल मे निजि जीवन उपयोगी पुस्तक खरिदी के लिए शुभ मुहूर्त है ।
||-ग्रहराज एस्ट्रोलोझि एच एच राजगुरु||
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    *��॥धनतेरस॥��*

संवत- 2073 आश्विन मास कृष्ण पक्ष - 13 तिथि
दिनांक - 17/10/2017- मंगलवार
रात्रि १२:०९ तक त्रयोदशी है।
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*धनतेरस-धन त्रयोदेशी
*धन्वंतरी जयंती 
*दीपदान पुजा
*धन लक्ष्मी पुजा
*श्री यंत्र सिद्ध पुजा
*गादि बिछौना 
*औषधियों सामग्री की पुजा
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*॥शुभ समयावधि चोघडीया अनुसार मुहूर्त ॥*
दिनांक-17/10/2017- मंगलवार
सुबह 12:32 से 13:59तक
दोपहर 15:26 से 16:53 तक
संध्या काल 19:53 से 21:26 तक
सायं  22:49 से 24:09तक
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*॥ शुभ मुहूर्त ग्रह होरा अनुसार समय तालिका ॥*
सुबह 12:32 से 13:30 तक
दोपहर 15:25 से 18:19 तक
सायं संध्या 19:21 से 20:23 तक
सायं काल 22:28 से 24:09
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उपर बताएँ गए समय मे- श्री लक्ष्मी पुजा, श्री साधना,आयुर्वेद की उपासना एवं दिप दान और मांगल्य पुजा करना श्वेष्ठ एवं उत्तम है
॥-ग्रहराज एस्ट्रोलोझि एच एच राजगुरु॥
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   *॥▪कालि चौदश▪॥*

संवत 2073 - आश्विन मास कृष्ण पक्ष 14 तिथि
दिनांक-18/10/2017- बुधवार
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*कालि चौदश 
*नरक चतुदॅशी
*रुप चतुदॅशी
*श्री हनुमान पुजन
*काल भैरव पुजन
*दिप दान
*नैवेध्य दिवस
*महाकालि दैवी उपासना
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॥साधना पुजा हेतु समय॥
सुबह 06:46 से 07:55 तक
सुबह 09:21से 10:46 तक
सुबह 10:46 से 12:10तक
सायं 05:25 से 07:55 तक
रात्रि 01:46 से 03:30 तक
रात्रि 03:15 से 04: 30तक
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इस दिवस मे - तंत्र साधना, मंत्र मारण, पुजा-विधान, तमोगुणी साधना के प्रयोग,
हनुमानजी एवं भैरव के अनुलक्षी उपासना हेतु उत्तम दिवस है।
॥-ग्रहराज एस्ट्रोलोझि एच एच राजगुरु ॥
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          ॥��दिपावली��॥

संवत -2073 आश्विन मास कृष्ण पक्ष 30- अमावस्या
दिनांक -19/10/2017- गुरुवार

*आश्विन अमावस्या
*दिपावली दिप दान
*दिप पुजन
*रोशनी दिवस
*सरस्वती पुजा
*लक्ष्मी-शारदा पुजन
विशेष चोपड़ा पुजन दिवस
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*॥शुभ समय चोघडीया अनुसार पुजा हेतु॥*

सुबह 06:46से 08:12तक
सुबह 11:05से15:24तक
दोपहर 16:51से 18:18तक
सायं संध्या 18: 18से 21:25 तक
रात्रि 24:32 से 26:05तक
रात्रि सुबह 27:39 से 30:35 तक
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*॥शुभ ग्रह होरा अनुसार मुहूर्त॥*
सुबह 06:46 से 07:44तक
सुबह 09:39 से 12:32तक
दोपहर 13:29 से 14:27तक
संध्या 16:22 से 19:20तक
रात्रि 20:22से 21:25 तक
मध्य रात्रि 23:29से 26:37तक
----------------------- 
उपर बताएँ गए मुहूर्त के अनुसार पुजा , अनुष्ठान, विधि-विधान एवं दिप दान, लक्ष्मी पुजा-शारदा पुजन, चोपड़ा पुजन आदि कायॅ करना शुभ है।
॥-ग्रहराज एस्ट्रोलोझि एच एच राजगुरु ॥
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सुचना 📵 यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में आप कार्यालय पर संपर्क कर सकते हैं।
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आपको और आपके परिवार को दिपावली की हादिॅक शुभकामना एवं नुतन वषॅ आपके लिए मंगलकारि हो।
        ��Happy Deepawali��
*॥��॥ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय॥��॥*
         छाया चोक्की, रोनक कोम्प्लेक्ष
         पोरबंदर - गुजरात-360578
        *+919727972119*
         *शास्त्री एच एच राजगुरु*

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E-grahrajgrahraj66517@gmail.com

           (देवभूमि- द्वारका-गुजरात)

   *॥������॥हरिॐतत्सत्॥������॥*

Thursday, 21 September 2017

राशि अनुसार देवी उपासना मंत्र

मां भगवती की स्तुति अपनी राशि के अनुसार
🌐Grahraj Astrology🌐
मेष-( 'ऐं क्लीं सौं' )मन्त्र से एक माला का नित्य नौ दिनों तक जाप करने लाभ मिलेगा।

वृषभ( 'ऐं क्लीं श्रीं' )मन्त्र से एक माला का नित्य जाप करने से घर में सुख व समृद्धि बनी रहेगी।

मिथुन-( 'क्लीं ऐं सौं' )मन्त्र से दो माला नित्य जाप करने से सर्वबाधाओं से मुक्ति मिलती है।

कर्क-( 'ऐं क्लीं श्रीं' )मन्त्र से एक माला नित्य जाप करने से कार्यो में सफलता मिलेगी।

सिंह-( 'ह्रीं श्रीं सौं') मन्त्र से एक माला रोज जाप करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होगी।

कन्या-( 'श्रीं ऐं सौं' )मन्त्र से नित्य दो माला जाप करने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनी रहेगी।

तुला- ('ह्रीं क्लीं श्रीं' )मन्त्र से प्रतिदिन एक माला का जाप करने से धन में वृद्धि होगी।
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वृश्चिक-( 'ऐं क्लीं सौं' )मन्त्र से रोज एक माला जाप करने से घर में मॉगलिक कार्य सम्पन्न होंगे।

धन( 'ह्रीं क्लीं सौं' )मन्त्र से नित्य नौ दिनों तक एक माला जाप करने से परिवार की प्रगति होगी।

मकर- ('क्लीं ह्रीं श्रीं सौं' )मन्त्र से प्रतिदिन दो माला जाप करने से सम्बन्धों में मधुरता आयेगी एंव धन में वृद्धि होगी।

कुम्भ-( 'ह्रीं ऐं क्लीं श्रीं' )मन्त्र से नित्य एक माला जाप करने से सन्तान का सुख मिलेगा एंव रूके हुये कार्य सम्पन्न होंगे।
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मीन-( 'ह्रीं क्लीं सौं' )मन्त्र से प्रतिदिन नौं दिनों तक एक माला जाप करने से मॉ भगवती प्रसन्न होकर सदा सहाय बनी रहती है।
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*देवी का ध्यान मंत्र*
देवी प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोsखिलस्य।
प्रसीद विश्वेतरि पाहि विश्वं त्वमीश्चरी देवी चराचरस्य।

इस प्रकार भगवती से प्रार्थना कर भगवती के शरणागत हो जाएं। देवी कई जन्मों के पापों का संहार कर भक्त को तार देती है। वही जननी सृष्टि की आदि, अंत और मध्य है।

देवी से प्रार्थना करें: *शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे! सर्वस्यार्तिंहरे देवि! नारायणि! नमोऽस्तुते॥*

सर्वकल्याण एवं शुभार्थ प्रभावशाली माना गया हैः सर्व मंगलं मांगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥

*बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिएः*
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः। मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
🌐Grahraj Astrology🌐
सर्वबाधा शांति के लिएः सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्।।

*आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए इस चमत्कारिक फल देने वाले मंत्र को स्वयं देवी दुर्गा ने देवताओं को दिया हैः* देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥

अर्थातः शरण में आए हुए दीनों एवं पीडि़तों की रक्षा में संलग्न रहने वाली तथा सब की पीड़ा दूर करने वाली नारायणी देवी! तुम्हें नमस्कार है। देवी से प्रार्थना कर अपने रोग, अंदरूनी बीमारी को ठीक करने की प्रार्थना भी करें। ये भगवती आपके रोग को हरकर आपको स्वस्थ कर देंगी।

*विपत्ति नाश के लिएः* शरणागतर्दनार्त परित्राण पारायणे। सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥

*मोक्ष प्राप्ति के लिएः*
त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या। विश्वस्य बीजं परमासि माया।। सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्। त्वं वैप्रसन्ना भुवि मुक्त हेतु:।।
🌐Grahraj Astrology🌐
*शक्ति प्राप्ति के लिएः* सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि। गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोह्यस्तु ते।।

अर्थातः तुम सृष्टि, पालन और संहार की शक्ति भूता, सनातनी देवी, गुणों का आधार तथा सर्वगुणमयी हो। नारायणि! तुम्हें नमस्कार है।

*रक्षा का मंत्रः*
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके। घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि: स्वनेन च।।

अर्थातः देवी! आप शूल से हमारी रक्षा करें। अम्बिके! आप खड्ग से भी हमारी रक्षा करें तथा घण्टा की ध्वनि और धनुष की टंकार से भी हमलोगों की रक्षा करें।

*रोग नाश का मंत्रः* रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान सकलानभीष्टान्। त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता हाश्रयतां प्रयान्ति।

अर्थातः देवी! तुम प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर मनोवांछित सभी कामनाओं का नाश कर देती हो। जो लोग तुम्हारी शरण में जा चुके है। उनको विपत्ति तो आती ही नहीं। तुम्हारी शरण में गए हुए मनुष्य दूसरों को शरण देने वाले हो जाते हैं।

*दु:ख-दारिद्र नाश के लिएः*
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:।
स्वस्थै स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।। द्रारिद्र दु:ख भयहारिणि का त्वदन्या। सर्वोपकारकारणाय सदाह्यद्र्रचिता।।

ऐश्वर्य, सौभाग्य, आरोग्य, संपदा प्राप्ति एवं शत्रु भय मुक्ति-मोक्ष के लिएः ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः। शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥

*भय नाशक दुर्गा मंत्रः*
सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते, भयेभ्यास्त्रहिनो देवी दुर्गे देवी नमोस्तुते।

स्वप्न में कार्य सिद्घि-असिद्घि जानने के लिएः दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थ साधिके। मम सिद्घिमसिद्घिं वा स्वप्ने सर्व प्रदर्शय।।

अर्थातः शरणागत की पीड़ा दूर करने वाली देवी हम पर प्रसन्न होओ। संपूर्ण जगत माता प्रसन्न होओ। विश्वेश्वरी! विश्व की रक्षा करो। देवी! तुम्ही चराचर जगत की अधिश्वरी हो।

*मां के कल्याणकारी स्वरूप का वर्णनः*
सृष्टिस्थिति विनाशानां शक्तिभूते सनातनि। गुणाश्रये गुणमये नारायणि! नमोऽस्तुते॥

अर्थातः हे देवी नारायणी! तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हो। कल्याणदायिनी शिवा हो। सब पुरुषार्थों को सिद्ध करने वाली शरणागतवत्सला, तीन नेत्रों वाली एवं गौरी हो, तुम्हें नमस्कार है। तुम सृष्टि पालन और संहार की शक्तिभूता सनातनी देवी, गुणों का आधार तथा सर्वगुणमयी हो। नारायणी! तुम्हें नमस्कार है।

इस प्रकार देवी उनकी शरण में जाने वालों को इतनी शक्ति प्रदान कर देती है कि उस मनुष्य की शरण में दूसरे लोग आने लग जाते हैं। देवी धर्म के विरोधी दैत्यों का नाश करने वाली है। देवताओं की रक्षा के लिए देवी ने दैत्यों का वध किया। वह आपके आतंरिक एवं बाह्य शत्रुओं का नाश करके आपकी रक्षा करेगी। आप बारंबार उसकी शरणागत हो एवं स्वरमय प्रार्थना करें।

हे सर्वेश्वरी! तुम तीनों लोकों की समस्त बाधाओं को शांत करो और हमारे शत्रुओं का नाश करती रहो।

*सुचना 📵यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में आप कार्यालय पर संपर्क कर सकते हैं।*

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Tuesday, 19 September 2017

ग्रहराज नवरात्रि विशेष

          सर्व मंगलं मांगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके।
          शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥

*🌐ग्रहराज नवरात्रि विशेष घट स्थापना मुहूर्त 🌐*
शारदीय नवरात्र की शुरुआत होने वाली है। इस साल नवरात्र २१ सितंबर से शुरू हो रही है और ये २९ सितंबर तक चलेगी। नवरात्रि के दौरान मां के भक्त नौ दिन पूजा-अर्चना करते हैं। मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। माना जाता है कि मां अपने भक्तों द्वारा मांगी गई मनोकामनाएं पूरी करती हैं। नवरात्र के दौरान माता के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना की जाती है इसके बाद लगातार नौ दिनों तक माता की भक्ति में पूजा और उपवास किया जाता है और अष्टमी और नवमी में कन्या पूजा की जाती है।

पंडित शास्त्रीजी एच एच राजगुरू का कहना है कि नवरात्रि का शुभ मुहुर्त गुरुवार २१/०९/२०१७ को प्रात: ०६:०३ am से ०८:२२am
से शुरू हो रहा है।

इसके बाद  में दुसरा मुहूर्त प्रात:
११:३६ am से १२:२४am तक अभिजीत मुहूर्त में घट की स्थापना होगी।

घट स्थापना करते समय कुछ बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता है। पंडित शास्त्रीजी एच एच राजगुरू का कहना है कि घट स्थापना घर के उत्तर पूर्व कोने में करनी चाहिए। उत्तर और पूर्व में भी इसकी स्थापना की जा सकती है। लेकिन, घर के दक्षिण और पश्चिम भाग में घट की स्थापना न करें।

शारदीय नवरात्र 2017 में मां के 9 रूपों की पूजा होती है.
- 21 सितंबर 2017 : मां शैलपुत्री की पूजा 
- 22 सितंबर 2017 : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा 
- 23 सितंबर 2017 : मां चन्द्रघंटा की पूजा 
- 24 सितंबर 2017 : मां कूष्मांडा की पूजा 
- 25 सितंबर 2017 : मां स्कंदमाता की पूजा 
- 26 सितंबर 2017 : मां कात्यायनी की पूजा 
- 27 सितंबर 2017 : मां कालरात्रि की पूजा
- 28 सितंबर 2017 : मां महागौरी की पूजा 
- 29 सितंबर 2017 : मां सिद्धदात्री की पूजा
- 30 सितंबर 2017: दशमी तिथि, दशहरा

Navratri 9 colors
2017 Navratri Color

1💛Navratri Day 1
September 21, (Thursday)
Navratri color of the day - Yellow

2💚Navratri Day 2
September 22, (Friday)
Navratri color of the day - Green

3💟Navratri Day 3
September 23, (Saturday)
Navratri color of the day - Grey

4🍊Navratri Day 4
September 24, (Sunday)
Navratri color of the day - Orange

5⚪Navratri Day 5
September 25, (Monday)
Navratri color of the day - White

6❤Navratri Day 6
September 26, (Tuesday)
Navratri color of the day - Red

7💙Navratri Day 7
September 27, (Wednesday)
Navratri color of the day - Royal Blue

8💗Navratri Day 8
September 28, (Thursday)
Navratri color of the day - Pink

9💜Navratri Day 9
September 29, (Friday)
Navratri color of the day - Purple
*🌐- Grahraj Astrology*
सुचना 📵यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में आप कार्यालय पर संपर्क कर सकते हैं।

*📜ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय📜*
       छाया चोक्की रोनक कोम्प्लेक्ष
               पोरबंदर-गुजरात
               9727972119
         शास्त्री  एच एच राजगुरू
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आपका नवरात्रि महोत्सव आनंद और मंगल बिते
एसी भगवती के चरणावंद शुभ प्रार्थना।