Monday, 27 October 2025

*।।बुध ग्रह गोचर 2025/2026 वर्ष।।*

बुध ग्रह गोचर २०२५/२०२६

गोचर से फल ज्ञात करना

ग्रह विभिन्न राशियों में भ्रमण करते हैं। ग्रहों के भ्रमण का जो प्रभाव राशियों पर पड़ता है उसे गोचर का फल या गोचर फल कहते हैं। गोचर फल ज्ञात करने के लिए एक सामान्य नियम यह है कि जिस राशि में जन्म समय चन्द्र हो यानी आपकी अपनी जन्म राशि को पहला घर मान लेना चाहिए उसके बाद क्रमानुसार राशियों को बैठाकर कुण्डली तैयार कर लेनी चाहिए. इस कुण्डली में जिस दिन का फल देखना हो उस दिन ग्रह जिस राशि में हों उस अनुरूप ग्रहों को बैठा देना चाहिए. इसके पश्चात ग्रहों की दृष्टि एवं युति के आधार पर उस दिन का गोचर फल ज्ञात किया जा सकता है।


तुला 
अक्टूबर 3, 2025, शुक्रवार को 03:47 ए एम बजे

वृश्चिक 
अक्टूबर 24, 2025, शुक्रवार को 12:39 पी एम बजे
बुध वृश्चिक राशि में गोचर है।

तुला 
नवम्बर 23, 2025, रविवार को 07:58 पी एम बजे

वृश्चिक 
दिसम्बर 6, 2025, शनिवार को 08:52 पी एम बजे

धनु 
दिसम्बर 29, 2025, सोमवार को 07:27 ए एम बजे

मकर 
जनवरी 17, 2026, शनिवार को 10:27 ए एम बजे
Grahraj Astrology ज्योतिष वास्तु धार्मिकपूजा 

कुम्भ 
फरवरी 3, 2026, मंगलवार को 09:54 पी एम बजे

मीन 
अप्रैल 11, 2026, शनिवार को 01:20 ए एम बजे

मेष 
अप्रैल 30, 2026, बृहस्पतिवार को 06:55 ए एम बजे

वृषभ 
मई 15, 2026, शुक्रवार को 12:34 ए एम बजे

मिथुन 
मई 29, 2026, शुक्रवार को 11:14 ए एम बजे

कर्क 
जून 22, 2026, सोमवार को 03:41 पी एम बजे

मिथुन 
जुलाई 7, 2026, मंगलवार को 10:32 ए एम बजे

कर्क 
अगस्त 5, 2026, बुधवार को 07:58 पी एम बजे
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सिंह 
अगस्त 22, 2026, शनिवार को 07:33 पी एम बजे

कन्या 
सितम्बर 7, 2026, सोमवार को 01:35 पी एम बजे

तुला 
सितम्बर 26, 2026, शनिवार को 12:41 पी एम बजे

वृश्चिक 
दिसम्बर 2, 2026, बुधवार को 05:30 पी एम बजे

धनु 
दिसम्बर 22, 2026, मंगलवार को 07:42 ए एम बजे

गोचर का अर्थ होता है गमन यानी चलना. गो अर्थात तारा जिसे आप नक्षत्र या ग्रह के रूप में समझ सकते हैं और चर का मतलब होता है चलना. इस तरह गोचर का सम्पूर्ण अर्थ निकलता है ग्रहों का चलना. ज्योतिष की दृष्टि में सूर्य से लेकर राहु केतु तक सभी ग्रहों की अपनी गति है। अपनी-अपनी गति के अनुसार ही सभी ग्रह राशिचक्र में गमन करने में अलग-अलग समय लेते हैं। नवग्रहों में चन्द्र का गोचर सबसे कम अवधि का होता है क्योंकि इसकी गति तेज है। जबकि, शनि की गति मंद होने के कारण शनि का गोचर सबसे अधिक समय का होता है।
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ग्रहों का राशियों में भ्रमण काल-

सूर्य, शुक्र, बुध का भ्रमण काल 1 माह, चंद्र का सवा दो दिन, मंगल का 57 दिन, गुरू का 1 वर्ष, राहु-केतु का 1-1/2 (डेढ़ वर्ष) व शनि का भ्रमण का - 2-1/2 (ढ़ाई वर्ष) होता है।

सुचना 📵यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में आप कार्यालय पर संपर्क करें।

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