Sunday, 17 September 2017

ग्रहराज श्राद्धपक्ष विशेष २०१७


श्रद्धया दीयते यस्मात् तत् श्राद्धम्।

जिस दिन श्राद्ध करना हो उस दिन श्राद्ध की शुरूआत और समापन में इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

देवताभ्‍यः पितृभ्‍यश्‍च महायोगिभ्‍य एव च। नमः स्‍वाहायै स्‍वधायै नित्‍यमेव भवन्‍त्‍युत।।

इस मंत्र का जाप श्राद्ध के दौरान किया जाता है तो आयु लंबी होती है. निरोग रहते हैं, श्रेष्‍ठ संतानोत्पति होती है साथ ही सभी इच्‍छाएं पूर्ण होती है।

सरल शब्दों में समझा जाए तो श्राद्ध दिवंगत परिजनों को उनकी मृत्यु की तिथि पर श्रद्धापूर्वक याद किया जाना है। अगर किसी परिजन की मृत्यु प्रतिपदा को हुई हो तो उनका श्राद्ध प्रतिपदा के दिन ही किया जाता है। इसी प्रकार अन्य दिनों में भी ऐसा ही किया जाता है। इस विषय में कुछ विशेष मान्यता भी है जो निम्न हैं:
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* पिता का श्राद्ध अष्टमी के दिन और माता का नवमी के दिन किया जाता है।
* जिन परिजनों की अकाल मृत्यु हुई जो यानि किसी दुर्घटना या आत्महत्या के कारण हुई हो उनका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है।
* साधु और संन्यासियों का श्राद्ध द्वाद्वशी के दिन किया जाता है।
* जिन पितरों के मरने की तिथि याद नहीं है, उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाता है।  इस दिन को सर्व पितृ श्राद्ध कहा जाता है।

कैसे करें श्राद्ध और कैसे दें पितरों को तर्पण यह जानने के लिए क्लिक करें
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आइये जानते है की किसका श्राद्ध कौन करे?

पिता के श्राद्ध का अधिकार उसके पुत्र को ही है किन्तु जिस पिता के कई पुत्र हो उसका श्राद्ध उसके बड़े पुत्र, जिसके पुत्र न हो उसका श्राद्ध उसकी स्त्री, जिसके पत्नी नहीं हो, उसका श्राद्ध उसके सगे भाई, जिसके सगे भाई न हो, उसका श्राद्ध उसके दामाद या पुत्री के पुत्र (नाती) को और परिवार में कोई न होने पर उसने जिसे उत्तराधिकारी बनाया हो वह व्यक्ति उसका श्राद्ध कर सकता है।पूर्वजों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध शास्त्रों में बताए गए उचित समय पर करना ही फलदायी होता है।
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पितरों की आत्मा की शांति के लिए नीचे बताई गई चीजों को दान करना चाहिए. शास्त्रों में तीन ऋण विशेष बताए गए हैं. देव, ऋषि और पितृ ऋण ये हैं वो तीन ऋण जो बेहद महत्व रखते हैं, श्राद्ध की क्रिया से पितरों का पितृ ऋण उतारा जाता है.

1) तिल दान
2) घी-दूध का दान
3)  अन्नदान
4) वस्त्र दान
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શ્રાદ્ધ પક્ષ સંવત ૨૦૭૩ 
ભાદરવા સુદ ૧૫ બુધવાર તા. ૦૬/૦૯/૨૦૧૭ = એકમનું શ્રાદ્ધ. 
ભાદરવા વદ ૦૧ ગુરુવાર તા. ૦૭/૦૯/૨૦૧૭ = બીજનું શ્રાદ્ધ.
ભાદરવા વદ ૦૨ શુક્રવાર તા. ૦૮/૦૯/૨૦૧૭ ત્રિજનું શ્રાદ્ધ. 
ભાદરવા વદ ૦૩ શનિવાર તા. ૦૯/૦૯/૨૦૧૭ ચોથનું શ્રાદ્ધ. 
ભાદરવા વદ ૦૪ રવિવાર તા. ૧૦/૦૯/૨૦૧૭ પાચમનું શ્રાદ્ધ / પાચમ નો ક્ષય છે.
ભાદરવા વદ ૦૬ સોમવાર તા. ૧૧/૦૯/૨૦૧૭ છઠનું શ્રાદ્ધ.  
ભાદરવા વદ ૦૭ મંગળવાર તા. ૧૨/૦૯/૨૦૧૭ સાતમનું શ્રાદ્ધ. 
ભાદરવા વદ ૦૮ બુધવાર તા. ૧૩/૦૯/૨૦૧૭ આઠમનું શ્રાદ્ધ.  
ભાદરવા વદ ૦૯ ગુરુવાર તા. ૧૪/૦૯/૨૦૧૭ નોમનુ શ્રાદ્ધ અવિધવા નવમી શ્રાદ્ધ.
ભાદરવા વદ ૧૦ શુક્રવાર તા. ૧૫/૦૯/૨૦૧૭ દસમનું શ્રાદ્ધ  એકાદશીનું શ્રાદ્ધ. 
ભાદરવા વદ ૧૧ શનિવાર તા. ૧૬/૦૯/૨૦૧૭ એકાદશીનું શ્રાદ્ધ. ઇન્દિરા એકાદશી.  
ભાદરવા વદ ૧૨ રવિવાર તા. ૧૭/૦૯/૨૦૧૭ બારશનું શ્રાદ્ધ અને તેરશનું શ્રાદ્ધ.
ભાદરવા વદ ૧૩ સોમવાર તા. ૧૮/૦૯/૨૦૧૭ ચૌદશનું શ્રાદ્ધ, શસ્ત્રોથી મરેલાનું શ્રાદ્ધ.  
ભાદરવા વદ ૧૪ મંગળવાર તા. ૧૯/૦૯/૨૦૧૭ સર્વ પિતૃ અમાસ પુનમનું શ્રાદ્ધ અને અમાસનું શ્રાદ્ધ. 
ભાદરવા વદ ૩૦ શુક્રવાર તા. ૨૦/૦૯/૨૦૧૬ માતામહનું શ્રાદ્ધ. (નાનાનું શ્રાદ્ધ)
આસો સુદ ૦૧ ગુરુવાર તા.૨૧/૦૯/૨૦૧૭ શારદીય નવરાત્રિ પ્રારંભ ઘટ સ્થાપન.
શ્રાદ્ધ પક્ષમાં રોજ સવારે પિતૃ સ્તવન નો પાઠ કરવો  / પિંડદાન અને પિતૃતર્પણ   જેથી પિતૃદેવો ની અસિમ કૃપા હમેશા વરસતી રહેશે.

सुचना 📵 यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में आप कार्यालय का संपर्क करें।

*📜ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय📜*
       छाया चोक्की रोनक कोम्प्लेक्ष
               पोरबंदर-गुजरात
               9727972119
         शास्त्री  एच एच राजगुरू
    *ज्योतिष-वास्तु-धार्मिकपुजा*
hitu9grahgochar@gmail.com

       *🙏🏻हरि: ॐ तत्सत्🙏🏻*

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