Saturday, 12 January 2019

मकर संक्रांति 2019 विशेष

���॥श्री हरि:परमानंदम्॥����
मकर संक्रांति का फल - संवत २०७५

  *"ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय"*

सुयॅ मकर राशिमे प्रवेश कर रहे तभि विक्रम संवत २०७५ के पौष मास शुक्ल पक्ष ०८ तिथि दिनांक - १४/०१/२०१९ - सोमवार सायं १९:५०:०० pm समय को प्रवेश करेंगे।


तभी मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र मे चंद्र है ।


सिद्धि योग-और बव करण मे प्रवेश करेंगे ।

संक्रांति का आगमन दक्षिण दिशा से है।

गमन  उत्तर दिशा मे जारहीहै।


उसका मुख पश्चिम दिशा कि ओर है।


और उसकी दृष्टि ईशान कोण मे है।

संक्रांति नाम ध्वंक्षी है।


संक्रांति का वाहन सिंह है।

उसका उप वाहन- हाथी - रक्त श्वेत से सुशोभित है।

कस्तुरी का तिलक किया हुवा है।

पुष्प (चमेली) अन्य चंपा का फूल भी पसंद करती हैं।


अवस्था-बाल्या वय की है।


भक्षण अनाज का करती है।

आभुषण प्रवाल रत्नों और सुवणॅ धारण किऐहुवा है।

भोजन पात्र - सोना  धातु पात्र  धारण किएहुवे है ।

आसन पर बेठी हुवी अवस्था है- साथ मे हाथ मे आयुध -शस्त्र बंदुक धारण कीया हुवा है।

*॥संक्रांति के दान सामग्री॥*

नये पित्तल वासण, चांदी की गाय, वस्त्र, दुध, दहिं, तील , गुड़, गुप्त भेंट,धान्य, पात्र, रत्नों, भुमि, अन्य तिल से बनिहुवी सामग्री दान देनी चाहिए।


➡मकरसंक्रांति राशि  अनुसार करे दान ओर पुण्य,
----------------------
राशि - सिंह , धन , मीन
              ⬇
सामग्री- घी, चीनी, सफेद तील, सफेद कापड, चांदी
ओर अन्य श्र्वेत प्रकार के द्रव्य का दान करे।
---------------------
राशि - वृषभ , कन्या , मकर
             ⬇
सामग्री-  काले तिल, स्टील के
पात्रों, काला रेशमी कपड़ा,
उड़द ओर फल, दक्षिणा अन्य
श्याम एवं काले प्रकार के द्रव्य का दान करे।
-----------------------
राशि - कर्क , तुला , कुंभ
                 ⬇
सामग्री-  घेउ, गुड़, लाल कपड़ा, लाल तिल, तांबे का पात्र, मिठाई, ओर रक्त (लाल)
प्रकार के अन्य सामग्री का दान कर सकते है।
----------------------
राशि - मेष , मिथुन , वृश्चिक
                ⬇
सामग्री-  चने की दाल, पीला वस्त्र, पित्तल का पात्र, पीला फल, पीत पुष्प, सुवणॅ आदि
एवं अन्य पीत सामग्री का दान कर सकते है।
-----------------------
➡मकरसंक्रांति पुण्य काल
दिनांक-15/01/2019
           मंगलवार
प्रात:सूर्योदय07:29:am से
            लेकर
सायं सूर्यास्त06:25:pmतक
(पूणॅ दिवस-पुजा, पाठ, दान,
धमॅ आदि कर सकते है)
----------------------

➡नोध:- विशेष माहिती एवं
प्रश्र्न ओर समाधान हेतु के लिए कार्यालय का संपॅक करे,

सुचना 📵यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में आप कार्यालय पर संपर्क करें।

 


 
*📜ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय📜*
 छाया रोड - बालाजी कोम्प्लेक्ष - ३ माला
        भारतीय विद्यालय के सामने
               पोरबंदर-गुजरात

            रविवार एवं सोमवार
               9727972119
         शास्त्री  एच एच राजगुरू
    *ज्योतिष-वास्तु-धार्मिकपुजा*

https://www.facebook.com/grahraj.astrology/

https://grahraj.blogspot.in/

https://www.youtube.com/results?search_query=grahraj+jyotish

https://twitter.com/grah_raj

hitu9grahgochar@gmail.com

मुलाकात के लिए पहले फोन पर Rg.  करवा ना जरुरि है।
       *🙏🏻 हरि: ॐ तत्सत् 🙏🏻*

Wednesday, 9 January 2019

॥ सर्वेष्टप्रदं गजाननस्तोत्रम् ॥

श्रीगणेशाय नमः ।

कपिल उवाच ।

नमस्ते विघ्नराजाय भक्तानां विघ्नहारिणे । अभक्तानां विशेषेण विघ्नकर्त्रे नमो नमः ॥ १॥

आकाशाय च भूतानां मनसे चामरेषु ते । बुद्ध्यैरिन्द्रियवर्गेषु त्रिविधाय नमो नमः ॥ २॥

देहानां बिन्दुरूपाय मोहरूपाय देहिनाम् । तयोरभेदभावेषु बोधाय ते नमो नमः ॥ ३॥

साङ्ख्याय वै विदेहानां संयोगानां निजात्मने । चतुर्णां पञ्च मायैव सर्वत्र ते नमो नमः ॥ ४॥

नामरूपात्मकानां वै शक्तिरूपाय ते नमः । आत्मनां रवये तुभ्यं हेरम्बाय नमो नमः ॥ ५॥

आनन्दानां महाविष्णुरूपाय नेति धारिणाम् । शङ्कराय च सर्वेषां संयोगे गणपाय ते ॥ ६॥

कर्मणां कर्मयोगाय ज्ञानयोगाय जानताम्।
समेषु समरूपाय लम्बोदर नमोऽस्तु ते ॥ ७॥

स्वाधीनानां गणाध्यक्ष सहजाय नमो नमः । तेषामभेदभावेषु स्वानन्दाय च ते नमः ॥ ८॥

निर्मायिकस्वरूपाणामयोगाय नमो नमः । योगानां योगरूपाय गणेशाय नमो नमः ॥ ९॥

शान्तियोगप्रदात्रे ते शान्तियोगमयाय च ।
किं स्तौमि तत्र देवेश अतस्त्वां प्रणमाम्यहम् ॥ १०॥

ततस्तं गणनाथो वै जगाद भक्तमुत्तमम् ।
हर्षेण महता युक्तो हर्षयन्मुनिसत्तम ॥ ११॥

श्रीगणेश उवाच ।

त्वया कृतं मदीयं यत्स्तोत्रं योगप्रदं भवेत् । धर्मार्थकाममोक्षाणां दायकं प्रभविष्यति ॥ १२॥

वरं वरय मत्तस्त्वं दास्यामि भक्तियन्त्रितः । त्वत्समो न भवेत्तात तत्त्वज्ञानप्रकाशकः ॥ १३॥

तस्य तद्वचनं श्रुत्वा कपिलस्तमुवाच ह । त्वदीयामचलां भक्तिं देहि विघ्नेश मे पराम् ॥ १४॥

त्वदीयभूषणं दैत्यो हृत्वा सद्यो जगाम ह । ततश्चिन्तामणिं नाथ तं जित्वा मणिमानय ॥ १५॥

यदाहं त्वां स्मरिष्यामि तदात्मानं प्रदर्शय ।
एतदेव वरं पूर्णं देहि नाथ नमोऽस्तु ते ॥ १६॥

गृत्समद उवाच ।

तस्य तद्वचनं श्रुत्वा हर्षयुक्तो गजाननः ।
उवाच तं महाभक्तं प्रेमयुक्तं विशेषतः ॥ १७॥

त्वया यत्प्रार्थितं विष्णो तत्सर्वं प्रभविष्यति ।
तव पुत्रो भविष्यामि गणासुरवधाय च ॥ १८॥

इति श्रीमुद्गलपुराणे गजाननस्तोत्रं समाप्तम् ।

सुचना 📵यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में आप कार्यालय पर संपर्क करें।

   *📜ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय📜*
       छाया चोक्की रोनक कोम्प्लेक्ष 
               पोरबंदर-गुजरात

            रविवार एवं सोमवार
               9727972119
         शास्त्री  एच एच राजगुरू
    *ज्योतिष-वास्तु-धार्मिकपुजा*

https://www.facebook.com/grahraj.astrology/

https://grahraj.blogspot.in/

https://www.youtube.com/results?search_query=grahraj+jyotish

https://twitter.com/grah_raj

hitu9grahgochar@gmail.com

मुलाकात के लिए पहले फोन पर Rg.  करवा ना जरुरि है।
       *🙏🏻 हरि: ॐ तत्सत् 🙏🏻*