Sunday, 19 November 2023

।। गोपाष्टमी पर्व पर विशेष नक्षत्रों के दुष्प्रभाव करे दूर ।।

                " श्री हरि: परमानंदम् "
। गोपाष्टमी विशेष पूजा -  गोमुख प्रसवशांति ।।
*गोपाष्टमी*


यह पूजन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को किया जाता है।

इसदिन प्रात:काल गोओं को स्नान कराकर जल,चोली,मौली, अक्षत, गुड़,पुष्प, जलेबी,दाल,घास, वस्त्र,और धूप- दीप आदि से विधिवत् पूजन किया जाता है।
GrahRaj Astrology
इस दिन बछड़े का भी पूजन करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन गोओं ग्रास देकर उसकी परिक्रमा करके थोड़ी दूर तक उनके साथ जाने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

सायं काल गौ चारण के बाद उन्हें प्रणाम करके पंचोपचार विधि से पूजा करते हैं।
और उनकी चरण धूलि कार्यालय मस्तक पर तिलक करने से सौभाग्य की वृद्धि होती है।

इस दिन परिक्रमा गोग्रास अन्य गो सेवा से मनुष्य की मनोकामनाए जल्द ही पूरि हो जाती है।
*विशेष ज्योतिष शास्त्र अनुसार आज के दिवस में नक्षत्र आदि दोषों का निवारण किया जाएं तो अच्छा शुभ उत्तम फल मिलता है।*

एसे तो मुहूर्त एवम् नक्षत्र देखके पूजा की जाती है।
पर गोपाष्टमी के दिन में कोई मुहूर्त - नक्षत्र राशि के योग देखने की आवश्यकता खास कोई जरूरत नहीं है।
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*।। आइए देखते हैं नक्षत्र गंडमूल दोषों का विचार ।।*

गोमुख प्रसवशांति - नक्षत्र शांति

*अशुभ नक्षत्र - में जन्म

*अशुभ योग - में जन्म

*अशुभ तिथि - में जन्म

*अशुभ नक्षत्र चरण - में जन्म

*"प्रसव - अरिष्ट निवारणर्थ प्रथम गोमुख प्रसव"*
गाय के मुख से जन्म कराना चाहिए।


अगर बालक - जातक बड़ा हो गया है तो गो स्पर्श ,  गो वंदना आदि करे।


*गंडमूल नक्षत्रों में जन्में लोगों को ये उपाय अवश्य करवा लेने चाहिए*


*१.गंडमूल नक्षत्र*
ज्योतिष विद्या में २७ नक्षत्रों का उल्लेख किया गया है, जिनके विषय में हम आपको पहले ही बता चुके हैं। इन नक्षत्रों में से कुछ नक्षत्र काफी शुभ होते हैं वहीं कुछ नक्षत्र ऐसे भी होते हैं जिन्हें गंडमूल नक्षत्र अर्थात अशुभ नक्षत्रों की श्रेणी में रखा जाता है।


*२.गंड मूल दोष*
इन सभी अशुभ नक्षत्रों में से भी मूल नक्षत्र को सबसे अधिक अशुभ माना जाता है। मान्यता ऐसी है कि जो भी व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेता है उसका पूरा जीवन बाधाओं और परेशानियों से घिरा रहता है। इस दोष को गंड मूल दोष कहा जाता है।


*३-ज्योतिष विद्या*
ज्योतिष विद्या के जानकारों का कहना है कि आमतौर पर यह माना जाता है कि जो भी जातक इस दोष का भार ढो रहा होता है उसका जीवन जैसे परेशानियों का ही दूसरा नाम बन जाता है।


*४.गंड मूल में जन्में बच्चे*
माना जाता है गंड मूल में जन्में बच्चे के जन्म से लेकर २७ दिनों तक उसके पिता को उसका चेहरा नहीं देखना चाहिए।


*५.समाधान*
यह दोष व्यक्ति के जीवन में परेशानियां पैदा करने में पूर्ण रूप से सक्षम होता है। ज्योतिष शास्त्र के जरिए अगर समस्याओं को जाना जा सकता है तो उन समस्याओं के समाधान भी इस शास्त्र के जरिए ढूंढ़े जा सकते हैं।


*६.दुष्प्रभाव*
गंड मूल नक्षत्र के दोष को शांत करने से पहले यह जानना आवश्यक है कि यह दोष होता है क्या है और इसके दुष्प्रभाव क्या-क्या हो सकते हैं।


*७.अशुभ नक्षत्र*
अशुभ नक्षत्रों की श्रेणी में अश्वनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती शामिल हैं। सभी नक्षत्रों के चार चरण होते हैं और प्रत्येक चरणों के अनुसार जातक के माता, पिता, भाई, बहन या परिवार के किसी अन्य सदस्य पर अपना प्रभाव दर्शाने लगते हैं। अशुभ नक्षत्र अपना बुरा प्रभाव दिखाते हैं और शुभ नक्षत्र शुभ।


*८.परेशानी का कारण बनते हैं*
गंड मूल नक्षत्र में जन्में जातक ना सिर्फ अपने परिवार के लिए बल्कि स्वयं अपने लिए भी परेशानी बन जाते हैं।


*९.व्यक्ति की कुंडली*
ज्योतिष विद्या के जानकारों के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा, रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा या मूल नक्षत्र में से कोई भी एक नक्षत्र स्थित है तो वह व्यक्ति गंड मूल नक्षत्र का माना जाएगा।

*१०.दोष*
वैज्ञानिक भाषा में बात करें तो उपरोक्त ६ नक्षत्रों के किसी एक विशेष चरण में चंद्रमा के स्थित होने से यह दोष बनता है।

*११.नक्षत्र के चरण*
जैसे कि रेवती नक्षत्र के चौथे चरण में, अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में, अश्लेषा चरण में चौथे चरण में, मघा नक्षत्र के पहले चरण में, ज्येष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण और मूल नक्षत्र के पहले नक्षत्र में जब चंद्रमा स्थित होता है तो गंड मूल दोष बनता है।

*१२.भिन्न-भिन्न प्रभाव*
भिन्न-भिन्न कुंडलियों में गंड मूल दोष, अपना भिन्न-भिन्न प्रभाव दर्शाता है। इसलिए इनके समाधान करने के लिए आगे बढ़ने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि चंद्रमा कौन से चरण में स्थित है और गंड मूल दोष कौनसा बनता है।

*१३.कुंडली का गहन अध्ययन*
किसी भी जातक की कुंडली का गहन अध्ययन करने के बाद ही यह पता लगाया जा सकता है कि दोष कौनसा है, इसके बाद ही उपाय के लिए सोचना चाहिए।

*१४.पिता को कष्ट*
अश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण में जन्म लेने वाले व्यक्ति के लिए यह शुभ होता है जबकि दूसरे या तीसरे चरण में धन की हानि और माता को कष्ट के हालात विकसित होते हैं। चौथे चरण में जन्म हो तो पिता को कष्ट मिलने की संभावना प्रबल होती है।

*१५.मघा नक्षत्र*
मघा नक्षत्र के पहले चरण में जन्म लेने वाले व्यक्ति के बड़े भाई का जीवन कष्टप्रद होता है। दूसरा चरण छोटे भाई, तीसरा माता और चौथा पिता को कष्ट पहुंचाता है।

*१६.आश्लेषा नक्षत्र*
आश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण में जन्म हो तो शुभ ,दूसरे में धन हानि ,तीसरे में माता को कष्ट तथा चौथे में पिता को कष्ट होता है. यह फल पहले दो वर्षों में ही मिल जाता है.


*१७.मघा नक्षत्र*
मघा नक्षत्र के पहले चरण में जन्म हो तो माता के पक्ष को हानि ,दूसरे में पिता को कष्ट तथा अन्य चरणों में शुभ होता है.


*१८.मूल नक्षत्र*
मूल नक्षत्र के पहले चरण में जन्म लेने वाले व्यक्ति के पिता को जीवनभर कष्ट मिलता है। दूसरे चरण में जन्म लेने वाले व्यक्ति की माता, तीसरे में धन की हानि होती है। जबकि चौथा चरण शुभ माना गया है।


*१९.गंड मूल नक्षत्रों की शांति के उपाय*
जन्म किस नक्षत्र में होगा यह तो अपने हाथ में नहीं होता। इसलिए गंड मूल नक्षत्रों में जन्म लेने वाले बच्चे के जीवन को सुखमय बनाने और बाधारहित रखने का जिम्मा उसके परिवार का होता है।


*२०.मूल शांति*
ज्योतिष विद्या के जानकारों के अनुसार परिवार वालों को अपनी संतान की मूल शांति करवानी चाहिए जिससे बहुत से दोष कम हो जाते हैं। इस दोष से मुक्ति पाने का तरीकी शांति पूजा है, जो सामान्य से थोड़ी ज्यादा तकनीकी होती है।


*२१.संबंधित देवता की पूजा*
जन्म के नक्षत्रों के अनुसार संबंधित देवता की पूजा करने से नक्षत्रों के नकारात्मक प्रभाव में कमी आती है।


*२२.गंड मूल शांति पूजा*
इन सब उपायों के अलावा अन्य भी कुछ उपाय ऐसे हैं जो ज्यादा प्रचलित हैं। जैसे कि गंड मूल में जन्में बच्चे के जन्म के ठीक २७वें दिन गंड मूल शांति पूजा करवाई जानी चाहिए, इसके अलावा ब्राह्मणों को दान, दक्षिणा देने और उन्हें भोजन करवाना चाहिए। यदि किसी कारणवश पूजा ना करवाई जा सके तो महीने के जिस भी दिन चंद्रमा जन्म नक्षत्र में मौजूद हो उसी दिन शांति पूजा करवाई लेनी चाहिए।


*विशेष नक्षत्रों के प्रभाव के बारे जानकारी के लिए कार्यालय पर संपर्क कर सकते है।*


सुचना 📵यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में आप कार्यालय पर संपर्क करें।


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