२०२२ रक्षा बन्धन
शुभ समय एवम मुहूर्त
रक्षा बन्धन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
अपराह्न का समय रक्षा बन्धन के लिये अधिक उपयुक्त माना जाता है जो कि हिन्दु समय गणना के अनुसार दोपहर के बाद का समय है।
यदि अपराह्न का समय भद्रा आदि की वजह से उपयुक्त नहीं है तो प्रदोष काल का समय भी रक्षा बन्धन के संस्कार के लिये उपयुक्त माना जाता है।
भद्रा का समय रक्षा बन्धन के लिये निषिद्ध माना जाता है। हिन्दु मान्यताओं के अनुसार सभी शुभ कार्यों के लिए भद्रा का त्याग किया जाना चाहिये।
सभी हिन्दु ग्रन्थ और पुराण, विशेषतः व्रतराज, भद्रा समाप्त होने के पश्चात रक्षा बन्धन विधि करने की सलाह देते हैं।
भद्रा पूर्णिमा तिथि के पूर्व-अर्ध भाग में व्याप्त रहती है। अतः भद्रा समाप्त होने के बाद ही रक्षा बन्धन किया जाना चाहिये।
उत्तर भारत में ज्यादातर परिवारों में सुबह के समय रक्षा बन्धन किया जाता है जो कि भद्रा व्याप्त होने के कारण अशुभ समय भी हो सकता है।
इसीलिये जब प्रातःकाल भद्रा व्याप्त हो तब भद्रा समाप्त होने तक रक्षा बन्धन नहीं किया जाना चाहिये।
कुम्भ कर्क द्वये मर्त्ये स्वर्गेऽब्जेऽजात्त्रयेऽलिंगे।
स्त्री धनुर्जूकनक्रेऽधो भद्रा तत्रैव तत्फलं।।
जब चंद्रमा मेष, वृषभ, मिथुन और वृश्चिक राशि में होता है तो भद्रा स्वर्ग लोक में मानी जाती है और उर्ध्वमुखी होती है।
जब चंद्रमा कन्या, तुला, धनु और मकर राशि में होता है तो भद्रा का वास पाताल में माना जाता है और ऐसे में भद्रा अधोमुखी होती है।
वहीं जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ और मीन राशि में स्थित होता है तो भद्रा का निवास भूलोक अर्थात पृथ्वी लोक पर माना जाता है और ऐसे में भद्रा सम्मुख होती है।
उर्ध्वमुखी होने के कारण भद्रा का मुंह ऊपर की ओर होगा तथा अधोमुखी होने के कारण नीचे की तरफ।
लेकिन दोनों ही परिस्थितियों में भद्रा शुभ प्रभाव लेगी। इसके साथ ही सम्मुख होने पर भद्रा पूर्ण रूप से प्रभाव दिखाएगी।
ईयं भद्रा शुभ-कार्येषु अशुभा भवति।
अर्थात किसी भी शुभ कार्य में भद्रा अशुभ मानी जाती है। हमारे ऋषि मुनियों ने भी भद्रा काल को अशुभ तथा दुखदायी बताया है:—
न कुर्यात मंगलं विष्ट्या जीवितार्थी कदाचन।
कुर्वन अज्ञस्तदा क्षिप्रं तत्सर्वं नाशतां व्रजेत।। ---महर्षि कश्यप
महर्षि कश्यप के अनुसार जो कोई भी प्राणी अपना जीवन सुखी बनाना चाहता है और आनंद पूर्वक जीवन बिताना चाहता है उसे भद्रा काल के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। यदि भूलवश कोई ऐसा कार्य हो जाए तो उसका शुभ फल नष्ट हो जाता है।
भद्रा काल के दौरान मुख्य रूप से मुंडन संस्कार, विवाह संस्कार, गृहारंभ, कोई नया व्यवसाय आरंभ करना, गृह प्रवेश, शुभ यात्रा, शुभ उदेश्य से किए जाने वाले सभी कार्य तथा रक्षाबंधन आदि मांगलिक कार्यों को नहीं करना चाहिए।
भद्रा का वास-
उपरोक्त दी गई तिथियों में भद्रा आरंभ होने से पहले 2 घंटे तक मुख में,
48 मिनट कंठ में,
4 घंटे 24 मिनट हृदय में,
एक घंटा 36 मिनट नाभि में,
2 घंटे कमर में और
1 घंटे 12 मिनट पुच्छ भाग में रहता है।
भद्रा का वास और उसका फल
मुख में भद्रा का वास रहे तो कार्य नाश,
कंठ में रहे तो धन का नाश,
हृदय में प्राण का नाश करती हैं,
नाभि में कलह कराती हैं और
कमर में मान हानि कराती हैं।
पुच्छ भाग में भद्रा का वास हो तो विजय और कार्य सिद्धि दिलाती हैं।
इस प्रकार 12 घंटे में केवल 1 घंटा 12 मिनट का अंतिम समय ही भद्रा वास में कार्य करना शुभ रहता है।
भद्रा के प्रकार और सामान्य ज्ञान
मुहूर्तग्रंथों में कृष्ण पक्ष की भद्रा को सर्पिणी और शुक्ल पक्ष की भद्रा को वृश्चिकी कहा गया है।
अतः सर्पिणी भद्रा के मुख एवं वृश्चिकी भद्रा के पुच्छ भाग को मंगल कार्यों के लिए निषेध माना गया है।
अतः इसका चिंतन करके यदि हम अपने मांगलिक कार्यों, उद्योग-व्यापार यात्रा आदि करें तो सफलता की संभावना सर्वाधिक रहेगी।
रक्षा बन्धन
11,अगस्त,2022 बृहस्पतिवार
रक्षा बन्धन के लिये प्रदोष काल का मुहूर्त - २०:५१ से २१:३८
(राखी बांधने का समय मुहूर्त)
अवधि - ०० घण्टे ४७ मिनट्स
रक्षा बन्धन भद्रा अन्त समय - २०:५१
रक्षा बन्धन भद्रा पूँछ - १७:१७ से १८:१८
रक्षा बन्धन भद्रा मुख - १८:१८ से २०:००
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - अगस्त ११, २०२२ को १०:३८ बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - अगस्त १२, २०२२ को ०७:०५ बजे
विशेष स्थानिक समय तालिका देवभूमि द्वारका (गुजरात)
से है। स्थानीय समय में सामान्य परिवर्तन हो सकता है।
विशेष मुहूर्त रक्षा बंधन के लिए
शुभ समय
विजय मुहूर्त
१५:०६ से १५:५८
गोधूलि मुहूर्त
१९:१३ से १९:३७
सायाह्न सन्ध्या
१९:२६ से २०:३२
निशिता मुहूर्त
००:३५, अगस्त १२ से ०१:१९, अगस्त १२
ब्रह्म मुहूर्त
०४:५९ से ०५:४३
प्रातः सन्ध्या
०५:२१ से ०६:२७
चौघड़िया अनुसार मुहूर्त
📆Date: 11/08/2022
✴दिन के चौघड़िया
🔸शुभ 06:26 am 08:04 am
🔸रोग 08:04 am 09:41 am
🔸उद्वेग 09:41 am 11:19 am
🔸चर 11:19 am 12:56 pm
🔸लाभ 12:56 pm 02:33 pm
🔸अमृत 02:33 pm 04:11 pm
🔸काल 04:11 pm 05:48 pm
🔸शुभ 05:48 pm 07:25 pm
✴रात के चौघड़िया
🔸अमृत 07:25 pm 08:48 pm
🔸चर 08:48 pm 10:11 pm
🔸रोग 10:11 pm 11:33 pm
🔸काल 11:33 pm 12:56 am
🔸लाभ 12:56 am 02:19 am
🔸उद्वेग 02:19 am 03:41 am
🔸शुभ 03:41 am 05:04 am
🔸अमृत 05:04 am 06:27 am
सुचना 📵यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर
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मुलाकात के लिए पहले फोन पर Rg. करवा ना जरुरि है।
*🙏🏻 हरि: ॐ तत्सत् 🙏🏻*
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