Sunday, 19 November 2023

।। गोपाष्टमी पर्व पर विशेष नक्षत्रों के दुष्प्रभाव करे दूर ।।

                " श्री हरि: परमानंदम् "
। गोपाष्टमी विशेष पूजा -  गोमुख प्रसवशांति ।।
*गोपाष्टमी*


यह पूजन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को किया जाता है।

इसदिन प्रात:काल गोओं को स्नान कराकर जल,चोली,मौली, अक्षत, गुड़,पुष्प, जलेबी,दाल,घास, वस्त्र,और धूप- दीप आदि से विधिवत् पूजन किया जाता है।
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इस दिन बछड़े का भी पूजन करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन गोओं ग्रास देकर उसकी परिक्रमा करके थोड़ी दूर तक उनके साथ जाने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

सायं काल गौ चारण के बाद उन्हें प्रणाम करके पंचोपचार विधि से पूजा करते हैं।
और उनकी चरण धूलि कार्यालय मस्तक पर तिलक करने से सौभाग्य की वृद्धि होती है।

इस दिन परिक्रमा गोग्रास अन्य गो सेवा से मनुष्य की मनोकामनाए जल्द ही पूरि हो जाती है।
*विशेष ज्योतिष शास्त्र अनुसार आज के दिवस में नक्षत्र आदि दोषों का निवारण किया जाएं तो अच्छा शुभ उत्तम फल मिलता है।*

एसे तो मुहूर्त एवम् नक्षत्र देखके पूजा की जाती है।
पर गोपाष्टमी के दिन में कोई मुहूर्त - नक्षत्र राशि के योग देखने की आवश्यकता खास कोई जरूरत नहीं है।
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*।। आइए देखते हैं नक्षत्र गंडमूल दोषों का विचार ।।*

गोमुख प्रसवशांति - नक्षत्र शांति

*अशुभ नक्षत्र - में जन्म

*अशुभ योग - में जन्म

*अशुभ तिथि - में जन्म

*अशुभ नक्षत्र चरण - में जन्म

*"प्रसव - अरिष्ट निवारणर्थ प्रथम गोमुख प्रसव"*
गाय के मुख से जन्म कराना चाहिए।


अगर बालक - जातक बड़ा हो गया है तो गो स्पर्श ,  गो वंदना आदि करे।


*गंडमूल नक्षत्रों में जन्में लोगों को ये उपाय अवश्य करवा लेने चाहिए*


*१.गंडमूल नक्षत्र*
ज्योतिष विद्या में २७ नक्षत्रों का उल्लेख किया गया है, जिनके विषय में हम आपको पहले ही बता चुके हैं। इन नक्षत्रों में से कुछ नक्षत्र काफी शुभ होते हैं वहीं कुछ नक्षत्र ऐसे भी होते हैं जिन्हें गंडमूल नक्षत्र अर्थात अशुभ नक्षत्रों की श्रेणी में रखा जाता है।


*२.गंड मूल दोष*
इन सभी अशुभ नक्षत्रों में से भी मूल नक्षत्र को सबसे अधिक अशुभ माना जाता है। मान्यता ऐसी है कि जो भी व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेता है उसका पूरा जीवन बाधाओं और परेशानियों से घिरा रहता है। इस दोष को गंड मूल दोष कहा जाता है।


*३-ज्योतिष विद्या*
ज्योतिष विद्या के जानकारों का कहना है कि आमतौर पर यह माना जाता है कि जो भी जातक इस दोष का भार ढो रहा होता है उसका जीवन जैसे परेशानियों का ही दूसरा नाम बन जाता है।


*४.गंड मूल में जन्में बच्चे*
माना जाता है गंड मूल में जन्में बच्चे के जन्म से लेकर २७ दिनों तक उसके पिता को उसका चेहरा नहीं देखना चाहिए।


*५.समाधान*
यह दोष व्यक्ति के जीवन में परेशानियां पैदा करने में पूर्ण रूप से सक्षम होता है। ज्योतिष शास्त्र के जरिए अगर समस्याओं को जाना जा सकता है तो उन समस्याओं के समाधान भी इस शास्त्र के जरिए ढूंढ़े जा सकते हैं।


*६.दुष्प्रभाव*
गंड मूल नक्षत्र के दोष को शांत करने से पहले यह जानना आवश्यक है कि यह दोष होता है क्या है और इसके दुष्प्रभाव क्या-क्या हो सकते हैं।


*७.अशुभ नक्षत्र*
अशुभ नक्षत्रों की श्रेणी में अश्वनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती शामिल हैं। सभी नक्षत्रों के चार चरण होते हैं और प्रत्येक चरणों के अनुसार जातक के माता, पिता, भाई, बहन या परिवार के किसी अन्य सदस्य पर अपना प्रभाव दर्शाने लगते हैं। अशुभ नक्षत्र अपना बुरा प्रभाव दिखाते हैं और शुभ नक्षत्र शुभ।


*८.परेशानी का कारण बनते हैं*
गंड मूल नक्षत्र में जन्में जातक ना सिर्फ अपने परिवार के लिए बल्कि स्वयं अपने लिए भी परेशानी बन जाते हैं।


*९.व्यक्ति की कुंडली*
ज्योतिष विद्या के जानकारों के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा, रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा या मूल नक्षत्र में से कोई भी एक नक्षत्र स्थित है तो वह व्यक्ति गंड मूल नक्षत्र का माना जाएगा।

*१०.दोष*
वैज्ञानिक भाषा में बात करें तो उपरोक्त ६ नक्षत्रों के किसी एक विशेष चरण में चंद्रमा के स्थित होने से यह दोष बनता है।

*११.नक्षत्र के चरण*
जैसे कि रेवती नक्षत्र के चौथे चरण में, अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में, अश्लेषा चरण में चौथे चरण में, मघा नक्षत्र के पहले चरण में, ज्येष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण और मूल नक्षत्र के पहले नक्षत्र में जब चंद्रमा स्थित होता है तो गंड मूल दोष बनता है।

*१२.भिन्न-भिन्न प्रभाव*
भिन्न-भिन्न कुंडलियों में गंड मूल दोष, अपना भिन्न-भिन्न प्रभाव दर्शाता है। इसलिए इनके समाधान करने के लिए आगे बढ़ने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि चंद्रमा कौन से चरण में स्थित है और गंड मूल दोष कौनसा बनता है।

*१३.कुंडली का गहन अध्ययन*
किसी भी जातक की कुंडली का गहन अध्ययन करने के बाद ही यह पता लगाया जा सकता है कि दोष कौनसा है, इसके बाद ही उपाय के लिए सोचना चाहिए।

*१४.पिता को कष्ट*
अश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण में जन्म लेने वाले व्यक्ति के लिए यह शुभ होता है जबकि दूसरे या तीसरे चरण में धन की हानि और माता को कष्ट के हालात विकसित होते हैं। चौथे चरण में जन्म हो तो पिता को कष्ट मिलने की संभावना प्रबल होती है।

*१५.मघा नक्षत्र*
मघा नक्षत्र के पहले चरण में जन्म लेने वाले व्यक्ति के बड़े भाई का जीवन कष्टप्रद होता है। दूसरा चरण छोटे भाई, तीसरा माता और चौथा पिता को कष्ट पहुंचाता है।

*१६.आश्लेषा नक्षत्र*
आश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण में जन्म हो तो शुभ ,दूसरे में धन हानि ,तीसरे में माता को कष्ट तथा चौथे में पिता को कष्ट होता है. यह फल पहले दो वर्षों में ही मिल जाता है.


*१७.मघा नक्षत्र*
मघा नक्षत्र के पहले चरण में जन्म हो तो माता के पक्ष को हानि ,दूसरे में पिता को कष्ट तथा अन्य चरणों में शुभ होता है.


*१८.मूल नक्षत्र*
मूल नक्षत्र के पहले चरण में जन्म लेने वाले व्यक्ति के पिता को जीवनभर कष्ट मिलता है। दूसरे चरण में जन्म लेने वाले व्यक्ति की माता, तीसरे में धन की हानि होती है। जबकि चौथा चरण शुभ माना गया है।


*१९.गंड मूल नक्षत्रों की शांति के उपाय*
जन्म किस नक्षत्र में होगा यह तो अपने हाथ में नहीं होता। इसलिए गंड मूल नक्षत्रों में जन्म लेने वाले बच्चे के जीवन को सुखमय बनाने और बाधारहित रखने का जिम्मा उसके परिवार का होता है।


*२०.मूल शांति*
ज्योतिष विद्या के जानकारों के अनुसार परिवार वालों को अपनी संतान की मूल शांति करवानी चाहिए जिससे बहुत से दोष कम हो जाते हैं। इस दोष से मुक्ति पाने का तरीकी शांति पूजा है, जो सामान्य से थोड़ी ज्यादा तकनीकी होती है।


*२१.संबंधित देवता की पूजा*
जन्म के नक्षत्रों के अनुसार संबंधित देवता की पूजा करने से नक्षत्रों के नकारात्मक प्रभाव में कमी आती है।


*२२.गंड मूल शांति पूजा*
इन सब उपायों के अलावा अन्य भी कुछ उपाय ऐसे हैं जो ज्यादा प्रचलित हैं। जैसे कि गंड मूल में जन्में बच्चे के जन्म के ठीक २७वें दिन गंड मूल शांति पूजा करवाई जानी चाहिए, इसके अलावा ब्राह्मणों को दान, दक्षिणा देने और उन्हें भोजन करवाना चाहिए। यदि किसी कारणवश पूजा ना करवाई जा सके तो महीने के जिस भी दिन चंद्रमा जन्म नक्षत्र में मौजूद हो उसी दिन शांति पूजा करवाई लेनी चाहिए।


*विशेष नक्षत्रों के प्रभाव के बारे जानकारी के लिए कार्यालय पर संपर्क कर सकते है।*


सुचना 📵यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में आप कार्यालय पर संपर्क करें।


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Monday, 6 November 2023

।।🚩अनुष्ठान साधना हेतु🚩।।

*🌾Hari om 🙏🏻 हरि: ॐ🌾*
✨🌼✨🌼✨🌼✨🌼✨

*🎇🎇દિવાળી મોહોત્સવ🎇🎇*

આપને જણાવીએ છીએ કે આપના પુસ્તક , ચોપડા, લક્ષ્મીજી,બોલપેન,રોજમેળ,અથવા , ખાતાવહી, ધાર્મિક અનુષ્ઠાન પૂજા માટે  હર વર્ષ ની જેમ આજુ વખતે પણ જો આપને અમારા દ્વારા - કાર્ય કરવા નું હોય તો વહેલી તકે જણાવવા વિનંવિનંતી🙏🏻

*અથવા અમારા દ્વારા લેવા નું હોય આપની વાસ્તુ તો એ મુજબ જાણ કરવા વિનંતી.*

અથવા આપને જે પુસ્તક કે રોજમેળ ,ચોપડા,લેવા ના હોય તે અનુસાર ફોટા પાડી ને અમારા વોટ્સઅપ ઉપર ડિટેલ મોકલવા વિનંતી.

કેટલા નગ- પેઢી નું નામ,અથવા આપનું પૂરું નામ અને એડ્રેસ , જેથી આપની ધાર્મિક પૂજા કરી શકીએ.

વિશેષ જાણકારી માટે 
ગ્રહરાજ જ્યોતિષ કાર્યાલય
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99 04 29 52 48
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 ધાર્મિક અુષ્ઠાનો અને પૂજા થયા પછી આપને લાભ પાંચમ સુધી સામગ્રી મળશે નોંધ લેવી .
અથવા વહેલી મેળવવા માગતા ભક્તજન ને અમારો સંપર્ક કરી ને લઇ જવા ની રહસે.

બહાર ગામ ના વ્યક્તિ ને કેવળ ફોન કરી ને બુક કરાવી શકે છે .
કુરિયર દ્વારા એમને પ્રસાદ - સામગ્રી મોકલવા માં આવશે.

*દિવાલી ની હાર્દીક શુભેચ્છા*
જય દ્વારકાધિશ
જય શ્રી કૃષ્ણ

Hari Om
🔅🌾🔅🌾🌸🌾🔅🌾🔅

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Wednesday, 6 September 2023

।।श्रीकृष्णजयन्ती निर्णयः ।।

श्रीकृष्णजयन्ती निर्णयः

श्री गुरुभ्यो नमः हरिः ॐ श्रीमदानन्दतीर्थ भगवत्पादाचार्य विरचितः श्रीकृष्णजयन्ती निर्णयः रोहिण्या मध्यरात्रे तु यदा कृष्णाष्टमी भवेत् । जयन्ती नाम सा प्रोक्ता सर्वपापप्रणाशनी(नं) ॥ १॥ यस्यां जातो हरिः साक्षान्नि शेते भगवानजः । तस्मात्तद्दिनमत्यर्थं पुण्यं पापहरं शुभपरम् ॥ २॥ तस्मात्सर्वैर्रुपोश्या सा जयन्ती नाम सा(वै) सदा । द्विजातिभिर्विशेषेण तद्भक्तैश्च विशेषतः ॥ ३॥ यो भुङ्क्ते तद्दिने मोहा(लोभा)त् पूयशोणितमत्ति सः । तस्मादुपवासेन्नित्य(पुण्य)ं तद्दिने(नं) श्रद्धयान्वितः ॥ ४॥ कृत्वा शौचं यथा न्यायं स्नानं कुर्यादतंद्रितः । प्रभात काले कुर्वीत यूगायेत्यादिमन्त्रतः ॥ ५॥ नित्याह्निकं प्रकुर्वीत भगवन्तमनुस्मरन् । मध्याह्न काले च पुमान् सायङ्काले त्वतन्द्रितः ॥ ६॥ स्नायेत पूर्वमन्त्रेण वासुदेवमनुस्मरन् । ततः पूजां प्रकुर्वेत विधिवत्सुसमाहितः ॥ ७॥ यनायेति च मन्त्रेण श्रद्धाभक्तियुतः पुमान् । कृष्णं च बलभद्रं च वसुदेवं च देवकीम् ॥ ८॥ नन्दगोपं यशोदाञ्च सुभद्रां तत्र पूजयेत् । (अर्घ्यं दत्वा समभ्यच्यार्भ्युधिते शशिमण्डले) । जातः कंसवधार्ताय भूभारोत्थारणाय च ॥ ९॥ कौरवानां विनाशाय दैत्यानां निधनाय च । पाण्डवानां हितार्थाय धर्मसंस्थापनाय च ॥ १०। गृहाणर्घ्यं मया दत्तं देवक्या सहितो हरिः । अर्घ्यं दत्वासमभ्यर्च्याभ्युदिते शशिमण्डले ॥ ११॥ क्षीरोदार्णवसम्भूत अत्रिनेत्र समुद्भवः । गृहाणर्घ्यं मया दत्तं रोहिण्या सहितः शशिम् ॥ १२॥ दत्वार्घ्यं मनुनानेन उपस्थाय विधुं बुधः । शशिने चन्द्रदेवाय सोमदेवाय छेन्दवे ॥ १३॥ मृगिणे शी(सि)त बिम्बाय लोकदीपाय दीपिणे । (रोहिणीसक्तचित्ताय कन्यादानप्रदायिने) शीतदीदितिबिम्बाय तारकापतये नमः ॥ १४॥ उपसम्हृत्य तत्सर्वं ब्रह्मचारी जितेन्द्रियः । विश्वायेति च मन्त्रेण ततः स्वापं समाचरेत् ॥ १५॥ ततो नित्यान्हि कं कृत्वा शक्तितो दीयतां धनम् । सर्वायेति च मन्त्रेण ततः पारणमाचरेत् । धर्मायेति ततः स्वस्थो मुच्यते सर्वकिल्बिषैः ॥ १६॥ ॥ इति श्रीमदानन्दतीर्थ भगवत्पादाचार्य विरचितम् ॥

*समय तालिका मैं सामान्य परिवर्तन हो सकता हैं।*

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*🚩🌺वैष्णव कृष्ण जन्माष्टमी 2023🌺🚩*

*🚩🌺वैष्णव कृष्ण जन्माष्टमी🌺🚩*

*दिनांक 07 सितम्बर  2023 गुरुवार*

*🌾भगवान श्रीकृष्ण का 5250 जन्मोत्सव🌾*
GrahRaj Astrology ज्योतिष-वास्तु-धार्मिकपूजा 

निशिता पूजा का समय - 12:26 ए एम से 01:13 ए एम, सितम्बर 08

*अवधि - 00 घण्टे 46 मिनट्स*

*वैष्णव के अनुसार पारण समय*
*पारण समय - 06:36 ए एम, सितम्बर 08 के बाद*

पारण के दिन अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र सूर्योदय से पहले समाप्त हो गये।

*मध्यरात्रि का क्षण - 12:50 ए एम, सितम्बर 08*

*चन्द्रोदय समय - 12:32 ए एम,* 


अष्टमी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 06, 2023 को 03:37 पी एम बजे

अष्टमी तिथि समाप्त - सितम्बर 07, 2023 को 04:14 पी एम बजे

*रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ - सितम्बर 06, 2023 को 09:20 ए एम बजे*

*रोहिणी नक्षत्र समाप्त - सितम्बर 07, 2023 को 10:25 ए एम बजे*

*भारत में कई स्थानों पर, पारण निशिता यानी हिन्दु मध्यरात्रि के बाद किया जाता है।*

GrahRaj Astrology ज्योतिष-वास्तु-धार्मिकपूजा 

*स्थानिक समय देवभूमि द्वारका गुजरात से है। सामान्य समय तालिका में परिवर्तन हो सकता है।*


*🔅भारत के अन्य शहरों में कृष्ण जन्माष्टमी मुहूर्त🔅*

12:10 ए एम से 12:56 ए एम, सितम्बर 07 - पुणे

*11:57 पी एम से 12:42 ए एम, सितम्बर 07 - नई दिल्ली*

11:44 पी एम से 12:31 ए एम, सितम्बर 07 - चेन्नई

*12:02 ए एम से 12:48 ए एम, सितम्बर 07 - जयपुर*

11:51 पी एम से 12:38 ए एम, सितम्बर 07 - हैदराबाद

GrahRaj Astrology ज्योतिष-वास्तु-धार्मिकपूजा 

*11:58 पी एम से 12:43 ए एम, सितम्बर 07 - गुरुग्राम*

11:59 पी एम से 12:44 ए एम, सितम्बर 07 - चण्डीगढ़

*11:12 पी एम से 11:58 पी एम - कोलकाता*

12:14 ए एम से 01:00 ए एम, सितम्बर 07 - मुम्बई

*11:55 पी एम से 12:41 ए एम, सितम्बर 07 - बेंगलूरु*

12:15 ए एम से 01:01 ए एम, सितम्बर 07 - अहमदाबाद

*11:56 पी एम से 12:42 ए एम, सितम्बर 07 - नोएडा*

🔅💢🔅💢🔅💢🔅💢🔅
*कृष्ण जन्माष्टमी के दो अलग-अलग दिनों के विषय में*
*अधिकतर कृष्ण जन्माष्टमी दो अलग-अलग दिनों पर हो जाती है। जब-जब ऐसा होता है, तब पहले दिन वाली जन्माष्टमी स्मार्त सम्प्रदाय के लोगो के लिये और दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोगो के लिये होती है।*

।। ॐ तत् सत्  ।।

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Tuesday, 5 September 2023

*🪴🌺जन्माष्टमी स्मार्त 2023🌺🪴*

*🪴🌺जन्माष्टमी स्मार्त 🌺🪴*
Dt.06/09/2023 बुधवार
श्रावण मास शुक्ल पक्ष 7 तिथि 

*🚩जन्माष्टमी महोत्सव🚩2023*


*भगवान श्रीकृष्ण का 5250 वाँ जन्मोत्सव*


*दिनाँक 06/09/2023 बुधवार*

निशिता पूजा का समय - 12:27 ए एम से 01:13 ए एम, सितम्बर 07

*अवधि - 00 घण्टे 46 मिनट्स*

दही हाण्डी बृहस्पतिवार, सितम्बर 7, 2023 को

*धर्म शास्त्र के अनुसार पारण समय पारण समय - 04:14 पी एम,*

सितम्बर 07 के बाद
पारण के दिन अष्टमी तिथि का समाप्ति समय - 04:14 पी एम

*पारण के दिन रोहिणी नक्षत्र का समाप्ति समय - 10:25 ए एम*

धर्म शास्त्र के अनुसार वैकल्पिक पारण समय

*पारण समय - 06:36 ए एम, सितम्बर 07 के बाद*

देव पूजा, विसर्जन आदि के बाद अगले दिन सूर्योदय पर पारण किया जा सकता है।

*वर्तमान में समाज में प्रचलित पारण समय*

पारण समय - 01:13 ए एम, सितम्बर 07 के बाद

*भारत में कई स्थानों पर, पारण निशिता यानी हिन्दु मध्यरात्रि के बाद किया जाता है।*

*स्थानिक समय देवभूमि द्वारका गुजरात से है। सामान्य समय तालिका में परिवर्तन हो सकता है।*

*मध्यरात्रि का क्षण - 12:50 ए एम, सितम्बर 07*

*चन्द्रोदय समय - 11:43 पी एम*

*अष्टमी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 06, 2023 को 03:37 पी एम बजे*
*अष्टमी तिथि समाप्त - सितम्बर 07, 2023 को 04:14 पी एम बजे*

*रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ - सितम्बर 06, 2023 को 09:20 ए एम बजे*
*रोहिणी नक्षत्र समाप्त - सितम्बर 07, 2023 को 10:25 ए एम बजे*


 कृष्ण जन्माष्टमी के दो अलग-अलग दिनों के विषय में
अधिकतर कृष्ण जन्माष्टमी दो अलग-अलग दिनों पर हो जाती है। जब-जब ऐसा होता है, तब पहले दिन वाली जन्माष्टमी स्मार्त सम्प्रदाय के लोगो के लिये और दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोगो के लिये होती है।

 ।। ॐ तत् सत्  ।।

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Thursday, 20 July 2023

।।श्रीगणपतिसहस्रनामावली।।


श्रीगणपतिसहस्रनामावली

अस्य श्रीमहागणपतिसहस्रनामस्तोत्रमालामन्त्रस्य । गणेश ऋषिः । महागणपतिर्देवता । नानाविधानिच्छन्दांसि । हुमिति बीजम् । तुङ्गमिति शक्तिः । स्वाहाशक्तिरिति कीलकम् ॥ अथ करन्यासः । गणेश्वरो गणक्रीड इत्यङ्गुष्ठाभ्यां नमः । कुमारगुरुरीशान इति तर्जनीभ्यां नमः ॥ १॥ ब्रह्माण्डकुम्भश्चिद्व्योमेति मध्यमाभ्यां नमः । रक्तो रक्ताम्बरधर इत्यनामिकाभ्यां नमः ॥ २॥ सर्वसद्गुरुसंसेव्य इति कनिष्ठिकाभ्यां नमः । लुप्तविघ्नः स्वभक्तानामिति करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ॥ ३॥ अथ हृदयादिन्यासः । छन्दश्छन्दोद्भव इति हृदयाय नमः । निष्कलो निर्मल इति शिरसे स्वाहा । सृष्टिस्थितिलयक्रीड इति शिखायै वषट् । ज्ञानं विज्ञानमानन्द इति कवचाय हुम् । अष्टाङ्गयोगफलभृदिति नेत्रत्रयाय वौषट् । अनन्तशक्तिसहित इत्यस्त्राय फट् । भूर्भुवः स्वरोम् इति दिग्बन्धः ॥ अथ ध्यानम् । गजवदनमचिन्त्यं तीक्ष्णदंष्ट्रं त्रिनेत्रं बृहदुदरमशेषं भूतिराजं पुराणम् । अमरवरसुपूज्यं रक्तवर्णं सुरेशं पशुपतिसुतमीशं विघ्नराजं नमामि ॥ १॥ सकलविघ्नविनाशनद्वारा श्रीमहागणपतिप्रसादसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ॥ श्रीगणपतिरुवाच । अथ श्रीगणपतिसहस्रनामावलिः । ॐ गणेश्वराय नमः । ॐ गणक्रीडाय नमः । ॐ गणनाथाय नमः । ॐ गणाधिपाय नमः । ॐ एकदंष्ट्राय नमः । ॐ वक्रतुण्डाय नमः । ॐ गजवक्त्राय नमः । ॐ महोदराय नमः । ॐ लम्बोदराय नमः । ॐ धूम्रवर्णाय नमः । ॐ विकटाय नमः । ॐ विघ्ननायकाय नमः । ॐ सुमुखाय नमः । ॐ दुर्मुखाय नमः । ॐ बुद्धाय नमः । ॐ विघ्नराजाय नमः । ॐ गजाननाय नमः । ॐ भीमाय नमः । ॐ प्रमोदाय नमः । ॐ आमोदाय नमः । ॐ सुरानन्दाय नमः । ॐ मदोत्कटाय नमः । ॐ हेरम्बाय नमः । ॐ शम्बराय नमः । ॐ शम्भवे नमः । ॐ लम्बकर्णाय नमः । ॐ महाबलाय नमः । ॐ नन्दनाय नमः । ॐ अलम्पटाय नमः । ॐ अभीरवे नमः । ॐ मेघनादाय नमः । ॐ गणञ्जयाय नमः । ॐ विनायकाय नमः । ॐ विरूपाक्षाय नमः । ॐ धीरशूराय नमः । ॐ वरप्रदाय नमः । ॐ महागणपतये नमः । ॐ बुद्धिप्रियाय नमः । ॐ क्षिप्रप्रसादनाय नमः । ॐ रुद्रप्रियाय नमः । ॐ गणाध्यक्षाय नमः । ॐ उमापुत्राय नमः । ॐ अघनाशनाय नमः । ॐ कुमारगुरवे नमः । ॐ ईशानपुत्राय नमः । ॐ मूषकवाहनाय नमः । ॐ सिद्धिप्रियाय नमः । ॐ सिद्धिपतये नमः । ॐ सिद्धये नमः । ॐ सिद्धिविनायकाय नमः । ॐ अविघ्नाय नमः । ॐ तुम्बुरवे नमः । ॐ सिंहवाहनाय नमः । ॐ मोहिनीप्रियाय नमः । ॐ कटङ्कटाय नमः । ॐ राजपुत्राय नमः । ॐ शालकाय नमः । ॐ सम्मिताय नमः । ॐ अमिताय नमः । ॐ कूष्माण्ड सामसम्भूतये नमः । ॐ दुर्जयाय नमः । ॐ धूर्जयाय नमः । ॐ जयाय नमः । ॐ भूपतये नमः । ॐ भुवनपतये नमः । ॐ भूतानां पतये नमः । ॐ अव्ययाय नमः । ॐ विश्वकर्त्रे नमः । ॐ विश्वमुखाय नमः । ॐ विश्वरूपाय नमः । ॐ निधये नमः । ॐ घृणये नमः । ॐ कवये नमः । ॐ कवीनामृषभाय नमः । ॐ ब्रह्मण्याय नमः । ॐ ब्रह्मणस्पतये नमः । ॐ ज्येष्ठराजाय नमः । ॐ निधिपतये नमः । ॐ निधिप्रियपतिप्रियाय नमः । ॐ हिरण्मयपुरान्तःस्थाय नमः । ॐ सूर्यमण्डलमध्यगाय नमः । ॐ कराहतिविध्वस्तसिन्धुसलिलाय नमः । ॐ पूषदंतभिदे नमः । ॐ उमाङ्ककेलिकुतुकिने नमः । ॐ मुक्तिदाय नमः । ॐ कुलपालनाय नमः । ॐ किरीटिने नमः । ॐ कुण्डलिने नमः । ॐ हारिणे नमः । ॐ वनमालिने नमः । ॐ मनोमयाय नमः । ॐ वैमुख्यहतदैत्यश्रिये नमः । ॐ पादाहतिजितक्षितये नमः । ॐ सद्योजातस्वर्णमुञ्जमेखलिने नमः । ॐ दुर्निमित्तहृते नमः । ॐ दुःस्वप्नहृते नमः । ॐ प्रसहनाय नमः । ॐ गुणिने नमः । ॐ नादप्रतिष्ठिताय नमः । ॐ सुरूपाय नमः ॥ १००॥ ॐ सर्वनेत्राधिवासाय नमः । ॐ वीरासनाश्रयाय नमः । ॐ पीताम्बराय नमः । ॐ खण्डरदाय नमः । ॐ खण्डेन्दुकृतशेखराय नमः । ॐ चित्राङ्कश्यामदशनाय नमः । ॐ भालचन्द्राय नमः । ॐ चतुर्भुजाय नमः । ॐ योगाधिपाय नमः । ॐ तारकस्थाय नमः । ॐ पुरुषाय नमः । ॐ गजकर्णाय नमः । ॐ गणाधिराजाय नमः । ॐ विजयस्थिराय नमः । ॐ गजपतिर्ध्वजिने नमः । ॐ देवदेवाय नमः । ॐ स्मरप्राणदीपकाय नमः । ॐ वायुकीलकाय नमः । ॐ विपश्चिद् वरदाय नमः । ॐ नादोन्नादभिन्नबलाहकाय नमः । ॐ वराहरदनाय नमः । ॐ मृत्युंजयाय नमः । ॐ व्याघ्राजिनाम्बराय नमः । ॐ इच्छाशक्तिधराय नमः । ॐ देवत्रात्रे नमः । ॐ दैत्यविमर्दनाय नमः । ॐ शम्भुवक्त्रोद्भवाय नमः । ॐ शम्भुकोपघ्ने नमः । ॐ शम्भुहास्यभुवे नमः । ॐ शम्भुतेजसे नमः । ॐ शिवाशोकहारिणे नमः । ॐ गौरीसुखावहाय नमः । ॐ उमाङ्गमलजाय नमः । ॐ गौरीतेजोभुवे नमः । ॐ स्वर्धुनीभवाय नमः । ॐ यज्ञकायाय नमः । ॐ महानादाय नमः । ॐ गिरिवर्ष्मणे नमः । ॐ शुभाननाय नमः । ॐ सर्वात्मने नमः । ॐ सर्वदेवात्मने नमः । ॐ ब्रह्ममूर्ध्ने नमः । ॐ ककुप् श्रुतये नमः । ॐ ब्रह्माण्डकुम्भाय नमः । ॐ चिद् व्योमभालाय नमः । ॐ सत्यशिरोरुहाय नमः । ॐ जगज्जन्मलयोन्मेषनिमेषाय नमः । ॐ अग्न्यर्कसोमदृशे नमः । ॐ गिरीन्द्रैकरदाय नमः । ॐ धर्माधर्मोष्ठाय नमः । ॐ सामबृंहिताय नमः । ॐ ग्रहर्क्षदशनाय नमः । ॐ वाणीजिह्वाय नमः । ॐ वासवनासिकाय नमः । ॐ कुलाचलांसाय नमः । ॐ सोमार्कघण्टाय नमः । ॐ रुद्रशिरोधराय नमः । ॐ नदीनदभुजाय नमः । ॐ सर्पाङ्गुलीकाय नमः । ॐ तारकानखाय नमः । ॐ भ्रूमध्यसंस्थितकराय नमः । ॐ ब्रह्मविद्यामदोत्कटाय नमः । ॐ व्योमनाभये नमः । ॐ श्रीहृदयाय नमः । ॐ मेरुपृष्ठाय नमः । ॐ अर्णवोदराय नमः । ॐ कुक्षिस्थयक्षगन्धर्व रक्षःकिन्नरमानुषाय नमः । ॐ पृथ्विकटये नमः । ॐ सृष्टिलिङ्गाय नमः । ॐ शैलोरवे नमः । ॐ दस्रजानुकाय नमः । ॐ पातालजंघाय नमः । ॐ मुनिपदे नमः । ॐ कालाङ्गुष्ठाय नमः । ॐ त्रयीतनवे नमः । ॐ ज्योतिर्मण्डललांगूलाय नमः । ॐ हृदयालाननिश्चलाय नमः । ॐ हृत्पद्मकर्णिकाशालिवियत्केलिसरोवराय नमः । ॐ सद्भक्तध्याननिगडाय नमः । ॐ पूजावारिनिवारिताय नमः । ॐ प्रतापिने नमः । ॐ कश्यपसुताय नमः । ॐ गणपाय नमः । ॐ विष्टपिने नमः । ॐ बलिने नमः । ॐ यशस्विने नमः । ॐ धार्मिकाय नमः । ॐ स्वोजसे नमः । ॐ प्रथमाय नमः । ॐ प्रथमेश्वराय नमः । ॐ चिन्तामणिद्वीप पतये नमः । ॐ कल्पद्रुमवनालयाय नमः । ॐ रत्नमण्डपमध्यस्थाय नमः । ॐ रत्नसिंहासनाश्रयाय नमः । ॐ तीव्राशिरोद्धृतपदाय नमः । ॐ ज्वालिनीमौलिलालिताय नमः । ॐ नन्दानन्दितपीठश्रिये नमः । ॐ भोगदाभूषितासनाय नमः । ॐ सकामदायिनीपीठाय नमः । ॐ स्फुरदुग्रासनाश्रयाय नमः ॥ २००॥ ॐ तेजोवतीशिरोरत्नाय नमः । ॐ सत्यानित्यावतंसिताय नमः । ॐ सविघ्ननाशिनीपीठाय नमः । ॐ सर्वशक्त्यम्बुजाश्रयाय नमः । ॐ लिपिपद्मासनाधाराय नमः । ॐ वह्निधामत्रयाश्रयाय नमः । ॐ उन्नतप्रपदाय नमः । ॐ गूढगुल्फाय नमः । ॐ संवृतपार्ष्णिकाय नमः । ॐ पीनजंघाय नमः । ॐ श्लिष्टजानवे नमः । ॐ स्थूलोरवे नमः । ॐ प्रोन्नमत्कटये नमः । ॐ निम्ननाभये नमः । ॐ स्थूलकुक्षये नमः । ॐ पीनवक्षसे नमः । ॐ बृहद्भुजाय नमः । ॐ पीनस्कन्धाय नमः । ॐ कम्बुकण्ठाय नमः । ॐ लम्बोष्ठाय नमः । ॐ लम्बनासिकाय नमः । ॐ भग्नवामरदाय नमः । ॐ तुङ्गसव्यदन्ताय नमः । ॐ महाहनवे नमः । ॐ ह्रस्वनेत्रत्रयाय नमः । ॐ शूर्पकर्णाय नमः । ॐ निबिडमस्तकाय नमः । ॐ स्तबकाकारकुम्भाग्राय नमः । ॐ रत्नमौलये नमः । ॐ निरङ्कुशाय नमः । ॐ सर्पहारकटिसूत्राय नमः । ॐ सर्पयज्ञोपवीतये नमः । ॐ सर्पकोटीरकटकाय नमः । ॐ सर्पग्रैवेयकाङ्गदाय नमः । ॐ सर्पकक्ष्योदराबन्धाय नमः । ॐ सर्पराजोत्तरीयकाय नमः । ॐ रक्ताय नमः । ॐ रक्ताम्बरधराय नमः । ॐ रक्तमाल्यविभूषणाय नमः । ॐ रक्तेक्षणाय नमः । ॐ रक्तकराय नमः । ॐ रक्तताल्वोष्ठपल्लवाय नमः । ॐ श्वेताय नमः । ॐ श्वेताम्बरधराय नमः । ॐ श्वेतमाल्यविभूषणाय नमः । ॐ श्वेतातपत्ररुचिराय नमः । ॐ श्वेतचामरवीजिताय नमः । ॐ सर्वावयवसम्पूर्णसर्वलक्षणलक्षिताय नमः । ॐ सर्वाभरणशोभाढ्याय नमः । ॐ सर्वशोभासमन्विताय नमः । ॐ सर्वमङ्गलमाङ्गल्याय नमः । ॐ सर्वकारणकारणाय नमः । ॐ सर्वदैककराय नमः । ॐ शार्ङ्गिणे नमः । ॐ बीजापूरिणे नमः । ॐ गदाधराय नमः । ॐ इक्षुचापधराय नमः । ॐ शूलिने नमः । ॐ चक्रपाणये नमः । ॐ सरोजभृते नमः । ॐ पाशिने नमः । ॐ धृतोत्पलाय नमः । ॐ शालीमञ्जरीभृते नमः । ॐ स्वदन्तभृते नमः । ॐ कल्पवल्लीधराय नमः । ॐ विश्वाभयदैककराय नमः । ॐ वशिने नमः । ॐ अक्षमालाधराय नमः । ॐ ज्ञानमुद्रावते नमः । ॐ मुद्गरायुधाय नमः । ॐ पूर्णपात्रिणे नमः । ॐ कम्बुधराय नमः । ॐ विधृतालिसमुद्गकाय नमः । ॐ मातुलिङ्गधराय नमः । ॐ चूतकलिकाभृते नमः । ॐ कुठारवते नमः । ॐ पुष्करस्थस्वर्णघटीपूर्णरत्नाभिवर्षकाय नमः । ॐ भारतीसुन्दरीनाथाय नमः । ॐ विनायकरतिप्रियाय नमः । ॐ महालक्ष्मी प्रियतमाय नमः । ॐ सिद्धलक्ष्मीमनोरमाय नमः । ॐ रमारमेशपूर्वाङ्गाय नमः । ॐ दक्षिणोमामहेश्वराय नमः । ॐ महीवराहवामाङ्गाय नमः । ॐ रविकन्दर्पपश्चिमाय नमः । ॐ आमोदप्रमोदजननाय नमः । ॐ सप्रमोदप्रमोदनाय नमः । ॐ समेधितसमृद्धिश्रिये नमः । ॐ ऋद्धिसिद्धिप्रवर्तकाय नमः । ॐ दत्तसौख्यसुमुखाय नमः । ॐ कान्तिकन्दलिताश्रयाय नमः । ॐ मदनावत्याश्रितांघ्रये नमः । ॐ कृत्तदौर्मुख्यदुर्मुखाय नमः । ॐ विघ्नसम्पल्लवोपघ्नाय नमः । ॐ सेवोन्निद्रमदद्रवाय नमः । ॐ विघ्नकृन्निघ्नचरणाय नमः । ॐ द्राविणीशक्ति सत्कृताय नमः । ॐ तीव्राप्रसन्ननयनाय नमः । ॐ ज्वालिनीपालतैकदृशे नमः । ॐ मोहिनीमोहनाय नमः ॥ ३००॥ ॐ भोगदायिनीकान्तिमण्डिताय नमः । ॐ कामिनीकान्तवक्त्रश्रिये नमः । ॐ अधिष्ठित वसुन्धराय नमः । ॐ वसुन्धरामदोन्नद्धमहाशङ्खनिधिप्रभवे नमः । ॐ नमद्वसुमतीमौलिमहापद्मनिधिप्रभवे नमः । ॐ सर्वसद्गुरुसंसेव्याय नमः । ॐ शोचिष्केशहृदाश्रयाय नमः । ॐ ईशानमूर्ध्ने नमः । ॐ देवेन्द्रशिखायै नमः । ॐ पवननन्दनाय नमः । ॐ अग्रप्रत्यग्रनयनाय नमः । ॐ दिव्यास्त्राणां प्रयोगविदे नमः । ॐ ऐरावतादिसर्वाशावारणावरणप्रियाय नमः । ॐ वज्राद्यस्त्रपरिवाराय नमः । ॐ गणचण्डसमाश्रयाय नमः । ॐ जयाजयापरिवाराय नमः । ॐ विजयाविजयावहाय नमः । ॐ अजितार्चितपादाब्जाय नमः । ॐ नित्यानित्यावतंसिताय नमः । ॐ विलासिनीकृतोल्लासाय नमः । ॐ शौण्डीसौन्दर्यमण्डिताय नमः । ॐ अनन्तानन्तसुखदाय नमः । ॐ सुमङ्गलसुमङ्गलाय नमः । ॐ इच्छाशक्तिज्ञानशक्तिक्रियाशक्तिनिषेविताय नमः । ॐ सुभगासंश्रितपदाय नमः । ॐ ललिताललिताश्रयाय नमः । ॐ कामिनीकामनाय नमः । ॐ काममालिनीकेलिललिताय नमः । ॐ सरस्वत्याश्रयाय नमः । ॐ गौरीनन्दनाय नमः । ॐ श्रीनिकेतनाय नमः । ॐ गुरुगुप्तपदाय नमः । ॐ वाचासिद्धाय नमः । ॐ वागीश्वरीपतये नमः । ॐ नलिनीकामुकाय नमः । ॐ वामारामाय नमः । ॐ ज्येष्ठामनोरमाय नमः । ॐ रौद्रिमुद्रितपादाब्जाय नमः । ॐ हुंबीजाय नमः । ॐ तुङ्गशक्तिकाय नमः । ॐ विश्वादिजननत्राणाय नमः । ॐ स्वाहाशक्तये नमः । ॐ सकीलकाय नमः । ॐ अमृताब्धिकृतावासाय नमः । ॐ मदघूर्णितलोचनाय नमः । ॐ उच्छिष्टगणाय नमः । ॐ उच्छिष्टगणेशाय नमः । ॐ गणनायकाय नमः । ॐ सर्वकालिकसंसिद्धये नमः । ॐ नित्यशैवाय नमः । ॐ दिगम्बराय नमः । ॐ अनपाय नमः । ॐ अनन्तदृष्टये नमः । ॐ अप्रमेयाय नमः । ॐ अजरामराय नमः । ॐ अनाविलाय नमः । ॐ अप्रतिरथाय नमः । ॐ अच्युताय नमः । ॐ अमृताय नमः । ॐ अक्षराय नमः । ॐ अप्रतर्क्याय नमः । ॐ अक्षयाय नमः । ॐ अजय्याय नमः । ॐ अनाधाराय नमः । ॐ अनामयाय नमः । ॐ अमलाय नमः । ॐ अमोघसिद्धये नमः । ॐ अद्वैताय नमः । ॐ अघोराय नमः । ॐ अप्रमिताननाय नमः । ॐ अनाकाराय नमः । ॐ अब्धिभूम्याग्निबलघ्नाय नमः । ॐ अव्यक्तलक्षणाय नमः । ॐ आधारपीठाय नमः । ॐ आधाराय नमः । ॐ आधाराधेयवर्जिताय नमः । ॐ आखुकेतनाय नमः । ॐ आशापूरकाय नमः । ॐ आखुमहारथाय नमः । ॐ इक्षुसागरमध्यस्थाय नमः । ॐ इक्षुभक्षणलालसाय नमः । ॐ इक्षुचापातिरेकश्रिये नमः । ॐ इक्षुचापनिषेविताय नमः । ॐ इन्द्रगोपसमानश्रिये नमः । ॐ इन्द्रनीलसमद्युतये नमः । ॐ इन्दिवरदलश्यामाय नमः । ॐ इन्दुमण्डलनिर्मलाय नमः । ॐ इष्मप्रियाय नमः । ॐ इडाभागाय नमः । ॐ इराधाम्ने नमः । ॐ इन्दिराप्रियाय नमः । ॐ इअक्ष्वाकुविघ्नविध्वंसिने नमः । ॐ इतिकर्तव्यतेप्सिताय नमः । ॐ ईशानमौलये नमः । ॐ ईशानाय नमः । ॐ ईशानसुताय नमः । ॐ ईतिघ्ने नमः । ॐ ईषणात्रयकल्पान्ताय नमः । ॐ ईहामात्रविवर्जिताय नमः । ॐ उपेन्द्राय नमः ॥ ४००॥ ॐ उडुभृन्मौलये नमः । ॐ उण्डेरकबलिप्रियाय नमः । ॐ उन्नताननाय नमः । ॐ उत्तुङ्गाय नमः । ॐ उदारत्रिदशाग्रण्ये नमः । ॐ उर्जस्वते नमः । ॐ उष्मलमदाय नमः । ॐ ऊहापोहदुरासदाय नमः । ॐ ऋग्यजुस्सामसम्भूतये नमः । ॐ ऋद्धिसिद्धिप्रवर्तकाय नमः । ॐ ऋजुचित्तैकसुलभाय नमः । ॐ ऋणत्रयमोचकाय नमः । ॐ स्वभक्तानां लुप्तविघ्नाय नमः । ॐ सुरद्विषांलुप्तशक्तये नमः । ॐ विमुखार्चानां लुप्तश्रिये नमः । ॐ लूताविस्फोटनाशनाय नमः । ॐ एकारपीठमध्यस्थाय नमः । ॐ एकपादकृतासनाय नमः । ॐ एजिताखिलदैत्यश्रिये नमः । ॐ एधिताखिलसंश्रयाय नमः । ॐ ऐश्वर्यनिधये नमः । ॐ ऐश्वर्याय नमः । ॐ ऐहिकामुष्मिकप्रदाय नमः । ॐ ऐरम्मदसमोन्मेषाय नमः । ॐ ऐरावतनिभाननाय नमः । ॐ ओंकारवाच्याय नमः । ॐ ओंकाराय नमः । ॐ ओजस्वते नमः । ॐ ओषधीपतये नमः । ॐ औदार्यनिधये नमः । ॐ औद्धत्यधुर्याय नमः । ॐ औन्नत्यनिस्स्वनाय नमः । ॐ सुरनागानामङ्कुशाय नमः । ॐ सुरविद्विषामङ्कुशाय नमः । ॐ अःसमस्तविसर्गान्तपदेषु परिकीर्तिताय नमः । ॐ कमण्डलुधराय नमः । ॐ कल्पाय नमः । ॐ कपर्दिने नमः । ॐ कलभाननाय नमः । ॐ कर्मसाक्षिणे नमः । ॐ कर्मकर्त्रे नमः । ॐ कर्माकर्मफलप्रदाय नमः । ॐ कदम्बगोलकाकाराय नमः । ॐ कूष्माण्डगणनायकाय नमः । ॐ कारुण्यदेहाय नमः । ॐ कपिलाय नमः । ॐ कथकाय नमः । ॐ कटिसूत्रभृते नमः । ॐ खर्वाय नमः । ॐ खड्गप्रियाय नमः । ॐ खड्गखान्तान्तः स्थाय नमः । ॐ खनिर्मलाय नमः । ॐ खल्वाटश‍ृंगनिलयाय नमः । ॐ खट्वाङ्गिने नमः । ॐ खदुरासदाय नमः । ॐ गुणाढ्याय नमः । ॐ गहनाय नमः । ॐ ग-स्थाय नमः । ॐ गद्यपद्यसुधार्णवाय नमः । ॐ गद्यगानप्रियाय नमः । ॐ गर्जाय नमः । ॐ गीतगीर्वाणपूर्वजाय नमः । ॐ गुह्याचाररताय नमः । ॐ गुह्याय नमः । ॐ गुह्यागमनिरूपिताय नमः । ॐ गुहाशयाय नमः । ॐ गुहाब्धिस्थाय नमः । ॐ गुरुगम्याय नमः । ॐ गुरोर्गुरवे नमः । ॐ घण्टाघर्घरिकामालिने नमः । ॐ घटकुम्भाय नमः । ॐ घटोदराय नमः । ॐ चण्डाय नमः । ॐ चण्डेश्वरसुहृदे नमः । ॐ चण्डीशाय नमः । ॐ चण्डविक्रमाय नमः । ॐ चराचरपतये नमः । ॐ चिन्तामणिचर्वणलालसाय नमः । ॐ छन्दसे नमः । ॐ छन्दोवपुषे नमः । ॐ छन्दोदुर्लक्ष्याय नमः । ॐ छन्दविग्रहाय नमः । ॐ जगद्योनये नमः । ॐ जगत्साक्षिणे नमः । ॐ जगदीशाय नमः । ॐ जगन्मयाय नमः । ॐ जपाय नमः । ॐ जपपराय नमः । ॐ जप्याय नमः । ॐ जिह्वासिंहासनप्रभवे नमः । ॐ झलज्झलोल्लसद्दान झंकारिभ्रमराकुलाय नमः । ॐ टङ्कारस्फारसंरावाय नमः । ॐ टङ्कारिमणिनूपुराय नमः । ॐ ठद्वयीपल्लवान्तःस्थ सर्वमन्त्रैकसिद्धिदाय नमः । ॐ डिण्डिमुण्डाय नमः । ॐ डाकिनीशाय नमः । ॐ डामराय नमः । ॐ डिण्डिमप्रियाय नमः । ॐ ढक्कानिनादमुदिताय नमः । ॐ ढौकाय नमः ॥५००॥ ॐ ढुण्ढिविनायकाय नमः । ॐ तत्त्वानां परमाय तत्त्वाय नमः । ॐ तत्त्वम्पदनिरूपिताय नमः । ॐ तारकान्तरसंस्थानाय नमः । ॐ तारकाय नमः । ॐ तारकान्तकाय नमः । ॐ स्थाणवे नमः । ॐ स्थाणुप्रियाय नमः । ॐ स्थात्रे नमः । ॐ स्थावराय जङ्गमाय जगते नमः । ॐ दक्षयज्ञप्रमथनाय नमः । ॐ दात्रे नमः । ॐ दानवमोहनाय नमः । ॐ दयावते नमः । ॐ दिव्यविभवाय नमः । ॐ दण्डभृते नमः । ॐ दण्डनायकाय नमः । ॐ दन्तप्रभिन्नाभ्रमालाय नमः । ॐ दैत्यवारणदारणाय नमः । ॐ दंष्ट्रालग्नद्विपघटाय नमः । ॐ देवार्थनृगजाकृतये नमः । ॐ धनधान्यपतये नमः । ॐ धन्याय नमः । ॐ धनदाय नमः । ॐ धरणीधराय नमः । ॐ ध्यानैकप्रकटाय नमः । ॐ ध्येयाय नमः । ॐ ध्यानाय नमः । ॐ ध्यानपरायणाय नमः । ॐ नन्द्याय नमः । ॐ नन्दिप्रियाय नमः । ॐ नादाय नमः । ॐ नादमध्यप्रतिष्ठिताय नमः । ॐ निष्कलाय नमः । ॐ निर्मलाय नमः । ॐ नित्याय नमः । ॐ नित्यानित्याय नमः । ॐ निरामयाय नमः । ॐ परस्मै व्योम्ने नमः । ॐ परस्मै धाम्मे नमः । ॐ परमात्मने नमः । ॐ परस्मै पदाय नमः । ॐ परात्पराय नमः । ॐ पशुपतये नमः । ॐ पशुपाशविमोचकाय नमः । ॐ पूर्णानन्दाय नमः । ॐ परानन्दाय नमः । ॐ पुराणपुरुषोत्तमाय नमः । ॐ पद्मप्रसन्ननयनाय नमः । ॐ प्रणताज्ञानमोचकाय नमः । ॐ प्रमाणप्रत्यायातीताय नमः । ॐ प्रणतार्तिनिवारणाय नमः । ॐ फलहस्ताय नमः । ॐ फणिपतये नमः । ॐ फेत्काराय नमः । ॐ फणितप्रियाय नमः । ॐ बाणार्चितांघ्रियुगुलाय नमः । ॐ बालकेलिकुतूहलिने नमः । ॐ ब्रह्मणे नमः । ॐ ब्रह्मार्चितपदाय नमः । ॐ ब्रह्मचारिणे नमः । ॐ बृहस्पतये नमः । ॐ बृहत्तमाय नमः । ॐ ब्रह्मपराय नमः । ॐ ब्रह्मण्याय नमः । ॐ ब्रह्मवित्प्रियाय नमः । ॐ बृहन्नादाग्र्यचीत्काराय नमः । ॐ ब्रह्माण्डावलिमेखलाय नमः । ॐ भ्रूक्षेपदत्तलक्ष्मीकाय नमः । ॐ भर्गाय नमः । ॐ भद्राय नमः । ॐ भयापहाय नमः । ॐ भगवते नमः । ॐ भक्तिसुलभाय नमः । ॐ भूतिदाय नमः । ॐ भूतिभूषणाय नमः । ॐ भव्याय नमः । ॐ भूतालयाय नमः । ॐ भोगदात्रे नमः । ॐ भ्रूमध्यगोचराय नमः । ॐ मन्त्राय नमः । ॐ मन्त्रपतये नमः । ॐ मन्त्रिणे नमः । ॐ मदमत्तमनोरमाय नमः । ॐ मेखलावते नमः । ॐ मन्दगतये नमः । ॐ मतिमत्कमलेक्षणाय नमः । ॐ महाबलाय नमः । ॐ महावीर्याय नमः । ॐ महाप्राणाय नमः । ॐ महामनसे नमः । ॐ यज्ञाय नमः । ॐ यज्ञपतये नमः । ॐ यज्ञगोप्ते नमः । ॐ यज्ञफलप्रदाय नमः । ॐ यशस्कराय नमः । ॐ योगगम्याय नमः । ॐ याज्ञिकाय नमः । ॐ याजकप्रियाय नमः । ॐ रसाय नमः ॥ ६००॥ ॐ रसप्रियाय नमः । ॐ रस्याय नमः । ॐ रञ्जकाय नमः । ॐ रावणार्चिताय नमः । ॐ रक्षोरक्षाकराय नमः । ॐ रत्नगर्भाय नमः । ॐ राज्यसुखप्रदाय नमः । ॐ लक्ष्याय नमः । ॐ लक्ष्यप्रदाय नमः । ॐ लक्ष्याय नमः । ॐ लयस्थाय नमः । ॐ लड्डुकप्रियाय नमः । ॐ लानप्रियाय नमः । ॐ लास्यपराय नमः । ॐ लाभकृल्लोकविश्रुताय नमः । ॐ वरेण्याय नमः । ॐ वह्निवदनाय नमः । ॐ वन्द्याय नमः । ॐ वेदान्तगोचराय नमः । ॐ विकर्त्रे नमः । ॐ विश्वतश्चक्षुषे नमः । ॐ विधात्रे नमः । ॐ विश्वतोमुखाय नमः । ॐ वामदेवाय नमः । ॐ विश्वनेते नमः । ॐ वज्रिवज्रनिवारणाय नमः । ॐ विश्वबन्धनविष्कम्भाधाराय नमः । ॐ विश्वेश्वरप्रभवे नमः । ॐ शब्दब्रह्मणे नमः । ॐ शमप्राप्याय नमः । ॐ शम्भुशक्तिगणेश्वराय नमः । ॐ शास्त्रे नमः । ॐ शिखाग्रनिलयाय नमः । ॐ शरण्याय नमः । ॐ शिखरीश्वराय नमः । ॐ षड् ऋतुकुसुमस्रग्विणे नमः । ॐ षडाधाराय नमः । ॐ षडक्षराय नमः । ॐ संसारवैद्याय नमः । ॐ सर्वज्ञाय नमः । ॐ सर्वभेषजभेषजाय नमः । ॐ सृष्टिस्थितिलयक्रीडाय नमः । ॐ सुरकुञ्जरभेदनाय नमः । ॐ सिन्दूरितमहाकुम्भाय नमः । ॐ सदसद् व्यक्तिदायकाय नमः । ॐ साक्षिणे नमः । ॐ समुद्रमथनाय नमः । ॐ स्वसंवेद्याय नमः । ॐ स्वदक्षिणाय नमः । ॐ स्वतन्त्राय नमः । ॐ सत्यसङ्कल्पाय नमः । ॐ सामगानरताय नमः । ॐ सुखिने नमः । ॐ हंसाय नमः । ॐ हस्तिपिशाचीशाय नमः । ॐ हवनाय नमः । ॐ हव्यकव्यभुजे नमः । ॐ हव्याय नमः । ॐ हुतप्रियाय नमः । ॐ हर्षाय नमः । ॐ हृल्लेखामन्त्रमध्यगाय नमः । ॐ क्षेत्राधिपाय नमः । ॐ क्षमाभर्त्रे नमः । ॐ क्षमापरपरायणाय नमः । ॐ क्षिप्रक्षेमकराय नमः । ॐ क्षेमानन्दाय नमः । ॐ क्षोणीसुरद्रुमाय नमः । ॐ धर्मप्रदाय नमः । ॐ अर्थदाय नमः । ॐ कामदात्रे नमः । ॐ सौभाग्यवर्धनाय नमः । ॐ विद्याप्रदाय नमः । ॐ विभवदाय नमः । ॐ भुक्तिमुक्तिफलप्रदाय नमः । ॐ अभिरूप्यकराय नमः । ॐ वीरश्रीप्रदाय नमः । ॐ विजयप्रदाय नमः । ॐ सर्ववश्यकराय नमः । ॐ गर्भदोषघ्ने नमः । ॐ पुत्रपौत्रदाय नमः । ॐ मेधादाय नमः । ॐ कीर्तिदाय नमः । ॐ शोकहारिणे नमः । ॐ दौर्भाग्यनाशनाय नमः । ॐ प्रतिवादिमुखस्तम्भाय नमः । ॐ रुष्टचित्तप्रसादनाय नमः । ॐ पराभिचारशमनाय नमः । ॐ दुःखभञ्जनकारकाय नमः । ॐ लवाय नमः । ॐ त्रुटये नमः । ॐ कलायै नमः । ॐ काष्टायै नमः । ॐ निमेषाय नमः । ॐ तत्पराय नमः । ॐ क्षणाय नमः । ॐ घट्यै नमः । ॐ मुहूर्ताय नमः । ॐ प्रहराय नमः । ॐ दिवा नमः । ॐ नक्तं नमः ॥ ७००॥ ॐ अहर्निशं नमः । ॐ पक्षाय नमः । ॐ मासाय नमः । ॐ अयनाय नमः । ॐ वर्षाय नमः । ॐ युगाय नमः । ॐ कल्पाय नमः । ॐ महालयाय नमः । ॐ राशये नमः । ॐ तारायै नमः । ॐ तिथये नमः । ॐ योगाय नमः । ॐ वाराय नमः । ॐ करणाय नमः । ॐ अंशकाय नमः । ॐ लग्नाय नमः । ॐ होरायै नमः । ॐ कालचक्राय नमः । ॐ मेरवे नमः । ॐ सप्तर्षिभ्यो नमः । ॐ ध्रुवाय नमः । ॐ राहवे नमः । ॐ मन्दाय नमः । ॐ कवये नमः । ॐ जीवाय नमः । ॐ बुधाय नमः । ॐ भौमाय नमः । ॐ शशिने नमः । ॐ रवये नमः । ॐ कालाय नमः । ॐ सृष्टये नमः । ॐ स्थितये नमः । ॐ विश्वस्मै स्थावराय जङ्गमाय नमः । ॐ भुवे नमः । ॐ अद्भ्यो नमः । ॐ अग्नये नमः । ॐ मरुते नमः । ॐ व्योम्ने नमः । ॐ अहंकृतये नमः । ॐ प्रकृतये नमः । ॐ पुंसे नमः । ॐ ब्रह्मणे नमः । ॐ विष्णवे नमः । ॐ शिवाय नमः । ॐ रुद्राय नमः । ॐ ईशाय नमः । ॐ शक्तये नमः । ॐ सदाशिवाय नमः । ॐ त्रिदशेभ्यो नमः । ॐ पितृभ्यो नमः । ॐ सिद्धेभ्यो नमः । ॐ यक्षेभ्यो नमः । ॐ रक्षोभ्यो नमः । ॐ किन्नरेभ्यो नमः । ॐ साध्येभ्यो नमः । ॐ विद्याधरेभ्यो नमः । ॐ भूतेभ्यो नमः । ॐ मनुष्येभ्यो नमः । ॐ पशुभ्यो नमः । ॐ खगेभ्यो नमः । ॐ समुद्रेभ्यो नमः । ॐ सरिद्भ्यो नमः । ॐ शैलेभ्यो नमः । ॐ भूताय नमः । ॐ भव्याय नमः । ॐ भवोद्भवाय नमः । ॐ साङ्ख्याय नमः । ॐ पातञ्जलाय नमः । ॐ योगाय नमः । ॐ पुराणेभ्यो नमः । ॐ श्रुत्यै नमः । ॐ स्मृत्यै नमः । ॐ वेदाङ्गेभ्यो नमः । ॐ सदाचाराय नमः । ॐ मीमांसायै नमः । ॐ न्यायविस्तराय नमः । ॐ आयुर्वेदाय नमः । ॐ धनुर्वेदीय नमः । ॐ गान्धर्वाय नमः । ॐ काव्यनाटकाय नमः । ॐ वैखानसाय नमः । ॐ भागवताय नमः । ॐ सात्वताय नमः । ॐ पाञ्चरात्रकाय नमः । ॐ शैवाय नमः । ॐ पाशुपताय नमः । ॐ कालामुखाय नमः । ॐ भैरवशासनाय नमः । ॐ शाक्ताय नमः । ॐ वैनायकाय नमः । ॐ सौराय नमः । ॐ जैनाय नमः । ॐ आर्हत सहितायै नमः । ॐ सते नमः । ॐ असते नमः । ॐ व्यक्ताय नमः । ॐ अव्यक्ताय नमः । ॐ सचेतनाय नमः । ॐ अचेतनाय नमः । ॐ बन्धाय नमः ॥ ८००॥ ॐ मोक्षाय नमः । ॐ सुखाय नमः । ॐ भोगाय नमः । ॐ अयोगाय नमः । ॐ सत्याय नमः । ॐ अणवे नमः । ॐ महते नमः । ॐ स्वस्ति नमः । ॐ हुम् नमः । ॐ फट् नमः । ॐ स्वधा नमः । ॐ स्वाहा नमः । ॐ श्रौषण्णमः । ॐ वौषण्णमः । ॐ वषण्णमः । ॐ नमो नमः । ॐ ज्ञानाय नमः । ॐ विज्ञानाय नमः । ॐ आनंदाय नमः । ॐ बोधाय नमः । ॐ संविदे नमः । ॐ शमाय नमः । ॐ यमाय नमः । ॐ एकस्मै नमः । ॐ एकाक्षराधाराय नमः । ॐ एकाक्षरपरायणाय नमः । ॐ एकाग्रधिये नमः । ॐ एकवीराय नमः । ॐ एकानेकस्वरूपधृते नमः । ॐ द्विरूपाय नमः । ॐ द्विभुजाय नमः । ॐ द्व्यक्षाय नमः । ॐ द्विरदाय नमः । ॐ द्विपरक्षकाय नमः । ॐ द्वैमातुराय नमः । ॐ द्विवदनाय नमः । ॐ द्वन्द्वातीताय नमः । ॐ द्व्यातीगाय नमः । ॐ त्रिधाम्ने नमः । ॐ त्रिकराय नमः । ॐ त्रेतात्रिवर्गफलदायकाय नमः । ॐ त्रिगुणात्मने नमः । ॐ त्रिलोकादये नमः । ॐ त्रिशक्तिशाय नमः । ॐ त्रिलोचनाय नमः । ॐ चतुर्बाहवे नमः । ॐ चतुर्दन्ताय नमः । ॐ चतुरात्मने नमः । ॐ चतुर्मुखाय नमः । ॐ चतुर्विधोपायमयाय नमः । ॐ चतुर्वर्णाश्रमाश्रयाय नमः । ॐ चतुर्विधवचोवृत्तिपरिवृत्तिप्रवर्तकाय नमः । ॐ चतुर्थीपूजनप्रीताय नमः । ॐ चतुर्थीतिथिसम्भवाय नमः । ॐ पञ्चाक्षरात्मने नमः । ॐ पञ्चात्मने नमः । ॐ पञ्चास्याय नमः । ॐ पञ्चकृत्यकृते नमः । ॐ पञ्चाधाराय नमः । ॐ पञ्चवर्णाय नमः । ॐ पञ्चाक्षरपरायणाय नमः । ॐ पञ्चतालाय नमः । ॐ पञ्चकराय नमः । ॐ पञ्चप्रणवभाविताय नमः । ॐ पञ्चब्रह्ममयस्फूर्तये नमः । ॐ पञ्चावरणवारिताय नमः । ॐ पञ्चभक्ष्यप्रियाय नमः । ॐ पञ्चबाणाय नमः । ॐ पञ्चशिवात्मकाय नमः । ॐ षट्कोणपीठाय नमः । ॐ षट्चक्रधाम्ने नमः । ॐ षड्ग्रन्थिभेदकाय नमः । ॐ षडध्वध्वान्तविध्वंसिने नमः । ॐ षडङ्गुलमहाह्रदाय नमः । ॐ षण्मुखाय नमः । ॐ षण्मुखभ्रात्रे नमः । ॐ षट्शक्तिपरिवारिताय नमः । ॐ षड्वैरिवर्गविध्वंसिने नमः । ॐ षडूर्मिमयभञ्जनाय नमः । ॐ षट्तर्कदूराय नमः । ॐ षट्कर्मनिरताय नमः । ॐ षड्रसाश्रयाय नमः । ॐ सप्तपातालचरणाय नमः । ॐ सप्तद्वीपोरुमण्डलाय नमः । ॐ सप्तस्वर्लोकमुकुटाय नमः । ॐ सप्तसाप्तिवरप्रदाय नमः । ॐ सप्तांगराज्यसुखदाय नमः । ॐ सप्तर्षिगणमण्डिताय नमः । ॐ सप्तछन्दोनिधये नमः । ॐ सप्तहोत्रे नमः । ॐ सप्तस्वराश्रयाय नमः । ॐ सप्ताब्धिकेलिकासाराय नमः । ॐ सप्तमातृनिषेविताय नमः । ॐ सप्तछन्दो मोदमदाय नमः । ॐ सप्तछन्दोमखप्रभवे नमः । ॐ अष्टमूर्तिध्येयमूर्तये नमः । ॐ अष्टप्रकृतिकारणाय नमः । ॐ अष्टाङ्गयोगफलभुवे नमः । ॐ अष्टपत्राम्बुजासनाय नमः । ॐ अष्टशक्तिसमृद्धश्रिये नमः ॥ ९००॥ ॐ अष्टैश्वर्यप्रदायकाय नमः । ॐ अष्टपीठोपपीठश्रिये नमः । ॐ अष्टमातृसमावृताय नमः । ॐ अष्टभैरवसेव्याय नमः । ॐ अष्टवसुवन्द्याय नमः । ॐ अष्टमूर्तिभृते नमः । ॐ अष्टचक्रस्फूरन्मूर्तये नमः । ॐ अष्टद्रव्यहविः प्रियाय नमः । ॐ नवनागासनाध्यासिने नमः । ॐ नवनिध्यनुशासिताय नमः । ॐ नवद्वारपुराधाराय नमः । ॐ नवाधारनिकेतनाय नमः । ॐ नवनारायणस्तुत्याय नमः । ॐ नवदुर्गा निषेविताय नमः । ॐ नवनाथमहानाथाय नमः । ॐ नवनागविभूषणाय नमः । ॐ नवरत्नविचित्राङ्गाय नमः । ॐ नवशक्तिशिरोधृताय नमः । ॐ दशात्मकाय नमः । ॐ दशभुजाय नमः । ॐ दशदिक्पतिवन्दिताय नमः । ॐ दशाध्यायाय नमः । ॐ दशप्राणाय नमः । ॐ दशेन्द्रियनियामकाय नमः । ॐ दशाक्षरमहामन्त्राय नमः । ॐ दशाशाव्यापिविग्रहाय नमः । ॐ एकादशादिभीरुद्रैः स्तुताय नमः । ॐ एकादशाक्षराय नमः । ॐ द्वादशोद्दण्डदोर्दण्डाय नमः । ॐ द्वादशान्तनिकेतनाय नमः । ॐ त्रयोदशाभिदाभिन्नविश्वेदेवाधिदैवताय नमः । ॐ चतुर्दशेन्द्रवरदाय नमः । ॐ चतुर्दशमनुप्रभवे नमः । ॐ चतुर्दशादिविद्याढ्याय नमः । ॐ चतुर्दशजगत्प्रभवे नमः । ॐ सामपञ्चदशाय नमः । ॐ पञ्चदशीशीतांशुनिर्मलाय नमः । ॐ षोडशाधारनिलयाय नमः । ॐ षोडशस्वरमातृकाय नमः । ॐ षोडशान्त पदावासाय नमः । ॐ षोडशेन्दुकलात्मकाय नमः । ॐ कलायैसप्तदश्यै नमः । ॐ सप्तदशाय नमः । ॐ सप्तदशाक्षराय नमः । ॐ अष्टादशद्वीप पतये नमः । ॐ अष्टादशपुराणकृते नमः । ॐ अष्टादशौषधीसृष्टये नमः । ॐ अष्टादशविधिस्मृताय नमः । ॐ अष्टादशलिपिव्यष्टिसमष्टिज्ञानकोविदाय नमः । ॐ एकविंशाय पुंसे नमः । ॐ एकविंशत्यङ्गुलिपल्लवाय नमः । ॐ चतुर्विंशतितत्वात्मने नमः । ॐ पञ्चविंशाख्यपुरुषाय नमः । ॐ सप्तविंशतितारेशाय नमः । ॐ सप्तविंशति योगकृते नमः । ॐ द्वात्रिंशद्भैरवाधीशाय नमः । ॐ चतुस्त्रिंशन्महाह्रदाय नमः । ॐ षट् त्रिंशत्तत्त्वसंभूतये नमः । ॐ अष्टात्रिंशकलातनवे नमः । ॐ नमदेकोनपञ्चाशन्मरुद्वर्गनिरर्गलाय नमः । ॐ पञ्चाशदक्षरश्रेण्यै नमः । ॐ पञ्चाशद् रुद्रविग्रहाय नमः । ॐ पञ्चाशद् विष्णुशक्तीशाय नमः । ॐ पञ्चाशन्मातृकालयाय नमः । ॐ द्विपञ्चाशद्वपुःश्रेण्यै नमः । ॐ त्रिषष्ट्यक्षरसंश्रयाय नमः । ॐ चतुषष्ट्यर्णनिर्णेत्रे नमः । ॐ चतुःषष्टिकलानिधये नमः । ॐ चतुःषष्टिमहासिद्धयोगिनीवृन्दवन्दिताय नमः । ॐ अष्टषष्टिमहातीर्थक्षेत्रभैरवभावनाय नमः । ॐ चतुर्नवतिमन्त्रात्मने नमः । ॐ षण्णवत्यधिकप्रभवे नमः । ॐ शतानन्दाय नमः । ॐ शतधृतये नमः । ॐ शतपत्रायतेक्षणाय नमः । ॐ शतानीकाय नमः । ॐ शतमखाय नमः । ॐ शतधारावरायुधाय नमः । ॐ सहस्रपत्रनिलयाय नमः । ॐ सहस्रफणभूषणाय नमः । ॐ सहस्रशीर्ष्णे पुरुषाय नमः । ॐ सहस्राक्षाय नमः । ॐ सहस्रपदे नमः । ॐ सहस्रनाम संस्तुत्याय नमः । ॐ सहस्राक्षबलापहाय नमः । ॐ दशसहस्रफणभृत्फणिराजकृतासनाय नमः । ॐ अष्टाशीतिसहस्राद्यमहर्षि स्तोत्रयन्त्रिताय नमः । ॐ लक्षाधीशप्रियाधाराय नमः । ॐ लक्ष्याधारमनोमयाय नमः । ॐ चतुर्लक्षजपप्रीताय नमः । ॐ चतुर्लक्षप्रकाशिताय नमः । ॐ चतुरशीतिलक्षाणां जीवानां देहसंस्थिताय नमः । ॐ कोटिसूर्यप्रतीकाशाय नमः । ॐ कोटिचन्द्रांशुनिर्मलाय नमः । ॐ शिवाभवाध्युष्टकोटिविनायकधुरन्धराय नमः । ॐ सप्तकोटिमहामन्त्रमन्त्रितावयवद्युतये नमः । ॐ त्रयस्रिंशत्कोटिसुरश्रेणीप्रणतपादुकाय नमः । ॐ अनन्तनाम्ने नमः । ॐ अनन्तश्रिये नमः । ॐ अनन्तानन्तसौख्यदाय नमः ॥ १०००॥ इति गणेशपुराणान्तर्गता श्रीगणपतिसहस्रनामावलिः समाप्ता ।

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પુરુષોત્તમ માસ દાન વિશેષ

*🙏જય ભગવાન 🙏*

*પુરૂષોત્તમ માસની ૩૦ તિથિના વ્રત - દાન*

*૧. એકમનું વ્રત :    પાપ વિનાશક - તલનું દાન*

*ર. બીજનું વ્રત :      રૂદ્રવ્રત - ગોળનું દાન દેવું (પ્રેત યોનિમાંથી છુટે)*

*૩. ત્રીજનું વ્રત :     નીલ વ્રત - માથામાં તેલ ન નાખવું - બ્રાહ્મણને સીધુ આપવું.*

*૪. ચોથનું વ્રત :     પ્રીતી વ્રત - ગૌરીપૂજન કરવું (સૌભાગ્યની વસ્તુનું દાન કરવું.*

*૫. પાંચમનું વ્રત :   શિવવ્રત - શેરડીનું દાન કરવું અથવા દૂધનું દાન કરવું (અકાળ મૃત્યુ અટકે)*

*૬. છઠ્ઠનું વ્રત :       સોમવ્રત - મીઠું નહિ ખાવાનું, મીઠાનું દાન કરવું (શત્રુ તથા ગુપ્તરોગ નાશ પામે છે.*

*૭. સાતમનું વ્રત :   સુગતિ - સુખડના લાકડાનું દાન કરવું (સારી ગતિ મળે), ચોખાનું દાન કરવું.*

*૯. નોમનું વ્રત :     વીરવ્રત - શકિત પ્રમાણે નાની બાળકી તથા ગૌરીમાની પૂજા કરવી. શણગારનું દાન કરવું. (પતિ અપરાધમાંથી છુટે).*

*૧૦. દશમનું વ્રત :   ત્ર્યંબકં વ્રત આ દિવસે કુંભદાન દેવું. કુંભ ઉપર દિવો       રાખી શિવમંદિરે મુકવો.*

*૧૧. અગિયારસનું વ્રત :      એકાદશી વ્રત : દાન પુણ્યનો અને ઉપવાસનો મહિમા છે.*

*૧૨. બારસનું વ્રત :  અહિંસા વ્રત : કુળદેવનો દિવો પ્રગટાવવો અને કુળદેવની પૂજા કરવી.*     

*૧૩. તેરસનું વ્રત :   પ્રદોશ વ્રત - શિવપુજન - શિવ દર્શનનો મહિમા.*

*૧૪. ચૌદશનું વ્રત :  શીલ વ્રત - આ દિવસે ઘરને સાફ કરી ઉંબરામાં સાથીયા પુરવા, કુળદેવીનો દિવો કરવો.*

*૧૫. પૂનમનું વ્રત :   પુરૂષોત્તમ ભગવાનનું પૂજન કરવું. (નિંદાના પાપથી       છુટે)*

*કૃષ્ણ પક્ષ*

*૧. એકમનું વ્રત :    દિપણી વ્રત - લાપસી ખાવી, બ્રાહ્મણને ઘઉંનું દાન કરવું.*

*૨. બીજનું વ્રત :     દ્રઢ વ્રત - આ દિવસે ચંદન - કંકુ - કેસર - અત્તર વગેરે સુગંધી વસ્તુનું દાન કરવું (માતા પિતાના દોષની મુકિત)*

*૩. ત્રીજનું વ્રત :     બિલ્વ વ્રત ગુરૂ, વડીલોનું પૂજન કરવુ, વંદન કરવા (અળદનું દાન કરવું)*

*૪. ચોથનું વ્રત :     વિનાયક વ્રત - ગણેશની પુજા કરવી, ગણેશને લાડુ        ધરાવવા, બાળકોને પ્રસાદ વહેચવો.*

*૫. પાંચમનું વ્રત :   નામ પ્રભાકર - સુર્યની પુજા કરવી. એક જ અન્ન ખાવુ, જે અન્ન ખાવુ તેનું દાન કરવું.*

*૬. છઠ્ઠનું વ્રત :       સ્કંદ પૂજન : સુર્યની પૂજા કરવી. સુર્યના બાર નામ લઇ બાર નમસ્કાર કર્યા બાદ ફૂલ ચઢાવવા બપોરે ૧૨ વાગ્યે ૧૨ વખત ધી થી અગ્નિમાં આહુતી આપવી (વૈદ્યૃતિ)*

*૭. સાતમનું વ્રત :   સરસ્વતી વ્રત - ઘર સાફ કરી સાથિયો કરવો અને         બાળકોને મિઠાઇ આપવી.*

*૮. આઠમનું વ્રત :    શ્યામ વ્રત-પુરૂષોત્તમ પુરાણ તથા કથા કરનારની પુજા કરવી. દક્ષિણા આપવી.*

*૮. આઠમનું વ્રત :    શ્યામ વ્રત પુરૂષોત્તમ પુરાણની પુજા કરવી (દ્રષ્ટિદોષ નાશ થાય) ચોખાનું દાન કરવું.*

*૯. નોમનું વ્રત :     વિશ્વાનર વ્રત આ વ્રત કરનારે ખીર ખાવી, ચોખાનું દાન કરવું (અગ્નિ દેવ પ્રસન્ન થાય) (વ્યતિપાત) સંપુટ દાન, ગુપ્ત દાન.*

*૧૦. દશમનું વ્રત :   આનંદ વ્રત - આ દિવસે સોનાના - ત્રાંબાના અથવા માટીના પાત્રમાં જળ ભરી દાન આપવું.*

*૧૧. અગિયારસનું વ્રત :      પરમા વ્રત - સૌભાગ્યનું વ્રત છે. આ દિવસે પતિ સેવા તથા પુરૂષોત્તમ ભગવાનનું વ્રત કરવું.*

*૧૨. બારસનું વ્રત :  વીર વ્રત - આ દિવસે તીર્થ સ્નાન કરવું. તીર્થ દેવનું પૂજન કરવું (પુરૂષોત્તમ ભગવાનનું વ્રત)*

*૧૩. તેરસનું વ્રત :   યદુ વ્રત - બપોરે એકટાણું ન કરવું, સાંજે એકટાણું કરવુ. બાળકોને ગોળ - દાળીયા વહેચવા.*

*૧૪. ચૌદશનું વ્રત :  આ દિવસે કાંસાનું દાન આપવું (શરીર શુધ્ધિ થાય છે)*

*૩૦. અમાસનું વ્રત :     આ દિવસે શકિત પ્રમાણે બ્રાહ્મણને સીધુ દાન, વસ્ત્રદાન આપવું.*

સૂચન📵:*

*આ લેખ પૌરાણિક ગ્રંથો અથવા માન્યતાઓ પર આધારિત છે અને તેથી તેમાં વર્ણવેલ સામગ્રીના વૈજ્ઞાનિક પુરાવાની ખાતરી આપી શકાતી નથી. વિગતવાર તમે ઓફિસ પર સંપર્ક કરો.*

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Wednesday, 29 March 2023

।।श्रीरामरक्षास्तोत्र।।

श्रीरामरक्षास्तोत्र

॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य । बुधकौशिक ऋषिः । श्रीसीतारामचन्द्रो देवता । अनुष्टुप् छन्दः । सीता शक्तिः । श्रीमद् हनुमान कीलकम् । श्रीरामचन्द्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः ॥ अथ ध्यानम् । ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् । वामाङ्कारूढ सीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचन्द्रम् ॥ इति ध्यानम् ॥ चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् । एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥ १॥ ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् । जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥ २॥ सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तञ्चरान्तकम् । स्वलीलया जगत्रातुं आविर्भूतं अजं विभुम् ॥ ३॥ रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् । शिरोमे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥ ४॥ कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुती । घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥ ५॥ जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः । स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥ ६॥ करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित् । मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥ ७॥ सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः । ऊरू रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृत् ॥ ८॥ जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्घे दशमुखान्तकः । पादौ बिभीषणश्रीदः पातु रामोऽखिलं वपुः ॥ ९॥ एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत् । स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥ १०॥ पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः । न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥ ११॥ रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन् । नरो न लिप्यते पापैः भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥ १२॥ जगजैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् । यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥ १३॥ वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् । अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमङ्गलम् ॥ १४॥ आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षांमिमां हरः । तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥ १५॥ आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् । अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान् स नः प्रभुः ॥ १६॥ तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ । पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥ १७॥ फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ । पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥ १८॥ शरण्यौ सर्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् । रक्षः कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥ १९॥ आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशावक्षयाशुगनिषङ्गसङ्गिनौ । रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम् ॥ २०॥ सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा । गच्छन्मनोरथोऽस्माकं रामः पातु सलक्ष्मणः ॥ २१॥ रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली । काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघुत्तमः ॥ २२॥ वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः । जानकीवल्लभः श्रीमान् अप्रमेय पराक्रमः ॥ २३॥ इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः । अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥ २४॥ रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् । स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैः न ते संसारिणो नरः ॥ २५॥ रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरम् । काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् । राजेन्द्रं सत्यसन्धं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम् । वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ॥ २६॥ रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे । रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥ २७॥ श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम श्रीराम राम भरताग्रज राम राम । श्रीराम राम रणकर्कश राम राम श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥ २८॥ श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि । श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥ २९॥ माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः । सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु- र्नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥ ३०॥ दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा । पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ॥ ३१॥ लोकाभिरामं रणरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् । कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रम् शरणं प्रपद्ये ॥ ३२॥ मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् । वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥ ३३॥ कूजन्तं राम रामेति मधुरं मधुराक्षरम् । आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥ ३४॥ आपदां अपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् । लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥ ३५॥ भर्जनं भवबीजानां अर्जनं सुखसम्पदाम् । तर्जनं यमदूतानां राम रामेति गर्जनम् ॥ ३६॥ रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः । रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥ ३७॥ राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे । सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥ ३८॥ इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥ ॥ श्रीसीतारामचन्द्रार्पणमस्तु ॥

सुचना 📵यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है
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Saturday, 14 January 2023

मकर संक्रांति 2023

*મકર સંક્રાંતિ સંદેશ*               
GrahRaj Astrology ज्योतिष-वास्तु-धार्मिकपूजा 
 ~ સવંત  ૨૦૭૯ ના પોષ સુદ -૦૮ રવિવારે  તા.. ૧૪ - ૧ - ૨૦૨૩ ના રોજ સુર્ય નારાયણ મોડી રાત્રીએ ૨૦.૪૬ કલાકે મકર રાશિમાં પ્રવેશ કરે છે, 
તેથી પુણ્ય કાર્ય તારીખ ૧૫-૦૧-૨૦૨૩ રવિવાર સવારથી કરવાનુ છે 

*મકર સંક્રાંતિ ની અવસ્થા વિગત નીચે મુજબ છે*
~ નક્ષત્ર -  ચિત્રા
~ યોગ - શુકર્મા
~ કરણ - બાલવ
~ રાશિ - મકર 
~ સંક્રાંતિ નું વાહન - વાઘ
~ સંક્રાંતિ નું ઉપવાહન - ઘોડો
~ વસ્ત્ર -  પીળુ 
~ તિલક - કેસર નું
~ જાતી - સર્પ ની
~ પુષ્પ - જુઇ નું
~ અવસ્થા - કુમારી 
~ સ્થિતિ- બેઠેલી 
~ આભુષણ - મોતીના 
~ ભોજનપાત્ર - રૂપુ
~ ભક્ષણ - દુધપાક
~ કંચુકી - પણૅ 
~ આયુધ - ગદા 
~ નામ - મંદાકિની

~ આગમન - દક્ષિણ
~ ગમન - ઉતર
~ મુખ -  પશ્ચિમ
~ દ્રષ્ટિ -  ઈશાન
~~~~~~~~~~~~~~~
 = મકર સંક્રાંતિ માં કઈ રાશિ વાળા ને શું દાન આપવું તે નીચે મુજબ છે ... =

*~ રાશિ - મેષ, કન્યા, વૃશ્ચિક*
*~રાશિ અક્ષર‌= અ,લ,ઇ,- પ,ઠ,ણ - ન,ય*
~ આ રાશિ વાળા ઓને પીળા રંગની વસ્તુ નું દાન કરવું જેમ કે , સોનું , ચણાની દાળ, તુવેર દાળ, પીળુ કાપડ, પીતળ ના વાસણ તથા તલ અને દક્ષિણા સહિત નું દાન કરવું... 
      ●●●●●
*~ રાશિ - વૃષભ, મકર, સિંહ*
*~ અક્ષર - બ,વ, ઉ - ખ,જ - મ,ટ*
 ~ આ રાશિ  વાળા ઓને સફેદ રંગ ની વસ્તુ નું દાન કરવું જેમ કે ચાંદી,ઘી,ખાંડ ચોખા,સફેદ કાપડ, તલ અને દક્ષિણા સહિત નું દાન કરવું... 
      ●●●●●
*~ રાશિ - કકઁ, ધન, મીન* 
*~ અક્ષર - ડ,હ - ભ,ધ,ફ,ઢ,-દ,ચ,ઝ,થ*
~ આ રાશિ વાળા ઓને લાલ રંગની વસ્તુ નું દાન કરવું જેમ કે ત્રાંબા ના વાસણ,ઘઉં, ગોળ, બોર, ખજુર, લાલ કાપડ, તલ અને દક્ષિણા સહિત દાન કરવું.. 
     ●●●●●
*~ રાશિ - મિથુન, તુલા, કુંભ*
*~ અક્ષર - ક,છ,ઘ - ર,ત - ગ,શ,સ* 
~ આ રાશિવાળા ઓને કાળા રંગની વસ્તુ નું કરવું જેમ કે કાંસા ના વાસણ,સ્ટીલ ના વાસણ,અડદ, કાળા તલ,કાળું કાપડ, તલ અને દક્ષિણા સહિત દાન કરવું..
*મંકર સંક્રાંતિના દિવસે દાન  જરૂર કરવું*
    
*સૂચન📵:*

*આ લેખ પૌરાણિક ગ્રંથો અથવા માન્યતાઓ પર આધારિત છે અને તેથી તેમાં વર્ણવેલ સામગ્રીના વૈજ્ઞાનિક પુરાવાની ખાતરી આપી શકાતી નથી. વિગતવાર તમે ઓફિસ પર સંપર્ક કરો.*
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*"જ્યોતિષ શાસ્ત્ર ભાગ્યને બદલતું નથી પરંતુ કર્મ માર્ગ બતાવે છે, અને તેમાં કોઈ શંકા નથી કે ભાગ્યને યોગ્ય કાર્ય દ્વારા બદલી શકાય છે." હરિ ૐ🙏🏻*

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