Tuesday, 27 December 2016

बुधवार औ अमावस्या

॥श्री हरिपरमानंदम्॥

*॥अमावस्या और दुलॅभ संयोग॥*

दिनांक- 28/12/2016-बुधवार
अमावस्या तिथि

* बुधवार और अमावस्या तिथि का संयोग बहोत कम आता है इस समय राहु ग्रह शांति के लिए ईलाज बहोत बहेतर मानते है।

*अमावस्या शांति
*सपॅ श्रापित दोष
*कालसपॅ दोष
*पितृ दोष
*प्रेत मलिन दोष
- आदि वगेरे के  लिए एवं ग्रह कृपा  हेतु आज के दिवस मे शिव पुजा - अभिषेक- रूद्रपाठ राहू मंत्रजाप- काला दान एवं किंन्नरौ को दान भोजन आदि श्रेष्ठ है।

ग्रहराज ज्योतिष का माननाहै
के आज के दिवस मे राहू ग्रह संबंधीत पुजा पाठ धमॅ एवं अनुष्ठान -दान के लिए उत्तम दिवस है ।

समय-दिनांक प्रारंभ
28/12/2016 -बुधवार
10:40:00am से
दिनांक- 29/12/2016-गुरुवार
07:30:00am  तक।

विशेष माहिती हेतु संपॅक करे

*॥ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय॥*
     छाया चोक्की, रोनक कोम्प्लेक्ष
      पोरबंदर - गुजरात
     +919727972119
         एच एच राजगुरू
ज्योतिष-वास्तु-धामिॅकपुजा

       ॥हरिॐतत्सत्॥

Monday, 26 December 2016

Kal sharpa dosh

॥कालसपॅ दोष प्रकार॥

ज्योतिषी शास्त्रों के अनुसार कालसर्प दोष 12 प्रकार के बताए गए हैं-

1. अनंत
2. कुलिक
3. वासुकि
4. शंखपाल
5. पद्म
6. महापद्म
7. तक्षक
8. कर्कोटक
9. शंखनाद
10. घातक
11. विषाक्त
12. शेषनाग

कुंडली में 12 तरह के कालसर्प दोष होने के साथ ही राहू की दशा, अंतरदशा में अस्त-नीच या शत्रु राशि में बैठे ग्रह मारकेश या वे ग्रह जो वक्री हों, उनके चलते जातक को कष्टों का सामना करना पड़ता है। इस योग के चलते जातक असाधारण तरक्की भी करता है, लेकिन उसका पतन भी एकाएक ही होता है।

किसी कुंडली के जानकार व्यक्ति से ही कालसर्प दोष का निवारण कराया जाना चाहिए।

विशेष माहिती हेतु संपॅक करे

ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय
   छाया चोक्की रोनक कोम्प्लेक्ष
   पोरबंदर -  गुजरात
   +919727972119
       एच एच राजगुरू
ज्योतिष-वास्तु-धामिॅकपुजा

      ॥हरिॐतत्सत्॥

Wednesday, 14 December 2016

*॥धनारक ~ कमुहूताॅ॥*

"श्री हरि:परमानंदम्"
*॥��॥ग्रहराज पंचांग माहिती॥��॥*

*☸धनारक प्रारंभ कमुहूताॅ☸*
संवत् २०७३ मागशर मास कृष्णपक्ष
दिनांक-15/12/2016-गुरुवार

*��सूयॅ~मूण~धनराशि मे प्रवेश~समय ~०८:५३ pm सायं काल को।��*
Graham astrology

*(कमुहूताॅ समाप्त)*

Grahraj astrology
*��मकर संक्रांति~ सूयॅ मकर राशि मे प्रवेश दिनांक14/01/2017~शनिवार समय-७:३७ am प्रातःकाल ।��*

(मांगलिक~ कायॅ निषेध गुजर प्रांत मे)

*��ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय��*
      छाया चोक्की रोनक कोम्प्लेक्ष
       पोरबंदर ~ गुजरात
       +919727972119
          एच एच राजगुरु
ज्योतिष-वास्तु-धामिॅकपुजा

*☸॥हरि:ॐतत्सत्॥☸*

Friday, 4 November 2016

॥लाभ पंचमी विशेष मुहूर्त॥

*��ग्रहराज��पंचांग��*

*॥लाभ पंचमी विशेष मुहूर्त॥*

संवत २०७३ कारतक शुक्ल ५ तिथि
दिनांक - ०५/११/२०१६ - शनिवार
*लाभ पंचमी
*ज्ञान पंचमी
*श्री पंचमी
*पांडव पांचम
*सौभाग्य पंचमी
*वेपार कायॅ प्रारंभ दिवस
*मशीनरि प्रारंभ दिवस
*नुतन कायॅ प्रारंभ
-----------------------
*॥मुहूर्त चोघडीया अनुसार॥*

सुबह ०७:३०से ९:००
दोपहर १२:००से ०१:४५

*॥होरा अनुसार शुभ मुहूर्त॥*

गुरुग्रह होरा ०७:३५से ८:३५
सुयॅग्रह होरा ९:३२से १०:२९
शुक्रग्रह होरा १०:३०से ११:२५
दोपहर गुरुग्रह होरा -०२:१५से ०३:१५तक
-----------------------
*उपरोक्त बताएँ गए मुहूर्त अनुसार नया कामकाज प्रारंभ करना शुभ है।*
*वैपारिक - उद्योग एवं दुकान त्था नुतन व्यवसाय प्रारंभ करना  एवं मांगलिक कायॅ करना शुभ है।*
*ग्रहराज एस्ट्रोलोझि*

��ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय��
     छाया चोक्की रोनक कोम्प्लेक्ष
           पोरबंदर गुजरात
       +919727972119
           एच एच राजगुरु
Hitu9grahgochar@gmail.com
     ज्योतिष-वास्तु-धामिॅकपुजा
          (देवभूमि ~ द्वारका)

*॥��॥हरिॐतत्सत्॥��॥*

Friday, 21 October 2016

॥दिपावली विशेष मुहूर्त ॥

����॥��"श्री हरि:परमानंदम्��॥����

      *॥दिपावली विशेष मुहूर्त पंचांग॥*

       *॥ ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय ॥*
                  एच एच राजगुरु
           -----------------------

*॥चोपड़ा खरिदी मुहूर्त॥*
संवत-2072 आश्विन मास कृष्ण पक्ष -8 तिथि
दिनांक-23/10/2016-रविवार
*विशेष रविपुष्यामृत योग
समय -सुबह 06:48 से 08:39 सायं
-----------------------
*��विशेष समय तालिका चोघडीया के अनुसार��*
*सुबह 08:14 से 11:06 तक
*सुबह 11:06 से 12:30 दोपहर तक
*दोपहर 01:57 से 03:23 तक
*सायं संध्या 06:15 से 08:39 तक
-----------------------
*॥ग्रह होरा अनुसार मुहूर्त॥*
सुबह- 07:40 से 10:38 तक
सुबह- 11:35 से 12:33 दोपहर तक
दोपहर 02:27 से 05:18 संध्या तक
संध्या काल 06:15 से 07:20 तक
-----------------------
नोध ~उपर बताएँ गए समय तालिका के अनुसार नुतन वषॅ के लिए पुस्तक, डायरी,रजिस्ट्रर, और वैपारिक उपयोगी एवं नया साल मे निजि जीवन उपयोगी पुस्तक खरिदी के लिए शुभ मुहूर्त है ।
||-ग्रहराज एस्ट्रोलोझि एच एच राजगुरु||
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    *��॥धनतेरस॥��*

संवत- 2072 आश्विन मास कृष्ण पक्ष - 13 तिथि
दिनांक - 28/10/2016- शुक्रवार
-----------------------
*धनतेरस-धन त्रयोदेशी
*धन्वंतरी जयंती
*दीपदान पुजा
*धन लक्ष्मी पुजा
*श्री यंत्र सिद्ध पुजा
*गादि बिछना
*औषधियों सामग्री की पुजा
-----------------------
*॥शुभ समयावधि चोघडीया अनुसार मुहूर्त ॥*
दिनांक-28/10/2016-शुक्रवार
सुबह 06:50 से 08:15तक
सुबह 08:15 से 09:40 तक
सुबह 9:40 से 11:06 तक
दोपहर 12:31 से 01:56 तक
सायं संध्या 04:47 से 06:12 तक
-----------------------
*॥ शुभ मुहूर्त ग्रह होरा अनुसार समय तालिका ॥*
सुबह 06:50 से 09:40 तक
सुबह 10:37 से 11: 34 तक
दोपहर 01:30 से 03:25 तक
दोपहर 03:30 से 04:25 तक
सायं संध्या 05:15 से 06:15 तक
-----------------------
उपर बताएँ गए समय मे- श्री लक्ष्मी पुजा, श्री साधना,आयुर्वेद की उपासना एवं दिप दान और मांगल्य पुजा करना श्वेष्ठ एवं उत्तम है
॥-ग्रहराज एस्ट्रोलोझि एच एच राजगुरु॥
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   *॥▪कालि चौदश▪॥*

संवत 2072 - आश्विन मास कृष्ण पक्ष 14 तिथि
दिनांक-29/10/2016-शनिवार
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*कालि चौदश
*नरक चतुदॅशी
*रुप चतुदॅशी
*श्री हनुमान पुजन
*काल भैरव पुजन
*दिप दान
*नैवेध्य दिवस
*महाकालि दैवी उपासना
-----------------------
॥साधना पुजा हेतु समय॥
सुबह 06:35 से 07:55 तक
सुबह 09:21से 10:46 तक
सुबह 10:46 से 12:10तक
सायं 05:25 से 07:55 तक
रात्रि 01:46 से 03:30 तक
रात्रि 03:15 से 04: 30तक
-----------------------
इस दिवस मे - तंत्र साधना, मंत्र मारण, पुजा-विधान, तमोगुणी साधना के प्रयोग,
हनुमानजी एवं भैरव के अनुलक्षी उपासना हेतु उत्तम दिवस है।
॥-ग्रहराज एस्ट्रोलोझि एच एच राजगुरु ॥
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          ॥��दिपावली��॥

संवत -2072 आश्विन मास कृष्ण पक्ष 30- अमावस्या
दिनांक -30/10/2016-रविवार

*आश्विन अमावस्या
*दिपावली दिप दान
*दिप पुजन
*रोशनी दिवस
*सरस्वती पुजा
*लक्ष्मी-शारदा पुजन
विशेष चोपड़ा पुजन दिवस
-----------------------
*॥शुभ समय चोघडीया अनुसार पुजा हेतु॥*

सुबह 08:16से 09:41तक
सुबह 09:41से11:06तक
सुबह 11:06से 12:30तक
दोपहर 01:55से 03:20तक
सायं संध्या 06: से 10:30 तक
रात्रि 02:06 से 03:41तक
रात्रि सुबह 05:17 से 06:30 तक
-----------------------
*॥शुभ ग्रह होरा अनुसार मुहूर्त॥*
सुबह 07:47 से 10:37तक
सुबह 11:33 से 12:30तक
दोपहर 02:25 से 05:20तक
संध्या 06:15 से 07:15तक
रात्रि 09:25 से 12:39 तक
मध्य रात्रि 01:00से 02:30तक
-----------------------
उपर बताएँ गए मुहूर्त के अनुसार पुजा , अनुष्ठान, विधि-विधान एवं दिप दान, लक्ष्मी पुजा-शारदा पुजन, चोपड़ा पुजन आदि कायॅ करना शुभ है।
॥-ग्रहराज एस्ट्रोलोझि एच एच राजगुरु ॥
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आपको और आपके परिवार को दिपावली की हादिॅक शुभकामना एवं नुतन वषॅ आपके लिए मंगलकारि हो।
        ��Happy Deepawali��
*॥��॥ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय॥��॥*
         छाया चोक्की, रोनक कोम्प्लेक्ष
         पोरबंदर - गुजरात-360578
        *+919727972119*
         *शास्त्री एच एच राजगुरु*

E-Hitu9grahgochar@gmail.com
E-grahrajgrahraj66517@gmail.com

           (देवभूमि- द्वारका-गुजरात)

   *॥������॥हरिॐतत्सत्॥������॥*

Sunday, 25 September 2016

पितृ श्राद्ध और कुंडली

      "श्री हरि:परमानंदम्"

॥ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय॥

जन्म कुंडली दिखा कर उचित उपचार करे पितृदोष का

ग्रहराज ज्योतिष का कहना हैकि कई बार यह भी देखने में आया है कि जन्म कुंडली में कोई दोष नहीं होता है फिर भी जातक मुश्किलों में घिरा रहता है  तो इसके लिए उसे अपने परिवार की पृष्ठभूमि  पर विचार करना चाहिए. 

क्या उनके परिवार में उनके पूर्वजों का विधिवत श्राद्ध किया जाता है क्या उसके पूर्वजों को  कहीं से मुफ्त का धन तो नहीं मिला.

कुछ लोग श्राद्ध करने की बजाय मजबूरों को भोजन करवाना अधिक उचित समझते हैं. उनका तर्क होता है कि ब्राह्मणों की बजाय ये लोग ज्यादा आशीर्वाद देंगे.

यह बात सही है कि किसी भी भूखे को भोजन करवाएंगे तो वह आशीर्वाद देगा ही. तो आशीर्वाद के लिए जरुर भोजन करवाएं. लेकिन श्राद्ध कर्म तो एक ब्राह्मण ही कर सकता है और तभी पूर्वजों का आशीर्वाद भी मिलेगा.

यह श्राद्ध करने वाले को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह सुपात्र को ही आमंत्रित करे.  मंदिर का पुजारी हो तो अधिक  उचित रहेगा नहीं तो कोई भी कर्मकांडी या जनेउ धारी ब्राह्मण होना चाहिए.
          
मुफ्त का धन जिसे  कोई निसन्तान व्यक्ति अपनी जायदाद विरासत में दे जाता है या ससुराल से मिला धन.

मैं यहाँ उस धन की बात नहीं कर रहा जो किसी स्त्री को उसके विवाह में मिला है.

यहाँ मैं कहना चाहूंगा की यह वो धन है जो ससुराल में स्त्री के पिता की मृत्यु के बाद मिला है जबकि उसके भाई ना हो.

ऐसी स्थिति में धन का उपभोग तो हो रहा है लेकिन जिसके धन का उपभोग हो रहा है उसके नाम का कोई भी दान -पुन्य नहीं किया जा रहा.

 हमारे समाज में वंश परम्परा चलती है इसी के सिलसिले में पुत्र का जन्म अनिवार्य माना गया है.अगर पुत्र ना हो तो उसकी विरासत पुत्रियों में बाँट दी जाती है.

जैसे की समाज का चलन है तो विचार भी यही  हैं कि अगर पुत्र नहीं होगा तो उसका कमाया धन लोग ही खायेंगे.

उनका नाम लेने वाला कोई नहीं होगा, जब ऐसे इन्सान के धन का उपभोग किया जाये और उसके नाम को भी याद ना किया जाये तो घर में अशांति तो होगी ही.

एक अशांत आत्मा किसी को खुश रहने का आशीर्वाद कैसे दे सकती है..

ऐसी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध तो करना ही चाहिए. 

साथ ही वर्ष में एक बार उसके नाम का कोई दान कर देना चाहिए.

जैसे किसी जरूरत मंद कन्या का विवाह , कहीं पानी की व्यवस्था , या किसी बच्चे की स्कूल की फीस आदि कुछ न कुछ धन राशि जरुर उसके नाम की निकालनी चाहिए.

जब किसी को परिवार से ही जैसे बडेभाई या  चाचा जो कि या  निसन्तान हो या अविवाहित हो- अथवा असमय अकाल मौत हुई हो और उनका कोई वारिस ना  हो तो ऐसे धन का उपभोग भी  परिवार में अशांति लाता है.

अक्सर देखा गया है कि ऐसे धन को उपभोग  वाले की सबसे  छोटी संतान अधिक संताप भोगती है.

॥ऐसे में  फिर क्या किया जाए ?॥

यहाँ भी जिसका भी धन उपभोग किया जा रहा है उसका विधिवत श्राद्ध और उसके नाम से कुछ धन राशी का दान किया जाये तो शांति  बनी रह सकती है.

कई बार परिवार के कुलदेवता का अनादर भी परिवार में अशांति  का कारण बनती है.

ये जो  कुल देवता या पितृ होते हैं , वे हमारे और ईश्वर के मध्य संदेशवाहक का कार्य हैं. 

यदि ये प्रसन्न होंगे तो ईश्वर की कृपा जल्दी प्राप्त होती है.

कई बार कोई व्यक्ति किसी निसंतान दम्पति द्वारा  गोद लिया जाता है-ऐसे में उसे , वह जिस परिवार में जन्मा है , उस परिवार के कुल देवताओं की पूजा भी करने पड़ती है.

क्यूंकि उसमें उस परिवार का (जहाँ जन्म लिया है उसने ) भी ऋण चुकाना होता है- जहाँ वह रहता है वहां के कुल देवता की भी पूजा करनी होती है उसे- तभी उसके जीवन में शांति बनी रहती है.

॥ दोष है तो हल भी है ॥

॥ १ -श्राद्ध कर के ब्राह्मण को वस्त्र -दक्षिणा आदि दीजिये॥

॥२ - गाय की सेवा कीजिये- इसके लिए किसी भी मजबूर व्यक्ति की गाय के लिए साल भर के लिए चारे की व्यवस्था कीजिये ॥

॥३ -चिड़ियों को बाजरी के दाने  डालिए॥

॥४ -कोवों को रोटी॥

॥५ -हर अमावस्या को मंदिर में सूखी रसोई और दूध का दान कीजिये॥

॥६ - हर मौसम में जो भी नई सब्जी और फल हो उसे पहले अपने पितरों और कुल देवताओं के नाम मंदिर में दान दीजिये॥

॥७ - हर अमावस्या को गाय को हरा घास(चरा)डलवायें॥

॥८ - किसी धार्मिक स्थल पर आम और पीपल का वृक्ष लगवा दे॥

॥९ -तुलसी की सेवा करे॥

॥१०-अपने पूर्वजों के नाम पर जल की व्यवस्था करनी चाहिए(सेवाकिय प्रवृत्ति)॥

॥--पितरो  के निमित्त विशेष--॥

हमारी व्यवस्था होसके तो तिथॅ मे जाके श्राद्ध कमॅ करना चाहिए.

*पंचबलि श्राद्ध
*महालय श्राद्ध
*प्रेतबलि श्राद्ध
*वायु-भुतबलि श्राद्ध
*नारायण नागबलि श्राद्ध
*कागबलि श्राद्ध
*श्वानबलि श्राद्ध
*पूणिॅमां श्राद्ध
*अमावस्या सवॅपितृ श्राद्ध
*मातृगया एवं पितृगया श्राद्ध
*नित्य श्राद्ध
*काम्य श्राद्ध
*वृद्ध श्राद्ध
*पावॅ श्राद्ध
*गौष्ठ श्राद्ध
*शुद्धि श्राद्ध
*दैविक श्राद्ध
*कमाॅग श्राद्ध
*तुष्ठी श्राद्ध
*त्रिपंडी श्राद्ध
*पंचायतन देव श्राद्ध

-विशेष जानकारी हेतु ग्रहराज कार्यालय का संपकॅ करे
केवल रविवार एवं सोमवार

-मिलने से पहले फोन करके एपोईमेन्ट लेना आवस्यक है.

------॥ओफिस॥------
" ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय "
छाया चोक्की, रोनक कोम्प्लेक्ष
      पोरबंदर -गुजरात
   +919727972119
       एच एच राजगुरु
ज्योतिष-वास्तु-धामिॅकपुजा
Hitu9grahgochar@gmail.com

       ॥हरिॐतत्सत्॥

Thursday, 22 September 2016

श्राद्ध कालिन समय

॥ग्रहराज श्राद्धपक्ष विशेष ॥

*भोजन दान उत्तमोत्म्
*वस्त्र एवं वस्तु दान
*सामग्री अन्य पुवॅजो कि प्रिय वस्तु दान

अपने स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण तिथि पर जरूरतमंदों अथवा  ब्राह्मणों को भोजन कराए.

भोजन में मृतात्मा की कम से कम एक पसंद की वस्तु अवश्य बनाएं.

*सात्वीक भोजन होना चाहिए
*भोजन पश्चात दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए
*दुध- खीर , मिष्ठान, आदि वगेरे
*जो दिन पितृकी तिथि या दिनांक हो उस दिन होसके तो तिथॅ स्नान एवं तपॅण करे.

॥ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय॥
छाया चोक्क, रोनक कोम्प्लेक्ष
     पोरबंदर - गुजरात
   +919727972119
       एच एच राजगुरु
ज्योतिष-वास्तु-धामिॅकपुजा

       ॥हरिॐतत्सत्॥

Tuesday, 20 September 2016

देव-ऋषि और मनुष्य श्राद्ध

    क्यूँ श्राद्ध करना जरुरी है?
॥ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय॥

॥ पितृ एवं ऋषि ऋण के विषय में एक पारिवारिक साध्य विचार ॥

ऋषि ऋण के विषय में भी लिखना आवश्यक है.

जिस ऋषि के गोत्र में हम जन्में हैं, उसी का तर्पण करने से हम वंचित रह जाते हैं.

हम लोग अपने गोत्र को भूल चुके हैं.

हमारे पूर्वजों की इतनी उपेक्षा से उनका श्राप हमें पीढ़ी दर पीढ़ी परेशान करेगा.

इसमें कभी संदेह नहीं करना चाहिए.

जो लोग इन ऋणों से मुक्त होने के लिए उपाय करते हैं, वे प्रायः अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो जाते हैं.

परिवार में ऋण नहीं है, रोग नहीं है, गृह क्लेश नहीं है, पत्नी-पति के विचारों में प्रमाणिक्ता व एकरूपता है संताने माता-पिता का सम्मान करती हैं.

परिवार के सभी लोग परस्पर मिल जुल कर प्रेम से रहते हैं.

अपने सुख-दुख बांटते हैं.

अपने अनुभव एक-दूसरे को बताते हैं.

ऐसा परिवार ही सुखी परिवार होता है.

दूसरी ओर, कोई-कोई परिवार तो इतना शापित होता है कि उसके मनहूस परिवार की संज्ञा दी जाती है.

सारे के सारे सदस्य तीर्थ यात्रा पर जाते हैं अथवा कहीं सैर सपाटे पर भ्रमण के लिए निकल जाते हैं और गाड़ी की दुर्घटना में सभी एक साथ मृत्यु को प्राप्त करते हैं.

पीछे बच जाता है परिवार का कोई एक सदस्य समस्त जीवन उनका शोक मनाने के लिए.

इस प्रकार पूरा का पूरा वंश ही शापित होता है.

इस प्रकार के लोग कारण तलाशते हैं.

जब सुखी थे तब न जाने किस-किस का हिस्सा हड़प लिया था.

किस की संपत्ति पर अधिकार जमा लिया था.

किसी निर्धन कमजोर पड़ोसी को दुख दिया था अथवा अपने वृद्धि माता-पिता की अवहेलना और दुर्दशा भी की और उसकी आत्मा से आह निकलती रही कि जा तेरा वंश ही समाप्त हो जाए.

कोई पानी देने वाला भी न रहे तेरे वंश में.

अतएव अपने सुखी जीवन में भी मनुष्य को डर कर चलना चाहिए.

मनुष्य को पितृ ऋण ऋषि ऋण उतारने का सतत प्रयास करना चाहिए.

जिस परिवार में कोई दुखी होकर आत्महत्या करता है या उसे आत्महत्या के लिए विवश किया जाता है तो इस परिवार का बाद में क्या हाल होगा? इस पर विचार करें.

आत्महत्या करना सरल नहीं है, अपने जीवन को कोई यूं ही तो नहीं मिटा देता, उसकी आत्मा तो वहीं भटकेगी.

वह आप को कैसे चैन से सोने देगी, थोड़ा विचार करें.

किसी कन्या का अथवा स्त्री का बलात्कार किया जाए तो वह आप को श्राप क्यों न देगी, इस पर विचार करें.

वह यदि आत्महत्या करती है, तो कसूर किसका है.

उसकी आत्मा पूरे वंश को श्राप देगी. वो आत्मा के श्राप से बचना सहज नहीं है.

आपके वंश को इसे भुगतना ही पड़ेगा, यही प्रेत बाधा दोष व यही पितृ दोष है.

इसे समझें और श्रद्धा से भावसे श्राद्ध कमॅ करे.

* प्रेतदोष - प्रेतऋण दोष
* श्रापित प्रेतदोष
* मिलन प्रेतदोष
* छाया मलिन प्रेतबाधा
* पितृ दोष - गौत्र का
* पितृ ऋण श्रापित दोष
* मांगल्य अतृप्तजीव पितृ दोष
* पशु-पक्षी एवं अन्य जीवआत्मा का श्राप
* बाल्य अवस्था मे मुत्यु या भ्रूण हत्या दोष

श्राद्ध पक्ष मे अवश्य यथा योग्य उशके प्रति सद्भावना से सद् कमॅ करे.

  ॥ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय॥
   छाया चोक्की, रोनक कोम्प्लेक्ष
          पोरबंदर -गुजरात
       +919727972119
         एच . एच . राजगुरु
   ज्योतिष-वास्तु-धामिॅकपुजा

        हरिॐतत्सत्

Saturday, 17 September 2016

॥पितृ दोष क्या है॥

*��ग्रहराज पितृ दोष कुंडली��*

॥पितृ दोष जातक की जन्म कुण्डली॥

व्यक्ति की जन्म कुण्डली में उत्तम ग्रह योग होते है व्यक्ति बहुत परिश्रम भी करता है उसके घर का वास्तु भी ठीक होता है, वह धर्म का पालन भी करता है परन्तु फिर भी वह जीवन में अस्थिरता, परेशानियां, घर में बीमारी, कलह, धन की न्यूनता या खूब धनार्जन के बाद भी अत्याधिक खर्चा, अचानक अपयश, विवाह में विलम्ब आदि से पीड़ित रहता है तो इसका अर्थ है कि वे वर्तमान समय कलीयुग के सबसे घातक दोष पितृ दोष से पीड़ित है.
आपके भाग्य मे जो पितृ एवं प्रेतदोष है तो उसका समाधान इस मास मे महा समाधान है.

*एक पितृ के पिछे दो ब्राह्मण भोजन कराए
*पिपल के वृक्षारोपण करे एवं
वृक्षों को पानि चठाए
*भगवत् कथाओं सुने एवं विष्णु भगवान की उपासना करे
*ऋण मुक्ति हेतु श्राद्ध पक्षमे एकबार मुड़न करवाई

*क्रमशः*

*॥��ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय��॥*
        छाया चोक्की, रोनक कोम्प्लेक्ष
            पोरबंदर- गुजरात
         +919727972119
              एच एच राजगुरु
��ज्योतिष-वास्तु-धामिॅकपुजा��

    ��॥हरिॐतत्सत्॥��

Friday, 16 September 2016

श्रद्धा कि भावना श्राद्ध

॥ग्रहराज श्रद्धा और श्राद्ध॥

श्राद्ध श्रद्धा शब्द से बना है

श्रद्धापूर्वक किये गये कर्म को श्राद्ध कहते है. पित्तरों का श्राद्ध करने से कुछ लाभ है अथवा नहीं इसका उत्तर है कि लाभ है अवश्य है और यह लाभ श्राद्ध करने वाले को अत्यधिक तथा पित्तरों को उसका सूक्ष्म अंश मिलता है

जिससे वह अत्यधिक शक्ति, प्रसन्नता एवं सन्तोष का अनुभव करते हैं क्योंकि इस संसार में प्रत्येक जीव या आत्मा किसी ना किसी रूप में विद्यमान अवश्य रहती है.

श्राद्ध के समय पित्तरों के द्वारा जो हमारे ऊपर उपकार हुये है उनका स्मरण करके उनके प्रति अपनी श्रद्धा एवं भावना जरूर व्यक्त करनी चाहिये.

(श्रद्धावान् क्रियते सश्राद्धः)
-श्रद्धासे किया हुवा कमॅ को श्राद्ध कहते है.
*क्रमशः*

   ॥ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय॥
   छाया चोक्की, रोनक कोम्प्लेक्ष
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Thursday, 15 September 2016

॥श्राद्ध मास महत्व॥

��ग्रहराज श्राद्ध महत्व��

*《पितरों का श्राद्ध कर्म》*

हिन्दू धर्म शास्त्र में कहा गया भी गया है कि जो मनुष्य श्राद्ध करता है वह पित्तरों के आशीर्वाद से आयु, पुत्र, यश, बल, वैभव, सुख तथा धन-धान्य प्राप्त करता है.

इसीलिये हिन्दू लोग भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में प्रतिदिन नियम पूर्वक स्नान करके पित्तरों का तर्पण करते है तथा जो दिन उनके पितृ की मृत्यु का होता है उस दिन अपनी शक्ति के अनुसार दान एवं ब्राहमणों को भोजन कराते है.

पहले समय में इस देश में श्राद्ध कर्म का बहुत प्रचार था लोग अपने कर्त्तव्य पालन के लिये सुध-बुध भूल जाते थे, लोग सम्पूर्ण पितृ पक्ष में दाढ़ी, बाल नहीं बनाते थे, तेल नहीं लगाते थे, किसी प्रकार का नशा नहीं करते थे तथा पित्तरों को पुण्य प्रदान करने के लिये सत्कर्म, दान, पुण्य, पूजा-अर्चना में लगे रहते थे.
*क्रमशः*....

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