Sunday, 25 September 2016

पितृ श्राद्ध और कुंडली

      "श्री हरि:परमानंदम्"

॥ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय॥

जन्म कुंडली दिखा कर उचित उपचार करे पितृदोष का

ग्रहराज ज्योतिष का कहना हैकि कई बार यह भी देखने में आया है कि जन्म कुंडली में कोई दोष नहीं होता है फिर भी जातक मुश्किलों में घिरा रहता है  तो इसके लिए उसे अपने परिवार की पृष्ठभूमि  पर विचार करना चाहिए. 

क्या उनके परिवार में उनके पूर्वजों का विधिवत श्राद्ध किया जाता है क्या उसके पूर्वजों को  कहीं से मुफ्त का धन तो नहीं मिला.

कुछ लोग श्राद्ध करने की बजाय मजबूरों को भोजन करवाना अधिक उचित समझते हैं. उनका तर्क होता है कि ब्राह्मणों की बजाय ये लोग ज्यादा आशीर्वाद देंगे.

यह बात सही है कि किसी भी भूखे को भोजन करवाएंगे तो वह आशीर्वाद देगा ही. तो आशीर्वाद के लिए जरुर भोजन करवाएं. लेकिन श्राद्ध कर्म तो एक ब्राह्मण ही कर सकता है और तभी पूर्वजों का आशीर्वाद भी मिलेगा.

यह श्राद्ध करने वाले को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह सुपात्र को ही आमंत्रित करे.  मंदिर का पुजारी हो तो अधिक  उचित रहेगा नहीं तो कोई भी कर्मकांडी या जनेउ धारी ब्राह्मण होना चाहिए.
          
मुफ्त का धन जिसे  कोई निसन्तान व्यक्ति अपनी जायदाद विरासत में दे जाता है या ससुराल से मिला धन.

मैं यहाँ उस धन की बात नहीं कर रहा जो किसी स्त्री को उसके विवाह में मिला है.

यहाँ मैं कहना चाहूंगा की यह वो धन है जो ससुराल में स्त्री के पिता की मृत्यु के बाद मिला है जबकि उसके भाई ना हो.

ऐसी स्थिति में धन का उपभोग तो हो रहा है लेकिन जिसके धन का उपभोग हो रहा है उसके नाम का कोई भी दान -पुन्य नहीं किया जा रहा.

 हमारे समाज में वंश परम्परा चलती है इसी के सिलसिले में पुत्र का जन्म अनिवार्य माना गया है.अगर पुत्र ना हो तो उसकी विरासत पुत्रियों में बाँट दी जाती है.

जैसे की समाज का चलन है तो विचार भी यही  हैं कि अगर पुत्र नहीं होगा तो उसका कमाया धन लोग ही खायेंगे.

उनका नाम लेने वाला कोई नहीं होगा, जब ऐसे इन्सान के धन का उपभोग किया जाये और उसके नाम को भी याद ना किया जाये तो घर में अशांति तो होगी ही.

एक अशांत आत्मा किसी को खुश रहने का आशीर्वाद कैसे दे सकती है..

ऐसी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध तो करना ही चाहिए. 

साथ ही वर्ष में एक बार उसके नाम का कोई दान कर देना चाहिए.

जैसे किसी जरूरत मंद कन्या का विवाह , कहीं पानी की व्यवस्था , या किसी बच्चे की स्कूल की फीस आदि कुछ न कुछ धन राशि जरुर उसके नाम की निकालनी चाहिए.

जब किसी को परिवार से ही जैसे बडेभाई या  चाचा जो कि या  निसन्तान हो या अविवाहित हो- अथवा असमय अकाल मौत हुई हो और उनका कोई वारिस ना  हो तो ऐसे धन का उपभोग भी  परिवार में अशांति लाता है.

अक्सर देखा गया है कि ऐसे धन को उपभोग  वाले की सबसे  छोटी संतान अधिक संताप भोगती है.

॥ऐसे में  फिर क्या किया जाए ?॥

यहाँ भी जिसका भी धन उपभोग किया जा रहा है उसका विधिवत श्राद्ध और उसके नाम से कुछ धन राशी का दान किया जाये तो शांति  बनी रह सकती है.

कई बार परिवार के कुलदेवता का अनादर भी परिवार में अशांति  का कारण बनती है.

ये जो  कुल देवता या पितृ होते हैं , वे हमारे और ईश्वर के मध्य संदेशवाहक का कार्य हैं. 

यदि ये प्रसन्न होंगे तो ईश्वर की कृपा जल्दी प्राप्त होती है.

कई बार कोई व्यक्ति किसी निसंतान दम्पति द्वारा  गोद लिया जाता है-ऐसे में उसे , वह जिस परिवार में जन्मा है , उस परिवार के कुल देवताओं की पूजा भी करने पड़ती है.

क्यूंकि उसमें उस परिवार का (जहाँ जन्म लिया है उसने ) भी ऋण चुकाना होता है- जहाँ वह रहता है वहां के कुल देवता की भी पूजा करनी होती है उसे- तभी उसके जीवन में शांति बनी रहती है.

॥ दोष है तो हल भी है ॥

॥ १ -श्राद्ध कर के ब्राह्मण को वस्त्र -दक्षिणा आदि दीजिये॥

॥२ - गाय की सेवा कीजिये- इसके लिए किसी भी मजबूर व्यक्ति की गाय के लिए साल भर के लिए चारे की व्यवस्था कीजिये ॥

॥३ -चिड़ियों को बाजरी के दाने  डालिए॥

॥४ -कोवों को रोटी॥

॥५ -हर अमावस्या को मंदिर में सूखी रसोई और दूध का दान कीजिये॥

॥६ - हर मौसम में जो भी नई सब्जी और फल हो उसे पहले अपने पितरों और कुल देवताओं के नाम मंदिर में दान दीजिये॥

॥७ - हर अमावस्या को गाय को हरा घास(चरा)डलवायें॥

॥८ - किसी धार्मिक स्थल पर आम और पीपल का वृक्ष लगवा दे॥

॥९ -तुलसी की सेवा करे॥

॥१०-अपने पूर्वजों के नाम पर जल की व्यवस्था करनी चाहिए(सेवाकिय प्रवृत्ति)॥

॥--पितरो  के निमित्त विशेष--॥

हमारी व्यवस्था होसके तो तिथॅ मे जाके श्राद्ध कमॅ करना चाहिए.

*पंचबलि श्राद्ध
*महालय श्राद्ध
*प्रेतबलि श्राद्ध
*वायु-भुतबलि श्राद्ध
*नारायण नागबलि श्राद्ध
*कागबलि श्राद्ध
*श्वानबलि श्राद्ध
*पूणिॅमां श्राद्ध
*अमावस्या सवॅपितृ श्राद्ध
*मातृगया एवं पितृगया श्राद्ध
*नित्य श्राद्ध
*काम्य श्राद्ध
*वृद्ध श्राद्ध
*पावॅ श्राद्ध
*गौष्ठ श्राद्ध
*शुद्धि श्राद्ध
*दैविक श्राद्ध
*कमाॅग श्राद्ध
*तुष्ठी श्राद्ध
*त्रिपंडी श्राद्ध
*पंचायतन देव श्राद्ध

-विशेष जानकारी हेतु ग्रहराज कार्यालय का संपकॅ करे
केवल रविवार एवं सोमवार

-मिलने से पहले फोन करके एपोईमेन्ट लेना आवस्यक है.

------॥ओफिस॥------
" ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय "
छाया चोक्की, रोनक कोम्प्लेक्ष
      पोरबंदर -गुजरात
   +919727972119
       एच एच राजगुरु
ज्योतिष-वास्तु-धामिॅकपुजा
Hitu9grahgochar@gmail.com

       ॥हरिॐतत्सत्॥

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