Monday, 22 April 2024

श्रीहनुमद्वाडवानलस्तोत्रम्

।।श्रीहनुमद्वाडवानलस्तोत्रम्।।


श्रीहनुमद्वाडवानलस्तोत्रम् श्रीगणेशाय नमः । 

 श्रीरामचन्द्र ऋषिः, श्रीवडवानलहनुमान् देवता,

 मम समस्तरोगप्रशमनार्थं, आयुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्ध्यर्थं, 

समस्तपापक्षयार्थं, सीतारामचन्द्रप्रीत्यर्थं च 

हनुमद्वाडवानलस्तोत्रजपमहं करिष्ये ॥ 

 ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्री महाहनुमते प्रकटपराक्रम 

सकलदिङ्मण्डलयशोवितानधवलीकृतजगत्त्रितय

 वज्रदेह रुद्रावतार लङ्कापुरीदहन उमामलमन्त्र 

उदधिबन्धन दशशिरःकृतान्तक सीताश्वसन वायुपुत्र 

अञ्जनीगर्भसम्भूत श्रीरामलक्ष्मणानन्दकर 

कपिसैन्यप्राकार सुग्रीवसाह्य रणपर्वतोत्पाटन 

कुमारब्रह्मचारिन् गभीरनाद सर्वपापग्रहवारण 

सर्वज्वरोच्चाटन डाकिनीविध्वंसन

 ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीरवीराय सर्वदुःखनिवारणाय 

ग्रहमण्डलसर्वभूतमण्डलसर्वपिशाचमण्डलोच्चाटन 

भूतज्वरएकाहिकज्वरद्व्याहिकज्वरत्र्याहिकजरचातुर्थिकज्वर- 

सन्तापज्वरविषमज्वरतापज्वरमाहेश्वरवैष्णवजरान् छिन्धि छिन्धि

 यक्षब्रह्मराक्षसभूतप्रेतपिशाचान् उच्चाटय उच्चाटय 

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहाहनुमते 

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः आं हां हां हां औं सौं एहि एहि एहि 

ॐहं ॐहं ॐहं ॐहं ॐनमो भगवते श्रीमहाहनुमते श्रवणचक्षुर्भूतानां 

शाकिनीडाकिनीनां विषमदुष्टानां सर्वविषं हर हर 

आकाशभुवनं भेदय भेदय छेदय छेदय मारय मारय 

शोषय शोषय मोहय मोहय ज्वालय ज्वालय 

प्रहारय प्रहारय सकलमायां भेदय भेदय 

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महाहनुमते सर्व ग्रहोच्चाटन परबलं क्षोभय क्षोभय सकलबन्धनमोक्षणं कुरु कुरु 

शिरःशूलगुल्मशूलसर्वशूलान्निर्मूलय निर्मूलय 

नागपाशानन्तवासुकितक्षककर्कोटककालियान् 

यक्षकुलजलगतबिलगतरात्रिञ्चरदिवाचर सर्वान्निर्विषं कुरु कुरु स्वाहा ॥ 

राजभयचोरभयपरमन्त्रपरयन्त्रपरतन्त्रपरविद्च्छेदय छेदय

 स्वमन्त्रस्वयन्त्रस्वतन्त्रस्वविद्याः प्रकटय प्रकटय 

सर्वारिष्टान्नाशय नाशय सर्वशत्रून्नाशय नाशय 

असाध्यं साधय साधय हुं फट् स्वाहा ॥ 

 ॥ इति श्रीविभीषणकृतं हनुमद्वाडवानलस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥ 

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