Saturday, 31 December 2022

पूर्णिमा व्रत 2023

*विक्रम संवत 2079 पूर्णिमा व्रत*
*2023 वर्ष की पूर्णिमा* 

पौष पूर्णिमा व्रत
जनवरी 6, 2023, शुक्रवार
प्रारम्भ - 02:14 ए एम, जनवरी 06
समाप्त - 04:37 ए एम, जनवरी 07
GrahRaj Astrology ज्योतिष-वास्तु-धार्मिकपूजा

माघ पूर्णिमा व्रत
फरवरी 5, 2023, रविवार
प्रारम्भ - 09:29 पी एम, फरवरी 04
समाप्त - 11:58 पी एम, फरवरी 05

फाल्गुन पूर्णिमा व्रत
मार्च 7, 2023, मंगलवार
प्रारम्भ - 04:17 पी एम, मार्च 06
समाप्त - 06:09 पी एम, मार्च 07

चैत्र पूर्णिमा व्रत 
अप्रैल 5, 2023 बुधवार 
प्रारम्भ - 09:19 ए एम, अप्रैल 05
समाप्त - 10:04 ए एम, अप्रैल 06

चैत्र पूर्णिमा
अप्रैल 6, 2023, बृहस्पतिवार
प्रारम्भ - 09:19 ए एम, अप्रैल 05
समाप्त - 10:04 ए एम, अप्रैल 06
GrahRaj Astrology ज्योतिष-वास्तु-धार्मिकपूजा

वैशाख पूर्णिमा व्रत
मई 5, 2023, शुक्रवार
प्रारम्भ - 11:44 पी एम, मई 04
समाप्त - 11:03 पी एम, मई 05

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
जून 3, 2023, शनिवार
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
प्रारम्भ - 11:16 ए एम, जून 03
समाप्त - 09:11 ए एम, जून 04

ज्येष्ठ पूर्णिमा
जून 4, 2023, रविवार
प्रारम्भ - 11:16 ए एम, जून 03
समाप्त - 09:11 ए एम, जून 04

आषाढ़ पूर्णिमा व्रत
जुलाई 3, 2023, सोमवार
प्रारम्भ - 08:21 पी एम, जुलाई 02
समाप्त - 05:08 पी एम, जुलाई 03

श्रावण मास अधिक पूर्णिमा व्रत
अगस्त 1, 2023, मंगलवार
प्रारम्भ - 03:51 ए एम, अगस्त 01
समाप्त - 12:01 ए एम, अगस्त 02

निज श्रावण पूर्णिमा व्रत
अगस्त 30, 2023, बुधवार
प्रारम्भ - 10:58 ए एम, अगस्त 30
समाप्त - 07:05 ए एम, अगस्त 31
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श्रावण पूर्णिमा
अगस्त 31, 2023, बृहस्पतिवार
प्रारम्भ - 10:58 ए एम, अगस्त 30
समाप्त - 07:05 ए एम, अगस्त 31

भाद्रपद पूर्णिमा व्रत
सितम्बर 29, 2023, शुक्रवार
प्रारम्भ - 06:49 पी एम, सितम्बर 28
समाप्त - 03:26 पी एम, सितम्बर 29

आश्विन पूर्णिमा व्रत
अक्टूबर 28, 2023, शनिवार
प्रारम्भ - 04:17 ए एम, अक्टूबर 28
समाप्त - 01:53 ए एम, अक्टूबर 29

नूतन कार्तिकमास पूर्णिमा व्रत
नवम्बर 27, 2023, सोमवार
प्रारम्भ - 03:53 पी एम, नवम्बर 26
समाप्त - 02:45 पी एम, नवम्बर 27

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत
दिसम्बर 26, 2023, मंगलवार
प्रारम्भ - 05:46 ए एम, दिसम्बर 26
समाप्त - 06:02 ए एम, दिसम्बर 27

स्थानिक समय तालिका देवभूमि द्वारका गुजरात से है।
स्थानिक सामान्य समय बदलाव हो सकता है। व्रत और उपवास हेतु ।
हरि ॐ

सुचना 📵यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में आप कार्यालय पर संपर्क करें।

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       *📜ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय📜*
     छाया रोड बालाजी कोम्प्लेक्स -3 माला
भारतीय विद्यालय के सामने पोरबंदर-गुजरात

                 रविवार एवं सोमवार
                   9727972119
              शास्त्री  एच एच राजगुरू
          *ज्योतिष-वास्तु-धार्मिकपुजा*

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हरसिद्धि नगर , सलाया रोड  जाम खम्भालिआ -
देव भूमि द्वारका-३६१३०५

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       *🙏🏻 हरि: ॐ तत्सत् 🙏🏻*


Friday, 30 December 2022

2023 एकादशी व्रत


*૨૦૨૩ આવતી એકાદશી વ્રત* 

🚩🚩🍃🚩🚩🍃🚩🚩

*તારીખ   🙏🏻  ત્યોહાર*

સોમવાર, 02 જાન્યુઆરી 
*પોષ પુત્રદા એકાદશી*

બુધવાર, 18 જાન્યુઆરી
*ષટતિલા એકાદશી*

બુધવાર, 01 ફેબ્રુઆરી
*જયા એકાદશી*

ગુરૂવાર, 16 ફેબ્રુઆરી
*વિજયા એકાદશી*

શુક્રવાર, 03 માર્ચ
*આમલ્કી એકાદશી*

શનિવાર, 18 માર્ચ
*પાપમોચિની એકાદશી*

શનિવાર, 01 એપ્રિલ
*કામદા એકાદશી*

રવિવાર, 16 એપ્રિલ
*વરુથિની એકાદશી*

સોમવાર, 01 મે
*મોહિની એકાદશી*

સોમવાર, 15 મે
*અપરા એકાદશી*

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બુધવાર, 31 મે
*નિર્જળા એકાદશી*

બુધવાર, 14 જૂન
*યોગિની એકાદશી*

ગુરૂવાર, 29 જૂન
*દેવ શયની એકાદશી*

ગુરૂવાર, 13 જુલાઈ
*કામિકા એકાદશી*

શનિવાર, 29 જુલાઈ
*પદ્મિની એકાદશી*

શનિવાર, 12 ઑગસ્ટ
*પરમ એકાદશી*

રવિવાર, 27 ઑગસ્ટ
*શ્રાવણ પુત્રદા એકાદશી*

રવિવાર, 10 સપ્ટેમ્બર
*અજા એકાદશી*

સોમવાર, 25 સપ્ટેમ્બર
*પરિવર્તિની એકાદશી*

મંગળવાર, 10 ઑક્ટોબર
*ઈન્દિરા એકાદશી*
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બુધવાર, 25 ઑક્ટોબર
*પાશાંકુશ એકાદશી*

ગુરૂવાર, 09 નવેમ્બર
*રમા એકાદશી*

ગુરૂવાર, 23 નવેમ્બર
*દેવઉથ્થન એકાદશી*

શુક્રવાર, 08 ડિસેમ્બર
*ઉત્પન્ના એકાદશી*

શનિવાર, 23 ડિસેમ્બર
*મોક્ષદા એકાદશી*

સૂચન📵:*

(વ્રત, ઉત્સવમાં સ્થાનિક સમય સામન્ય પરિવર્તન હોઈ શકે છે.)

*આ લેખ પૌરાણિક ગ્રંથો અથવા માન્યતાઓ પર આધારિત છે અને તેથી તેમાં વર્ણવેલ સામગ્રીના વૈજ્ઞાનિક પુરાવાની ખાતરી આપી શકાતી નથી. વિગતવાર તમે ઓફિસ પર સંપર્ક કરો.*

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         શાસ્ત્રી એચ.એચ. રાજગુરુ

    

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       *🙏🏻શ્રીહરિ:🙏🏻*

Monday, 17 October 2022

।। दीपावली शुभ मुहूर्त 2022 ।।

॥��"श्री हरि:परमानंदम्��॥
   *॥दिपावली विशेष मुहूर्त 2022  पंचांग॥*
        *॥ ग्रहराज ज्योतिष कार्यालय ॥*
             शास्त्री श्री एच एच राजगुरु
                  -----------------------


*॥चोपड़ा खरिदी मुहूर्त॥*

संवत-२०७८  आश्विन मास कृष्ण पक्ष -७/८ तिथि
दिनांक-१८/१०/२०२२ - मंगलवार
(और पुष्य नक्षत्र सुबह में ०९:४३  से उत्तम समय रहेगा)
-----------------------
*��विशेष समय तालिका चोघडीया के अनुसार��*


*सुबह ०९:४३  से ११:१० तक
*सुबह ११:१० से १२: ३६ तक
*दोपहर १२:३६ से १४ :०३  तक
-----------------------
*॥ग्रह होरा अनुसार मुहूर्त॥*

सुबह ०८ : ४५ से ०९ : ४३ तक
सुबह ०९ : ४३ से १० : ४१ तक
दोपहर १२:३६ से १३:३४  तक
-----------------------
नोध ~उपर बताएँ गए समय तालिका के अनुसार नुतन वषॅ के लिए पुस्तक, डायरी,रजिस्ट्रर, और वैपारिक उपयोगी एवं नया साल मे निजि जीवन उपयोगी पुस्तक खरिदी के लिए शुभ मुहूर्त है ।
||-ग्रहराज एस्ट्रोलोझि एच एच राजगुरु||
➖➖➖➖➖➖➖➖➖


    *��॥धनतेरस॥��*
संवत- २०७८  आश्विन मास कृष्ण पक्ष - १२/१३ तिथि
दिनांक - २२/१० /२०२२ - शनिवार
(धनतेरस समय १८ :०२ प्रारंभ तिथि होगी।
-----------------------
*धनतेरस-धन त्रयोदेशी
*धन्वंतरी जयंती
*दीपदान पुजा
*धन लक्ष्मी पुजा
*श्री यंत्र सिद्ध पुजा
*गादि बिछौना
*औषधियों सामग्री की पुजा
-----------------------
*॥शुभ समयावधि चोघडीया अनुसार मुहूर्त ॥*
दिनांक- २२ /१० /२०२२ - शनिवार

सायंकाल  १८:२० से १९:५४ तक
सायंकाल २१:२८ से २३:०२ तक
रात्रिकालीन २३:०२ से २४:३६ तक
रात्रिकालीन  २४:३६ से २६:१० तक
-----------------------
*॥ शुभ मुहूर्त ग्रह होरा अनुसार समय तालिका ॥*                        
सायंकाल १८:२० से १९:२२ तक
सायंकाल २१:२८ से २२:३० तक
रात्रिकालीन २४:३६ से २५:३९ तक
रात्रिकालीन २६:४१ से २७:४४ तक
-----------------------
उपर बताएँ गए समय मे- श्री लक्ष्मी पुजा, श्री साधना,आयुर्वेद की उपासना एवं दिप दान और मांगल्य पुजा करना श्वेष्ठ एवं उत्तम है
॥-ग्रहराज एस्ट्रोलोझि एच एच राजगुरु॥
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   *॥▪कालि चौदश▪॥*
संवत २०७८  - आश्विन मास कृष्ण पक्ष १३/१४  तिथि
दिनांक- २३ /१०/२०२२  - रविवार
*चौदश तिथि प्रारंभ सायं संध्या १८: ०३ से)*

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*कालि चौदश
*नरक चतुदॅशी
*रुप चतुदॅशी
*श्री हनुमान पुजन
*काल भैरव पुजन
*दिप दान
*नैवेध्य दिवस
*महाकालि दैवी उपासना
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॥साधना पुजा हेतु समय॥
     चोघडिया अनुसार
सुबह ०८:१८ से ०९:४४ तक
सुबह ०९:४४ से ११:१० तक
दोपहर  ११:१० से १२:३५ तक
दोपहर ११ : १० से १२ : ३५ तक
सायंकाल  १८:१९ से १९:५३ तक
सायंकाल १९:५३ से २१:२७ तक
सायंकाल २१:२७ से २३:०२ तक
मध्यरात्रि २६:१० से २७:४४ तक


 *होरा अनुसार साधना समय*

*होरा, दिवस*
सूर्यग्रह  06:52  से  07:49
शुक्रग्रह    07:49 - 08:46
बुधग्रह  08:46 - 09:44
चन्द्रग्रह 09:44 - 10:41
शनिग्रह 10:41 - 11:38
बृहस्पतिग्रह 11:38 - 12:35
मंगलग्रह 12:35 - 13:33
सूर्यग्रह 13:33 - 14:30
शुक्रग्रह 14:30 - 15:27
बुधग्रह 15:27 - 16:25
चन्द्र ग्रह 16:25 - 17:22
शनिग्रह 17:22 - 18:19

-----------------------
इस दिवस मे - तंत्र साधना, मंत्र मारण, पुजा-विधान, तमोगुणी साधना के प्रयोग,
हनुमानजी एवं भैरव के अनुलक्षी उपासना हेतु उत्तम दिवस है।
॥-ग्रहराज एस्ट्रोलोझि एच एच राजगुरु ॥
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          ॥��दिपावली��॥
संवत -२०७८  आश्विन मास कृष्ण पक्ष ३०  - अमावस्या
दिनांक -२४/१०/२०२२  - सोमवार
*आश्विन अमावस्या
*दिपावली दिप दान
*दिप पुजन
*रोशनी दिवस
*सरस्वती पुजा
*लक्ष्मी-शारदा पुजन
विशेष चोपड़ा पुजन दिवस
-----------------------
*॥शुभ समय चोघडीया अनुसार पुजा हेतु॥*
सुबह ०६:४२ से ०८:१८ तक
सुबह  ०९:४४ से ११:१० तक
दोपहर  १४:०१ से १५:२७ तक
दोपहर  १५:२७ से १६:५३ तक
सायंकाल  १६:५३ से १८:१८ तक
सायं        १८:१८ से १९:५३ तक 
रात्रि  २३:०१ से २४:३६ तक
                              
-----------------------
*॥शुभ ग्रह होरा अनुसार मुहूर्त॥*
*दिवस की होरा*
चन्द्रग्रह 06:52 - 07:50
शनिग्रह 07:50 - 08:47
बृहस्पतिग्रह 08:47 - 09:44
मंगलग्रह 09:44 - 10:41
सूर्यग्रह 10:41 - 11:38
शुक्रग्रह 11:38 - 12:35
बुधग्रह  12:35 - 13:33
चन्द्रग्रह 13:33 - 14:30
शनि ग्रह 14:30 - 15:27
बृहस्पतिग्रह 15:27 - 16:24
मंगल ग्रह 16:24 - 17:21
सूर्यग्रह 17:21 - 18:18

-----------------------
उपर बताएँ गए मुहूर्त के अनुसार पुजा , अनुष्ठान, विधि-विधान एवं दिप दान, लक्ष्मी पुजा-शारदा पुजन, चोपड़ा पुजन आदि कायॅ करना शुभ है।
                                                                                                                                                                                                                

                                                      
          *'' विशेष दीपावली त्यौहार ''*
                                                                   विजयादशमी दिनांक  ०५ /१० /२०२२  बुधवार  
                                                                                                                                        
शरद पूर्णिमा  दिनांक ०९ / १० / २०२२ -  रविवार                                   

वाघ बारस दिनांक  २१ /१० / २०२२ - शुक्रवार                                  

धन तेरस  दिनांक २२ / १०  / २०२२ - शनिवार दोपहर के बाद में                                

काली चौदश    दिनांक २३ / १० / २०२२ - रविवार                        

दीपावली     दिनांक  २४  / १० / २०२२ - सोमवार                               

नूतन वर्ष प्रारंभ  दिनांक  २६ / १० / २०२२ - बुधवार

                              
भाई बीज दिनांक  २६ / १० / २०२२-    बुधवार

                                    
लाभ पंचमी  दिनांक  २९  / १० / २०२२ - शनिवार                             

जलाराम जयंती   दिनांक ३१ / १० / २०२२ -   सोमवार                    

तुलसी विवाह दिनांक ०५/ ११ / २०२२ -   शनिवार                       

देव दीवाली दिनांक ०७  / ११ / २०२२ - सोमवार
                                  
 ॥-ग्रहराज एस्ट्रोलोझि एच एच राजगुरु ॥
                                                ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖

आपको और आपके परिवार को दिपावली की हादिॅक शुभकामना एवं नुतन वषॅ आपके लिए मंगलकारि हो।

⏱️सभी समय तालिका स्थानिक समय देवभूमि द्वारका गुजरात के अनुसार है।
स्थानिक समय में और मुहूर्त में सामान्य परिवर्तन हो सकता है।

सुचना 📵यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में आप कार्यालय पर संपर्क करें।

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*।। विशेष दीपावली और व्रत पर्व  मुहूर्त समय तालिका 2022।।*

*🪷रमा एकादशी🪷* 
दिनांक २१,१०, २०२२ शुक्रवार
२२ को अक्टूबर को, पारण
 (व्रत तोड़ने का) समय - ०६:५० से ०९:०९

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - १८:०२

एकादशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर २०, २०२२ को १६:०४ बजे
एकादशी तिथि समाप्त - अक्टूबर २१, २०२२ को १७:२२ बजे
____________________________
*🪷वाघ बारस🪷*
*गोवत्स द्वादशी* 
दिनांक २१, १०, २०२२  शुक्रवार

प्रदोषकाल गोवत्स द्वादशी मुहूर्त - १८:२३ से २१:१०
अवधि - ०२ घण्टे ४६ मिनट्स

द्वादशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर २१, २०२२ को ०५:५२ बजे
द्वादशी तिथि समाप्त - अक्टूबर २२, २०२२ को ०६:३२ बजे

____________________________
*धनतेरस पूजा*
 दिनांक २२,१०,२०२२ शनिवार
धनतेरस पूजा मुहूर्त - १९:०७ से २०:४१
अवधि - ०१ घण्टा ३४ मिनट्स
यम दीपम शनिवार, अक्टूबर २२, २०२२ को

प्रदोष काल - १८:२१ से २१:०८
वृषभ काल - १९:०७ से २०:४१

त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर २२, २०२२ को ०६:३२ बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त - अक्टूबर २३, २०२२ को ०६:३३ बजे
____________________________
*शनि त्रयोदशी प्रदोष*
दिनांक २२,१०, २०२२, शनिवार
शनि प्रदोष व्रत
प्रदोष काल१८:२१ से २०:५१
समयअवधी०२ घण्टे ३० मिनट्स

आश्विन, कृष्ण त्रयोदशी
प्रारम्भ - १८:०२, अक्टूबर २२
समाप्त - १८:०३, अक्टूबर २३
____________________________
*यम दीप दान*
दिनांक २२, १०,२०२२ शनिवार 

यम दीपम सायान्ह सन्ध्या - १८:२१ से १९:३६

अवधि - ०१ घण्टा १५ मिनट्स

____________________________
*काली चौदस*

दिनांक २३,१०, २०२२ रविवार

काली चौदस मुहूर्त - ००:११ से ०१:०१, अक्टूबर २४

अवधि - ०० घण्टे ५० मिनट्स

*हनुमान पूजा* रविवार, २३, १०, २०२२ को

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर २३, २०२२ को १८:०३ बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त - अक्टूबर २४, २०२२ को १७:२७ बजे

____________________________
*लक्ष्मी पूजा ,  शारदा पूजा*
दिनांक २४,१०, २०२२ सोमवार

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - १९:३४ से २०:५०
अवधि - ०१ घण्टा १६ मिनट्स

प्रदोष काल - १८:२० से २०:५०
वृषभ काल - १९:३४ से २१:३३

अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर २४, २०२२ को १७:२७ बजे
अमावस्या तिथि समाप्त - अक्टूबर २५, २०२२ को १६:१८ बजे
____________________________
*सूर्य ग्रहण*

JamKhambhaliya देवभूमि द्वारका में आंशिक/खण्डग्रास सूर्य ग्रहण

ग्रहण प्रारम्भ काल - १६:३७

परमग्रास - १७:३६

सूर्यास्त के साथ ग्रहण समाप्त होगा

खण्डग्रास की अवधि - ०१ घण्टा ४२ मिनट्स ०९ सेकण्ड्स

अधिकतम परिमाण - ०.४४

सूर्यास्त के समय परिमाण - ०.१५


सूतक प्रारम्भ - ०३:४४
सूतक समाप्त - १८:१९


बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक प्रारम्भ - १२:३५
बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक समाप्त - १८:१९

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Thursday, 15 September 2022

🌾17 सितम्बर 2022 को श्राद्ध क्यों नहीं🌾

*🌼17 सितम्बर को श्राद्ध क्यों नहीं🌼*
*🌼शास्त्रार्थ प्रमाण और सामान्य ज्ञान🌼*

*🪷द्विपुस्कर योग में श्राद्ध नही करना चाहिए🪷*

*द्विपुस्करे सु नंदासु सिनिवाल्याम् भृगोर्दिने।*
*चतुर्दश्याम् च नोमानि कृतिकासु त्रिपुष्करे।।* धर्म सिन्धु/मरिचि

GrahRaj Astrology ज्योतिष-वास्तु-धार्मिकपूजा

दिनांक १७/०९/२०२२ शनिवार
भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष / ७ तिथि

नक्षत्र रोहिणी : १२: २१तक
बादमे नक्षत्र मृगशीर्ष:

सप्तमी तिथि प्रारंभ १६ सितम्बर २०२२ /१२:१९ को
सप्तमी तिथि समाप्त १७ सितम्बर २०२२ / १४:१४ तक

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*✨द्विपुष्कर योग✨*
 *, तिथि एवं नक्षत्र तीनों के संयोग से बनने वाला ऐसा विशिष्ट योग है जिसमें किये गये कार्य की पुनरावृति होती है*

अर्थात इस समय आप जो भी काम करेंगे उसे आपको पुन: दुहराना पड़ता है। 

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आप इस योग में शुभ काम करते हैं तो आपको दो-बार वह शुभ काम करने का सौभाग्य मिलेगा, आपको दो बार लाभ प्राप्त होगा ।

लेकिन अगर आप इस योग में कोई अशुभ काम करते है तो, उसे भी उसे आपको दुहराना पड़ता है 

इसलिए इस योग में कोई भी अशुभ कार्य कतई भी नहीं करना चाहिए।

(1) भद्रा तिथि यानी द्वितीया, सप्तमी, द्वादशी अगर 

(2) रविवार, मंगलवार अथवा शनिवार के दिन होता है और 

(3) द्विपाद नक्षत्र यानी मृगशिरा, चित्रा एवं घनिष्ठा में से कोई संयोग करता है तो इन तीनों के मिलाप से यह योग बनता है।

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अतः  इस दिन शुभ कार्य ही करने चाहिए, जैसे सम्पत्ति का क्रय , धन का विनियोग या  किसी भी नए शुभ कार्य का प्रारम्भ आदि । 

श्राद्धादि जैसे अशुभ कार्य कभी भी द्विपुष्कर योग में नहीं करनी चाहिए किसी की मृत्यु द्विपुष्कर या त्रिपुष्कर की अंत्योष्टि क्रिया तथा उसके प्रमुख श्राद्ध कर्म को “द्विपुष्कर” या “त्रिपुष्कर योग” में नहीं करना चाहिए।

શ્રાદ્ધ પક્ષ - ૨૦૨૨

સવંત ૨૦૭૮ ભાદ્રપદ માસ 

તારીખ ૧૦-૦૯-૨૦૨૨ થી ૨૫-૦૯-૨૦૨૨ સુધી

શ્રાદ્ધ પક્ષ કયું શ્રાદ્ધ ક્યારે કરવું.

(પૂનમ નું શ્રાદ્ધ અમાસ દિવસે કરવું )

10 સપ્ટેમ્બર પ્રતિપદાનુ શ્રાદ્ધ

11 સપ્ટેમ્બર દ્વીતિયાનુ શ્રાદ્ધ

12 સપ્ટેમ્બર તૃતીયાનુ શ્રાદ્ધ

13 સપ્ટેમ્બર ચતુર્થીનુ શ્રાદ્ધ

14 સપ્ટેમ્બર પંચમીનુ શ્રાદ્ધ

15 સપ્ટેમ્બર ષથ્ઠીનુ શ્રાદ્ધ

16 સપ્ટેમ્બર સપ્તમીનુ શ્રાદ્ધ

17/09/2022  કોઇ શ્રાદ્ધ નઇ

18 સપ્ટેમ્બર અષ્ટમીનુ શ્રાદ્ધ

19 સપ્ટેમ્બર નવમીનુ શ્રાદ્ધ, સૌભાગ્યવતીનુ શ્રાદ્ધ

20 સપ્ટેમ્બર દશમીનુ શ્રાદ્ધ

21 સપ્ટેમ્બર એકાદશીનુ શ્રાદ્ધ

22 સપ્ટેમ્બર દ્વાદશીનુ શ્રાદ્ધ, સન્યાસીઓનુ શ્રાદ્ધ

23 સપ્ટેમ્બર ત્રયોદશીનુ શ્રાદ્ધ

24 સપ્ટેમ્બર ચતુર્દશીનુ શ્રાદ્ધ, દૂર્ઘટનામાં મૃતકોનુ શ્રાદ્ધ

25 સપ્ટેમ્બર સર્વપિતૃ અમાસ, અમાસનુ શ્રાદ્ધ

(પૂનમ નુ શ્રાદ્ધ)


દૂર્ઘટનામાં મૃતનુ શ્રાદ્ધ ચતુર્દશીએ કરવુ


શ્રાદ્ધ પક્ષની ચતુર્દશી તિથિના દિવસે શસ્ત્રથી, દૂર્ઘટનામાં, અકાળ મૃત્યુથી મૃતકોનુ શ્રાદ્ધ કરવુ જોઈએ. ભલે તેમની મૃત્યુ તિથિ કોઈ પણ હોય. સર્વપિતૃ અમાસના દિવસે એ બધા મૃતકોનુ શ્રાદ્ધ કરવામાં આવે છે જેમની મૃત્યુ તિથિ વિશે ખબર ન હોય. આ દિવસે તમે પોતાના જાણીતા-અજાણ્યા બધા પિતૃઓનુ શ્રાદ્ધ કરી શકો છો.

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Saturday, 3 September 2022

।।🌾 श्री राधा स्तोत्र🌾।।

*🚩🪷श्रीराधास्तोत्रं गणेशकृतम् 🪷🚩*


*श्रीगणेश उवाच ।*

तव पूजा जगन्मातर्लोकशिक्षाकरी शुभे।
ब्रह्मस्वरूपा भवती कृष्णवक्षःस्थलस्थिता ॥ १॥

यत्पादपद्ममतुतलं ध्यायन्ते ते सुदुर्लभम् ।
सुरा ब्रह्मेशशेषाद्या मुनीन्द्राः सनकादयः ॥ २॥

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जिवन्मुक्ताश्च  भक्ताश्च सिद्धेन्द्राः कपिलादयः ।
तस्य प्राणाधिदेवि  त्वं प्रिया प्राणाधिका परा ॥ ३॥

वामाङ्गनिर्मिता राधा दक्षिणाङ्गश्च माधवः ।
महालक्ष्मीर्जगन्माता तव वामाङ्गनिर्मिता ॥ ४॥

वसोः सर्वनिवासस्य प्रसूस्त्वं परमेश्वरी ।
वेदानां जगतामेव मूलप्रकृतिरीश्वरी ॥ ५॥

सर्वाः प्राकृतिका मातः सृष्ट्यां च त्वद्विभूतयः ।
विश्वानि कार्यरूपाणि त्वं च कारणरूपिणी ॥ ६॥

प्रलये ब्रह्मणः पाते तन्निमेषो हरेरपि ।
आदौ राधां समुच्चार्य पश्चात् कृष्णं परात्परम् ॥ ७॥

स एव पण्डितो योगी  गोलोकं याति लीलया ।
व्यतिक्रमे महापी ब्रह्महत्यां लभेद् ध्रुवम् ॥ ८॥

जगतां भवती माता परमात्मा पिता हरिः ।
पितुरेव गुरुर्माता पूज्या वन्द्या परत्परा ॥ ९॥

भजते देवमन्यं वा कृष्णं वा सर्वकारणम् ।
पुण्यक्षेत्रे महामूढो यदि निन्दा राधीकाम् ॥ १०॥

वंशहानिर्भवेत्तस्य दुःखशोकमिहैव च ।
पच्यते निरते घोरे याव द्रदिवाकरौ ॥ ११॥

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गुरुश्च ज्ञानोद्गिरणाज्ज्ञानं स्यान्मंत्रतंत्रयोः ।
स च मन्त्रश्च तत्तन्त्रं  भक्तिः  स्याद् युवयोर्यतः ॥ १२॥

निशेव्य मन्त्रं देवानां जीवा जन्मनि जन्मनि ।
भक्ता भवन्ति दुर्गायाः पादपद्मे सुदुर्लभे ॥ १३॥

निषेव्य मन्त्रं शम्भोश्च जगतां कारणस्य च ।
तदा प्राप्नोति युवयोः पादपद्मं सुदुर्लभम् ॥ १४॥

युवयोः पादपद्मं च दुर्लभं प्राप्य पुण्यवान् ।
क्षणार्धं षोडशांशं च न हि मुञ्चति दैवतः ॥ १५॥

भक्त्या च युवयोर्मन्त्रं गृहीत्वा वैष्णवादपि ।
स्तवं वा कवचं वापि कर्ममूलनिकृन्तनम् ॥ १६॥

यो जपेत् परया भक्त्या पुण्यक्षेत्रे च भारते ।
पुरुषाणां सहस्रं च स्वात्मना  सार्धमुद्धरेत् ॥ १७॥

गुरुमभ्यर्च्य विधिवद् वस्त्रालंकारचन्दनैः ।
कवचं धारयेद् यो हि विष्णुतुल्यो भवेद् ध्रुवम् ॥ १८॥

॥ इति श्री ब्रह्मवैवर्ते गणेशकृतं श्रीराधास्तवनं सम्पूर्णम् ॥

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Wednesday, 10 August 2022

।।श्रीहयग्रीवकवचम्।।

श्रीहयग्रीवकवचम्

अस्य श्रीहयग्रीवकवचमहामन्त्रस्य हयग्रीव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीहयग्रीवः परमात्मा देवता, ॐ श्रीं वागीश्वराय नम इति बीजं, ॐ क्लीं विद्याधराय नम इति शक्तिः, ॐ सौं वेदनिधये नमो नम इति कीलकम्, ॐ नमो हयग्रीवाय शुक्लवर्णाय विद्यामूर्तये, ओङ्कारायाच्युताय ब्रह्मविद्याप्रदाय स्वाहा । मम श्रीहयग्रीवप्रसाद सिध्यर्थे जपे विनियोगः ॥ ध्यानम् - कलशाम्बुधिसङ्काशं कमलायतलोचनम् । कलानिधिकृतावासं कर्णिकान्तरवासिनम् ॥ १॥ ज्ञानमुद्राक्षवलयशङ्खचक्रलसत्करम् । भूषाकिरणसन्दोहविराजितदिगन्तरम् ॥ २॥ वक्त्राब्जनिर्गतोद्दामवाणीसन्तानशोभितम् । देवतासार्वभौमं तं ध्याये दिष्टार्थसिद्धये ॥ ३॥ ॐ हयग्रीवश्शिरः पातु ललाटं चन्द्रमध्यगः । शास्त्रदृष्टिर्दृशौ पातु शब्दब्रह्मात्मकश्श्रुती ॥ १॥ घ्राणं गन्धात्मकः पातु वदनं यज्ञसम्भवः । जिह्वां वागीश्वरः पातु मुकुन्दो दन्तसंहतीः ॥ २॥ ओष्ठं ब्रह्मात्मकः पातु पातु नारायणोऽधरम् । शिवात्मा चिबुकं पातु कपोलौ कमला प्रभुः ॥ ३॥ विद्यात्मा पीठकं पातु कण्ठं नादात्मको मम । भुजौ चतुर्भुजः पातु करौ दैत्येन्द्रमर्दनः ॥ ४॥ ज्ञानात्मा हृदयं पातु विश्वात्मा तु कुचद्वयम् । मध्यमं पातु सर्वात्मा पातु पीताम्बरः कटिम् ॥ ५॥ कुक्षिं कुक्षिस्थविश्वो मे बलिभङ्गो वलित्रयम् । नाभिं मे पद्मनाभोऽव्याद्गुह्यं गुह्यार्थबोधकृत् ॥ ६॥ ऊरू दामोदरः पातु जानुनी मधुसूदनः । पातु जङ्घे महाविष्णुर्गुल्भौ पातु जनार्दनः ॥ ७॥ पादौ त्रिविक्रमः पातु पातु पादाङ्गुलीर्हरिः । सर्वाङ्गं सर्वगः पातु पातु रोमाणि केशवः ॥ ८॥ धातुन्नाडीगतः पातु भार्यां लक्ष्मीपतिर्मम । पुत्रान्विश्वकुटुम्बी मे पातु बन्धून्सुरेश्वरः ॥ ९॥ मित्रं मित्रात्मकः पातु वह्न्यात्मा शत्रुसंहतीः । प्राणान्वाय्वात्मकः पातु क्षेत्रं विश्वम्भरात्मकः ॥ १०॥ वरुणात्मा रसान्पातु व्योमात्मा हृद्गुहान्तरम् । दिवारात्रं हृषीकेशः पातु सर्वं जगद्गुरुः ॥ ११॥ विषमे सङ्कटे चैव पातु क्षेमङ्करो मम । सच्चिदानन्दरूपो मे ज्ञानं रक्षतु सर्वदा ॥ १२॥ प्राच्यां रक्षतु सर्वात्मा आग्नेय्यां ज्ञानदीपकः । याम्यां बोधप्रदः पातु नैरृत्यां चिद्धनप्रभः ॥ १३॥ विद्यानिधिस्तु वारुण्यां वायव्यां चिन्मयोऽवतु । कौबेर्यां वित्तदः पातु ऐशान्यां च जगद्गुरुः ॥ १४॥ उर्ध्वं पातु जगत्स्वामी पात्वधस्तात्परात्परः । रक्षाहीनन्तु यत्स्थानं रक्षत्वखिलनायकः ॥ १४॥ एवं न्यस्तशरीरोऽसौ साक्षाद्वागीश्वरो भवेत् । आयुरारोग्यमैश्वर्यं सर्वशास्त्रप्रवक्तृताम् ॥ १६॥ लभते नात्र सन्देहो हयग्रीवप्रसादतः । इतीदं कीर्तितं दिव्यं कवचं देवपूजितम् ॥ १७॥ इति हयग्रीवतन्त्रे अथर्वणवेदे मन्त्रखण्डे पूर्वसंहितायां श्रीहयग्रीवकवचं सम्पूर्णम् ॥

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🍃🚩रक्षा बंधन 2022🚩🍃

*🍃🔅रक्षा बंधन 2022🔅🍃*
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*🙏🙏*રક્ષા બંધન વિશે શાસ્ત્રીય સ્પષ્ટતા**તારીખ 11/08/2022.*
 *ગુરુવારે સવારે 10:39 મિનિટે શ્રાવણ સુદ ચૌદશ પૂરી થાય છે*
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 *અને સવારે 10:40 થી પૂર્ણિમા તિથિ બેસે છે.*
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 *માટે રક્ષા બંધન તારીખ 11/08/2022 અને ગુરુવારે સવારે 10:40 થી જ છે.*
🌾🌾🌺🌾🌾🌺🌾🌾
*તેથી શાસ્ત્રીય મતાનુસાર યજુર્વેદ, અથર્વવેદ અને ઋગ્વેદનાં ભૂદેવોને  (તૈતરિય શાખા) તારીખ 11નાં ગુરુવારે સવારે 10:40 પછી ઉપવિત (જનોઈ, યજ્ઞોપવિત)બદલવાની છે.*
🌾🌾🌺🌾🌾🌺🌾🌾
 *ભૂદેવો ઉપરાંત જે જે ક્ષત્રિય સમાજના ભાઈઓ જનોઈ પહેરે છે તે તમામ ભાઈઓ માટે પણ આ નિયમ લાગુ પડશે.*
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*રક્ષાબંધન પર્વ નિમિત્તે ભાઈના હાથે રક્ષા બાંધવા માટે તારીખ 11/08/2022 ગુરુવારે સવારે 10:40 થી જ આખા દિવસ દરમિયાન રક્ષા બાંધી શકાય છે.*
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*અમુક લોકોના વાહિયાત મેસેજ અને વિડિયો દ્વારા ભદ્રા (વિષ્ટિ કરણ દોષ) વિશે  ડરાવવામાં આવી રહ્યા છે પરંતુ મકર રાશિમાં ચંદ્ર હોવાથી ભદ્રા પાતાળ લોકમાં વાસ કરતી હોવાથી પૃથ્વીલોક ઉપર એમનાં કોઈ પણ પ્રકારના દોષો લાગતા નથી માટે ગુરુવારે જ રક્ષા બંધન ની ઉજવણી કરવાની છે.*
🌾🌾🌺🌾🌾🌺🌾🌾
*રક્ષા બાંધવા માટે ઉત્તમ  મુહુર્ત સવારે 11વાગ્યા થી બપોરે 3:30 વાગ્યા સુધી ઉત્તમ છે ઉપરાંત સાંજે 5:15 થી રાત્રે 9:30 સુધી સારું છે.*
🌾🌾🌺🌾🌾🌺🌾🌾
*તારીખ 12/08/2022  શુક્રવારે પૂનમ અને એકમ ભેગા હોવાથી શાસ્ત્રનાં મતાનુસાર રાખડી બાંધી શકાય નહીં તે બાબત ખાસ ધ્યાનમાં રાખવી.*
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रक्षा बंधन 2022

२०२२ रक्षा बन्धन

शुभ समय एवम मुहूर्त

रक्षा बन्धन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।

अपराह्न का समय रक्षा बन्धन के लिये अधिक उपयुक्त माना जाता है जो कि हिन्दु समय गणना के अनुसार दोपहर के बाद का समय है।

 यदि अपराह्न का समय भद्रा आदि की वजह से उपयुक्त नहीं है तो प्रदोष काल का समय भी रक्षा बन्धन के संस्कार के लिये उपयुक्त माना जाता है।

भद्रा का समय रक्षा बन्धन के लिये निषिद्ध माना जाता है। हिन्दु मान्यताओं के अनुसार सभी शुभ कार्यों के लिए भद्रा का त्याग किया जाना चाहिये। 

सभी हिन्दु ग्रन्थ और पुराण, विशेषतः व्रतराज, भद्रा समाप्त होने के पश्चात रक्षा बन्धन विधि करने की सलाह देते हैं।

भद्रा पूर्णिमा तिथि के पूर्व-अर्ध भाग में व्याप्त रहती है। अतः भद्रा समाप्त होने के बाद ही रक्षा बन्धन किया जाना चाहिये। 

उत्तर भारत में ज्यादातर परिवारों में सुबह के समय रक्षा बन्धन किया जाता है जो कि भद्रा व्याप्त होने के कारण अशुभ समय भी हो सकता है। 

इसीलिये जब प्रातःकाल भद्रा व्याप्त हो तब भद्रा समाप्त होने तक रक्षा बन्धन नहीं किया जाना चाहिये।

कुम्भ कर्क द्वये मर्त्ये स्वर्गेऽब्जेऽजात्त्रयेऽलिंगे।
स्त्री धनुर्जूकनक्रेऽधो भद्रा तत्रैव तत्फलं।।

जब चंद्रमा मेष, वृषभ, मिथुन और वृश्चिक राशि में होता है तो भद्रा स्वर्ग लोक में मानी जाती है और उर्ध्वमुखी होती है। 

जब चंद्रमा कन्या, तुला, धनु और मकर राशि में होता है तो भद्रा का वास पाताल में माना जाता है और ऐसे में भद्रा अधोमुखी होती है। 

वहीं जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ और मीन राशि में स्थित होता है तो भद्रा का निवास भूलोक अर्थात पृथ्वी लोक पर माना जाता है और ऐसे में भद्रा सम्मुख होती है। 

उर्ध्वमुखी होने के कारण भद्रा का मुंह ऊपर की ओर होगा तथा अधोमुखी होने के कारण नीचे की तरफ।

 लेकिन दोनों ही परिस्थितियों में भद्रा शुभ प्रभाव लेगी। इसके साथ ही सम्मुख होने पर भद्रा पूर्ण रूप से प्रभाव दिखाएगी।

ईयं भद्रा शुभ-कार्येषु अशुभा भवति।

अर्थात किसी भी शुभ कार्य में भद्रा अशुभ मानी जाती है। हमारे ऋषि मुनियों ने भी भद्रा काल को अशुभ तथा दुखदायी बताया है:—

न कुर्यात मंगलं विष्ट्या जीवितार्थी कदाचन।
कुर्वन अज्ञस्तदा क्षिप्रं तत्सर्वं नाशतां व्रजेत।।
 ---महर्षि कश्यप

महर्षि कश्यप के अनुसार जो कोई भी प्राणी अपना जीवन सुखी बनाना चाहता है और आनंद पूर्वक जीवन बिताना चाहता है उसे भद्रा काल के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। यदि भूलवश कोई ऐसा कार्य हो जाए तो उसका शुभ फल नष्ट हो जाता है।

भद्रा काल के दौरान मुख्य रूप से मुंडन संस्कार, विवाह संस्कार, गृहारंभ, कोई नया व्यवसाय आरंभ करना, गृह प्रवेश, शुभ यात्रा, शुभ उदेश्य से किए जाने वाले सभी कार्य तथा रक्षाबंधन आदि मांगलिक कार्यों को नहीं करना चाहिए।

भद्रा का वास- 

उपरोक्त दी गई तिथियों में भद्रा आरंभ होने से पहले 2 घंटे तक मुख में, 

48 मिनट कंठ में, 

4 घंटे 24 मिनट हृदय में, 

एक घंटा 36 मिनट नाभि में,

 2 घंटे कमर में और 

1 घंटे 12 मिनट पुच्छ भाग में रहता है।


भद्रा का वास और उसका फल

मुख में भद्रा का वास रहे तो कार्य नाश, 

कंठ में रहे तो धन का नाश, 

हृदय में प्राण का नाश करती हैं,

 नाभि में कलह कराती हैं और 

कमर में मान हानि कराती हैं। 

पुच्छ भाग में भद्रा का वास हो तो विजय और कार्य सिद्धि दिलाती हैं। 

इस प्रकार 12 घंटे में केवल 1 घंटा 12 मिनट का अंतिम समय ही भद्रा वास में कार्य करना शुभ रहता है।


भद्रा के प्रकार और सामान्य ज्ञान

मुहूर्तग्रंथों में कृष्ण पक्ष की भद्रा को सर्पिणी और शुक्ल पक्ष की भद्रा को वृश्चिकी कहा गया है। 

अतः सर्पिणी भद्रा के मुख एवं वृश्चिकी भद्रा के पुच्छ भाग को मंगल कार्यों के लिए निषेध माना गया है। 

अतः इसका चिंतन करके यदि हम अपने मांगलिक कार्यों, उद्योग-व्यापार यात्रा आदि करें तो सफलता की संभावना सर्वाधिक रहेगी।


रक्षा बन्धन

11,अगस्त,2022 बृहस्पतिवार

रक्षा बन्धन के लिये प्रदोष काल का मुहूर्त - २०:५१ से २१:३८
(राखी बांधने का समय मुहूर्त)

अवधि - ०० घण्टे ४७ मिनट्स

रक्षा बन्धन भद्रा अन्त समय - २०:५१

रक्षा बन्धन भद्रा पूँछ - १७:१७ से १८:१८

रक्षा बन्धन भद्रा मुख - १८:१८ से २०:००

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - अगस्त ११, २०२२ को १०:३८ बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - अगस्त १२, २०२२ को ०७:०५ बजे

विशेष स्थानिक समय तालिका देवभूमि द्वारका (गुजरात)
से है। स्थानीय समय में सामान्य परिवर्तन हो सकता है।

विशेष मुहूर्त रक्षा बंधन के लिए

शुभ समय

१२:३१ से १३:२२

अमृत काल
१८:५५ से २०:२०

रवि योग
०६:२७ से ०६:५३

विजय मुहूर्त
१५:०६ से १५:५८

गोधूलि मुहूर्त
१९:१३ से १९:३७

सायाह्न सन्ध्या
१९:२६ से २०:३२

निशिता मुहूर्त
००:३५, अगस्त १२ से ०१:१९, अगस्त १२

ब्रह्म मुहूर्त
०४:५९ से ०५:४३

प्रातः सन्ध्या
०५:२१ से ०६:२७

चौघड़िया अनुसार मुहूर्त
📆Date: 11/08/2022 

✴दिन के चौघड़िया
🔸शुभ 06:26 am 08:04 am
🔸रोग 08:04 am 09:41 am
🔸उद्वेग 09:41 am 11:19 am
🔸चर 11:19 am 12:56 pm
🔸लाभ 12:56 pm 02:33 pm
🔸अमृत 02:33 pm 04:11 pm
🔸काल 04:11 pm 05:48 pm
🔸शुभ 05:48 pm 07:25 pm

✴रात के चौघड़िया
🔸अमृत 07:25 pm 08:48 pm
🔸चर 08:48 pm 10:11 pm
🔸रोग 10:11 pm 11:33 pm
🔸काल 11:33 pm 12:56 am
🔸लाभ 12:56 am 02:19 am
🔸उद्वेग 02:19 am 03:41 am
🔸शुभ 03:41 am 05:04 am
🔸अमृत 05:04 am 06:27 am

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Tuesday, 12 July 2022

।।,🚩श्रीगुरुकवचम्🚩।।


श्रीगुरुकवचम् 


॥ अथ पुरश्चरणरसोल्लासे ईश्वरदेवीसंवादे श्रीगुरुकवचम् ॥

पूर्वपीठिका

॥ श्रीईश्वर उवाच ॥

श‍ृणु देवि! प्रवक्ष्यामि गुह्याद्गुह्यतरं महत् ।
लोकोपकारकं प्रश्नं न केनापि कृतं पुरा ॥ १॥

अद्य प्रभृति कस्यापि न ख्यातं कवचं मया ।
देशिकाः बहवः सन्ति मन्त्रसाधनतत्पराः ॥ २॥

न तेषां जायते सिद्धिः मन्त्रैर्वा चक्रपूजनैः ।
गुरोर्विधानं कवचमज्ञात्वा क्रियते जपः ।
वृथाश्रमो भवेत् तस्य न सिद्धिर्मन्त्रपूजनैः ॥ ३॥

गुरुपादं पुरस्कृत्य प्राप्यते कवचं शुभम् ।
तदा मन्त्रस्य यन्त्रस्य सिद्धिर्भवति तत्क्षणात् ।
सुगोप्यं तु प्रजप्तव्यं न वक्तव्यं वरानने ॥ ४॥

॥ सविधि श्रीगुरुकवचस्तोत्रम् ॥

विनियोगः --
ॐ नमोऽस्य श्रीगुरुकवचनाममन्त्रस्य परमब्रह्म ऋषिः
सर्ववेदानुज्ञो देवदेवो श्री आदिशिवः देवता नमो हसौं
हंसः ह-स-क्ष-म-ल-व-र-यूं सोऽहं हंसः बीजं
स-ह-क्ष-म-ल-व-र-यीं शक्तिःहंसः सोऽहं कीलकं
समस्तश्रीगुरुमण्डलप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।

ऋष्यादिन्यासः --
श्रीपरमब्रह्मर्षये नमः शिरसि । सर्ववेदानुज्ञदेवदेव
श्री आदिशिवदेवतायै नमः हृदि । नमः हसौं हंसः
ह-स-क्ष-म-ल-व-र-यूं सोऽहं हंसः बीजाय नमः गुह्ये ।
स-ह-क्ष-म-ल-व-र-यीं शक्तये नमः नाभौ । हंसः सोऽहं
कीलकाय नमः पादयोः । समस्तश्रीगुरुमण्डलप्रीत्यर्थे जपे विनियोगाय
नमः अञ्जलौ ।

अथ षडङ्गन्यासः ।
ॐ हसाम् । ॐ हसीम् । ॐ हसूम् । ॐ हसैम् । ॐ हसौम् । ॐ हसः ।

अथ करन्यासः ।
ॐ हसां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ हसीं तर्जनीभ्यां नमः ।
ॐ हसूं मध्यमाभ्यां नमः ।
ॐ हसैं अनामिकाभ्यां नमः ।
ॐ हसौं कनिष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ हसः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।

अथ अङ्गन्यासः ।
ॐ हसां हृदयाय नमः ।
ॐ हसीं शिरसे स्वाहा ।
ॐ हसूं शिखायै वषट् ।
ॐ हसैं कवचाय हुं ।
ॐ हसौं नेत्रत्रयाय वौषट् ।
ॐ हसः अस्त्राय फट् ।

ध्यानम् --
श्रीसिद्धमानवमुखा गुरवः स्वरूपं
संसारदाहशमनं द्विभुजं त्रिनेत्रम् ।
वामाङ्गशक्तिसकलाभरणैर्विभूषं
ध्यायेज्जपेत् सकलसिद्धिफलप्रदं च ॥

मानसपूजन --
लं पृथिव्यात्मकं गन्धतन्मात्रप्रकृत्यात्मकं गन्धं
सशक्तिकाय श्रीगुरवे समर्पयामि नमः ।
हं आकाशात्मकं शब्दतन्मात्रप्रकृत्यात्मकं पुष्पं
सशक्तिकाय श्रीगुरवे समर्पयामि नमः ।
यं वाय्वात्मकं स्पर्शतन्मात्रप्रकृत्यात्मकं धूपं
सशक्तिकाय श्रीगुरवे घ्रापयामि नमः ।
रं वह्न्यात्मकं रूपतन्मत्रप्रकृत्यात्मकं दीपं
सशक्तिकाय श्रीगुरवे समर्पयामि नमः ।
वं अमृतात्मकं रसतन्मात्रप्रकृत्यात्मकं नैवेद्यं
सशक्तिकाय श्रीगुरवे समर्पयामि नमः ।
सं सर्वात्मिकां ताम्बूलादिसर्वोपचारपूजां
सशक्तिकाय श्रीगुरवे समर्पयामि नमः ।

॥ कवचस्तोत्रम् ॥

ॐ नमः प्रकाशानन्दनाथः तु शिखायां पातु मे सदा ।
परशिवानन्दनाथः शिरो मे रक्षयेत् सदा ॥ १॥

परशक्तिदिव्यानन्दनाथो भाले च रक्षतु ।
कामेश्वरानन्दनाथो मुखं रक्षतु सर्वधृक् ॥ २॥

दिव्यौघो मस्तकं देवि! पातु सर्वशिरः सदा ।
कण्ठादिनाभिपर्यन्तं सिद्धौघा गुरवः प्रिये ॥ ३॥

भोगानन्दनाथ गुरुः पातु दक्षिणबाहुकम् ।
समयानन्दनाथश्च सन्ततं हृदयेऽवतु ॥ ४॥

सहजानन्दनाथश्च कटिं नाभिं च रक्षतु ।
एष स्थानेषु सिद्धौघाः रक्षन्तु गुरवः सदा ॥ ५॥

अधरे मानवौघाश्च गुरवः कुलनायिके!
गगनानन्दनाथश्च गुल्फयोः पातु सर्वदा ॥ ६॥

नीलौघानन्दनाथश्च रक्षयेत् पादपृष्ठतः ।
स्वात्मानन्दनाथगुरुः पादाङ्गुलीश्च रक्षतु ॥ ७॥

कन्दोलानन्दनाथश्च रक्षेत् पादतले सदा ।
इत्येवं मानवौघाश्च न्यसेन्नाभ्यादिपादयोः ॥ ८॥

गुरुर्मे रक्षयेदुर्व्यां सलिले परमो गुरुः ।
परापरगुरुर्वह्नौ रक्षयेत् शिववल्लभे ॥ ९॥

परमेष्ठीगुरुश्चैव रक्षयेत् वायुमण्डले ।
शिवादिगुरवः साक्षात् आकाशे रक्षयेत् सदा ॥ १०॥

इन्द्रो गुरुः पातु पूर्वे आग्नेयां गुरुरग्नयः ।
दक्षे यमो गुरुः पातु नैरृत्यां निऋतिर्गुरुः ॥ ११॥

वरुणो गुरुः पश्चिमे वायव्यां मारुतो गुरुः ।
उत्तरे धनदः पातु ऐशान्यामीश्वरो गुरुः ॥ १२॥

ऊर्ध्वं पातु गुरुर्ब्रह्मा अनन्तो गुरुरप्यधः ।
एवं दशदिशः पान्तु इन्द्रादिगुरवः क्रमात् ॥ १३॥

शिरसः पादपर्यन्तं पान्तु दिव्यौघसिद्धयः ।
मानवौघाश्च गुरवो व्यापकं पान्तु सर्वदा ॥ १४॥

सर्वत्र गुरुरूपेण संरक्षेत् साधकोत्तमम् ।
आत्मानं गुरुरूपं च ध्यायेन् मन्त्रं सदा बुधः ॥ १५॥

॥ फलश्रुतिः ॥

इत्येवं गुरुकवचं ब्रह्मलोकेऽपि दुर्लभम् ।
तव प्रीत्या मया ख्यातं न कस्य कथितं प्रिये ॥ १॥

पूजाकाले पठेद् यस्तु जपकाले विशेषतः ।
त्रैलोक्यदुर्लभं देवि । भुक्तिमुक्तिफलप्रदम् ॥ २॥

सर्वमन्त्रफलं तस्य सर्वयन्त्रफलं तथा ।
सर्वतीर्थफलं देवि । यः पठेत् कवचं गुरोः ॥ ३॥

अष्टगन्धेन भूर्जे च लिख्यते चक्रसंयुतम् ।
कवचं गुरुपङ्क्तेस्तु भक्त्या च शुबवासरे ॥ ४॥

पूजयेत् धूपदीपाद्यैः सुधाभिः सितसंयुतैः ।
तर्पयेत् गुरुमन्त्रेण साधकः शुद्धचेतसा ॥ ५॥

धारयेत् कवचं देवि! इह भूतभयापहम् ।
पठेन्मन्त्री त्रिकालं हि स मुक्तो भवबन्धनात् ।
एवं कवचं परमं दिव्यसिद्धौघकलावान् ॥ ६॥

॥ इति पुरश्चरणरसोल्लासे द्वितीयप्रश्ने दशमपटले
ईश्वरदेवीसंवादे श्रीगुरुकवचं सम्पूर्णम् ॥

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Thursday, 5 May 2022

🚩श्रीशङ्कराचार्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्🚩

श्रीशङ्कराचार्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

श्रीशङ्कराचार्यवर्यो ब्रह्मानन्दप्रदायकः । अज्ञानतिमिरादित्यस्सुज्ञानाम्बुधिचन्द्रमाः ॥ १॥ वर्णाश्रमप्रतिष्ठाता श्रीमान्मुक्तिप्रदायकः । शिष्योपदेशनिरतो भक्ताभीष्टप्रदायकः ॥ २॥ सूक्ष्मतत्त्वरहस्यज्ञः कार्याकार्यप्रबोधकः । ज्ञानमुद्राञ्चितकरश्-शिष्यहृत्तापहारकः ॥ ३॥ परिव्राजाश्रमोद्धर्ता सर्वतन्त्रस्वतन्त्रधीः । अद्वैतस्थापनाचार्यस्साक्षाच्छङ्कररूपभृत् ॥ ४॥ षन्मतस्थापनाचार्यस्त्रयीमार्ग प्रकाशकः । वेदवेदान्ततत्त्वज्ञो दुर्वादिमतखण्डनः ॥ ५॥ वैराग्यनिरतश्शान्तस्संसारार्णवतारकः । प्रसन्नवदनाम्भोजः परमार्थप्रकाशकः ॥ ६॥ पुराणस्मृतिसारज्ञो नित्यतृप्तो महाञ्छुचिः । नित्यानन्दो निरातङ्को निस्सङ्गो निर्मलात्मकः ॥ ७॥ निर्ममो निरहङ्कारो विश्ववन्द्यपदाम्बुजः । सत्त्वप्रधानस्सद्भावस्सङ्ख्यातीतगुणोज्ज्वलः ॥ ८॥ अनघस्सारहृदयस्सुधीसारस्वतप्रदः । सत्यात्मा पुण्यशीलश्च साङ्ख्ययोगविलक्षणः ॥ ९॥
विचक्षणः

तपोराशिर् महातेजो  गुणत्रयविभागवित् ।
कलिघ्नः कालकर्मज्ञस्तमोगुणनिवारकः ॥ १०॥  
 कालधर्म

भगवान्भारतीजेता शारदाह्वानपण्दितः ।
धर्माधर्मविभावज्ञो लक्ष्यभेदप्रदर्शकः ॥ ११॥

नादबिन्दुकलाभिज्ञो योगिहृत्पद्मभास्करः ।
अतीन्द्रियज्ञाननिधिर्नित्यानित्यविवेकवान् ॥ १२॥

चिदानन्दश्चिन्मयात्मा परकायप्रवेशकृत् ।
अमानुषचरित्राढ्यः क्षेमदायी क्षमाकरः ॥ १३॥

भव्यो भद्रप्रदो भूरिमहिमा विश्वरञ्जकः ।
भवोस्वप्रकाशस्सदाधारोविश्वबन्धुश्शुभोदयः ॥ १४॥
विशालकीर्तिर्वागीशस्सर्वलोकहितोत्सुकः  ।
कैलासयात्रसम्प्राप्तचन्द्रमौलिप्रपूजकः ॥ १५॥

काञ्च्यां श्रीचक्रराजाख्ययन्त्रस्थापनदीक्षितः ।
श्रीचक्रात्मक ताटङ्क तोषिताम्बा मनोरथः ॥ १६॥

ब्रह्मसूत्रोपनिषद्भाष्यादिग्रन्थकल्पकः ।
चतुर्दिक्चतुराम्नायप्रतिष्ठाता महामतिः ॥ १७॥

द्विसप्ततिमतोच्छेत्ता सर्वदिग्विजयप्रभुः ।
काषायवसनोपेतो भस्मोद्धूळितविग्रहः ॥ १८॥

ज्ञानात्मकैकदण्डाढ्यः कमण्डलुलसत्करः ।
व्याससन्दर्शनप्रीतो भगवत्पादसंज्ञकः ॥ १९॥

सौन्दर्यलहरीमुख्यबहुस्तोत्रविधायकः ।
चतुष्षष्टिकलाभिज्ञो ब्रह्मराक्षसपोषकः ॥ २०॥

श्रीमन्मण्डनमिश्राख्यस्वयम्भूजयसन्नुतः ।
तोटकाचार्यसम्पूज्य पद्मपादर्चिताङ्घ्रिकः ॥ २१॥

हस्तामलयोगीन्द्र ब्रह्मज्ञानप्रदायकः ।
सुरेश्वराख्यसच्छिष्य संन्यासाश्रमदायकः ॥ २२॥

निर्व्याजकरुणामूर्तिः जगत्पूज्यो जगद्गुरुः ।
भेरीपटहवाद्यादि-राजलक्षणलक्षितः ॥ २३॥

सकृत्स्मरणसन्तुष्टः सर्वज्ञो ज्ञानदायकः ।
इति श्रीमच्छङ्करार्यसर्वलोकगुरोः परम् ॥ २४॥

ज्ञानात्मकैकदण्डाढ्यः कमण्डलुलसत्करः ।
गुरुभूमण्डलाचार्यो भगवत्पादसंज्ञकः ॥ १९॥

व्याससन्दर्शनप्रीतः ऋष्यश‍ृङ्गपुरेश्वरः ।
सौन्दर्यलहरीमुख्यबहुस्तोत्रविधायकः ॥ २०॥

चतुष्षष्टिकलाभिज्ञो ब्रह्मराक्षसपोषकः ।
श्रीमन्मण्डनमिश्राख्यस्वयम्भूजयसन्नुतः ॥ २१॥

तोटकाचार्यसम्पूज्य पद्मपादर्चिताङ्घ्रिकः ।
हस्तामलयोगिन्द्र ब्रह्मज्ञानप्रदायकः ॥ २२॥

सुरेश्वराख्यसच्छिष्य संन्यासाश्रमदायकः ।
नृसिंहभक्तस्सद्रत्नगर्भहेरम्बपूजकः ॥ २३॥

व्याख्यसिंहासनाधीशो जगत्पूज्यो जगद्गुरुः ।
इति श्रीमच्छङ्कराचार्यसर्वलोकगुरोः परम् ॥ २४॥

नाम्नामष्टोत्तरशतं भुक्तिमुक्तिफलप्रदम् ।
त्रिसन्ध्यं यः पठेद्भक्त्या सर्वान्कामानवाप्नुयात् ॥ २५॥

इति श्रीमच्छङ्कराचार्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ॥

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Sunday, 17 April 2022

🚩।। चन्द्रशेखराष्टकं ।।🚩



चन्द्रशेखराष्टकं

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहि माम् । चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्ष माम् ॥ १॥ रत्नसानुशरासनं रजताद्रिश‍ृङ्गनिकेतनं सिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युताननसायकम् । क्षिप्रदग्धपुरत्रयं त्रिदिवालयैरभिवन्दितं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ २॥ पञ्चपादपपुष्पगन्धपदाम्बुजद्वयशोभितं भाललोचनजातपावकदग्धमन्मथविग्रहम् । भस्मदिग्धकलेवरं भवनाशनं भवमव्ययं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ३॥ मत्तवारणमुख्यचर्मकृतोत्तरीयमनोहरं पङ्कजासनपद्मलोचनपूजिताङ्घ्रिसरोरुहम् । देवसिन्धुतरङ्गसीकरसिक्तशुभ्रजटाधरं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ४॥ यक्षराजसखं भगाक्षहरं भुजङ्गविभूषणं शैलराजसुतापरिष्कृतचारुवामकलेवरम् । क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ५॥ कुण्डलीकृतकुण्डलेश्वरकुण्डलं वृषवाहनं नारदादिमुनीश्वरस्तुतवैभवं भुवनेश्वरम् । अन्धकान्धकामाश्रितामरपादपं शमनान्तकं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ६॥ भेषजं भवरोगिणामखिलापदामपहारिणं दक्षयज्ञविनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम् । भुक्तिमुक्तिफलप्रदं सकलाघसङ्घनिबर्हणं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ७॥ भक्तवत्सलमर्चितं निधिमक्षयं हरिदम्बरं सर्वभूतपतिं परात्परमप्रमेयमनुत्तमम् । सोमवारिदभूहुताशनसोमपानिलखाकृतिं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ८॥ विश्वसृष्टिविधायिनं पुनरेव पालनतत्परं संहरन्तमपि प्रपञ्चमशेषलोकनिवासिनम् । क्रीडयन्तमहर्निशं गणनाथयूथसमन्वितं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ ९॥ मृत्युभीतमृकण्डसूनुकृतस्तवं शिवसन्निधौ यत्र कुत्र च यः पठेन्न हि तस्य मृत्युभयं भवेत् । पूर्णमायुररोगितामखिलार्थसम्पदमादरं चन्द्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्तिमयत्नतः ॥ १०॥ ॥ इति श्रीचन्द्रशेखराष्टकं सम्पूर्णम् ॥

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Tuesday, 12 April 2022

।।🚩ब्रह्मकृतं वामनस्तोत्रम्🚩।।

ब्रह्मकृतं वामनस्तोत्रम्

।।वामन स्तोत्र।।
तं जातमात्रं भगवान्ब्रह्मा लोकपितामहः । जातकर्मादिकाः कृत्वा क्रियास्तुष्टाव पार्थिव ॥ ६७॥ ब्रह्मोवाच - जयाद्येश जयाजेय जय सर्वात्मकात्मक । जय जन्मजरापेत जयानन्त जयाच्युत ॥ ६८॥ जयाजित जयाशेष जयाव्यक्तस्थिते जय । परमार्थार्थ सर्वज्ञ ज्ञानज्ञेयात्मनिःसृत ॥ ६९॥ जयाशेषजगत्साक्षिञ्जय कर्तर्जगद्गुरो । जगतो जगदन्तेऽन्तःस्थितौ पालयिता जय ॥ ७०॥ जयाखिल जयाशेष जयाखिलहृदि स्थित । जयादिमध्यान्तमय सर्वज्ञानमयोत्तम ॥ ७१॥ मुमुक्षुभिरनिर्देश्य स्वयन्दृष्ट जयेश्वर । योगिभिर्मुक्तिफलद दमादिगुणभूषणैः ॥ ७२॥ जयातिसूक्ष्म दुर्ज्ञेय जगत्स्थूल जगन्मय । जय स्थूलातिसूक्ष्म त्वं जयातीन्द्रिय सेन्द्रिय ॥ ७३॥ जय स्वमाया योगस्थ शेषभोगशयाक्षर । जयैकदंष्ट्राप्रान्तान्त समुद्धृतवसुन्धर ॥ ७४॥ नृकेसरिञ्जयारातिवक्षःस्थलविदारण । साम्प्रतं जय विश्वात्मन्मायावामन केशव ॥ ७५॥ निजमायापटच्छन्न जगद्धातर्जनार्दन । जयाचिन्त्य जयानेकस्वरूपैकविध प्रभो ॥ ७६॥ वर्धस्व वर्धितानेकविकारप्रकृते हरे । त्वय्येषा जगतामीश संस्थिता धर्मपद्धतिः ॥ ७७॥ न त्वामहं न चेशानो नेन्द्राद्यास्त्रिदशा हरे । ज्ञातुमीशा न मुनयः सनकाद्या न योगिनः ॥ ७८॥ त्वन्मायापटसंवीते जगत्यत्र जगत्पते । कस्त्वां वेत्स्यति सर्वेशं त्वत्प्रसादं विना नरः ॥ ७९॥ त्वमेवाराधितो यस्य प्रसादसुमुखः प्रभो । स एव केवलं देव वेत्ति त्वां नेतरो जनः ॥ ८०॥ तदीश्वरेश्वरेशान विभो वर्धस्व भावन । प्रभावायास्य विश्वस्य विश्वात्मन्पृथुलोचन ॥ ८१॥ इति विष्णुधर्मेषु षट्सप्ततितमोऽध्यायान्तर्गतं ब्रह्मकृतं वामनस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।

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Saturday, 9 April 2022

।। 🪔श्रीरामरक्षास्तोत्र🪔 ।।

श्रीरामरक्षास्तोत्र


  ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥

अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य । बुधकौशिक ऋषिः ।
श्रीसीतारामचन्द्रो देवता । अनुष्टुप् छन्दः ।
सीता शक्तिः । श्रीमद् हनुमान कीलकम् ।
श्रीरामचन्द्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः ॥

    अथ ध्यानम् ।
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं
     पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ।
वामाङ्कारूढ सीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं
     नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचन्द्रम् ॥

    इति ध्यानम् ॥

चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥ १॥

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥ २॥

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तञ्चरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्रातुं आविर्भूतं अजं विभुम् ॥ ३॥

रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरोमे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥ ४॥

कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियश्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥ ५॥

जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः ।
स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥ ६॥

करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित् ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥ ७॥

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।
ऊरू रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृत् ॥ ८॥

जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्घे दशमुखान्तकः ।
पादौ बिभीषणश्रीदः पातु रामोऽखिलं वपुः ॥ ९॥

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत् ।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥ १०॥

पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः ।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥ ११॥

रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन् ।
नरो न लिप्यते पापैः भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥ १२॥

जगजैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥ १३॥

वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् ।
अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमङ्गलम् ॥ १४॥

आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षांमिमां हरः ।
तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥ १५॥

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान् स नः प्रभुः ॥ १६॥

तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥ १७॥

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥ १८॥

शरण्यौ सर्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्षः कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥ १९॥

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशावक्षयाशुगनिषङ्गसङ्गिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम् ॥ २०॥

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन्मनोरथोऽस्माकं रामः पातु सलक्ष्मणः ॥ २१॥

रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघुत्तमः ॥ २२॥

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।
जानकीवल्लभः श्रीमान् अप्रमेय पराक्रमः ॥ २३॥

इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥ २४॥

रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैः न ते संसारिणो नरः ॥ २५॥

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरम् ।
     काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् ।
राजेन्द्रं सत्यसन्धं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम् ।
     वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ॥ २६॥

रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥ २७॥

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम
     श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम
     श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥ २८॥

श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि
     श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि
     श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥ २९॥

माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः
     स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु-
     र्नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥ ३०॥

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ॥ ३१॥

लोकाभिरामं रणरङ्गधीरं
     राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं
     श्रीरामचन्द्रम् शरणं प्रपद्ये ॥ ३२॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगं
     जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं
     श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥ ३३॥

कूजन्तं राम रामेति मधुरं मधुराक्षरम् ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥ ३४॥

आपदां अपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥ ३५॥

भर्जनं भवबीजानां अर्जनं सुखसम्पदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां राम रामेति गर्जनम् ॥ ३६॥

रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे
     रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोस्म्यहं
     रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥ ३७॥

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥ ३८॥

इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

    ॥ श्रीसीतारामचन्द्रार्पणमस्तु ॥

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Friday, 14 January 2022

🪴।। प्रदोष व्रत 2022।।🪴

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति नियम और निष्ठा से प्रत्येक प्रदोष का व्रत रखता है उसके कष्टों का नाश होता है। 

इस व्रत को करने भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और आपके परिवार में सुख-शांति व समृद्धि आती है। 
आइए जानते हैं साल 2022 में आने वाले प्रदोष व्रत के बारे में-

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दिनांक दिन प्रदोष व्रत 

15 जनवरी शनिवार शनि प्रदोष व्रत  (शुक्ल)

13 फरवरी रविवार प्रदोष व्रत (शुक्ल )

28 फरवरी सोमवार सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण )

15 मार्च मंगलवार भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल)

29 मार्च मंगलवार भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण)

14 अप्रैल गुरुवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)

28 अप्रैल गुरुवार प्रदोष व्रत (कृष्ण)

13 मई शुक्रवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)

27 मई शुक्रवार प्रदोष व्रत (कृष्ण)

12 जून रविवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)

26 जून रविवार प्रदोष व्रत (कृष्ण)

11 जुलाई सोमवार सोम प्रदोष व्रत (शुक्ल)

25 जुलाई सोमवार सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण)

09 अगस्त मंगलवार भौम प्रदोष व्रत (शुक्ल)

24 अगस्त बुधवार प्रदोष व्रत (कृष्ण)

08 सितंबर गुरुवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)

23 सितंबर शुक्रवार प्रदोष व्रत (कृष्ण)

07 अक्तूबर शुक्रवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)

22 अक्तूबर शनिवार शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण)

05 नवंबर शनिवार शनि प्रदोष व्रत (शुक्ल)

21 नवंबर सोमवार सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण)

05 दिसंबर सोमवार सोम प्रदोष व्रत (शुक्ल)

21 दिसंबर बुधवार प्रदोष व्रत (कृष्ण)
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Sunday, 9 January 2022

।। श्रीशाकम्भर्यष्टकम् ।।



श्रीशाकम्भर्यष्टकम्

शक्तिः शाम्भवविश्वरूपमहिमा माङ्गल्यमुक्तामणि- र्घण्टा शूलमसिं लिपिं च दधतीं दक्षैश्चतुर्भिः करैः । वामैर्बाहुभिरर्घ्यशेषभरितं पात्रं च शीर्षं तथा चक्रं खेटकमन्धकारिदयिता त्रैलोक्यमाता शिवा ॥ १॥ देवी दिव्यसरोजपादयुगले मञ्जुक्वणन्नूपुरा सिंहारूढकलेवरा भगवती व्याघ्राम्बरावेष्टिता । वैडूर्यादिमहार्घरत्नविलसन्नक्षत्रमालोज्ज्वला वाग्देवी विषमेक्षणा शशिमुखी त्रैलोक्यमाता शिवा ॥ २॥ ब्रह्माणी च कपालिनी सुयुवती रौद्री त्रिशूलान्विता नाना दैत्यनिबर्हिणी नृशरणा शङ्खासिखेटायुधा । भेरीशङ्खक्ष् मृदङ्गक्ष् घोषमुदिता शूलिप्रिया चेश्वरी माणिक्याढ्यकिरीटकान्तवदना त्रैलोक्यमाता शिवा ॥ ३॥ वन्दे देवि भवार्तिभञ्जनकरी भक्तप्रिया मोहिनी मायामोहमदान्धकारशमनी मत्प्राणसञ्जीवनी । यन्त्रं मन्त्रजपौ तपो भगवती माता पिता भ्रातृका विद्या बुद्धिधृती गतिश्च सकलत्रैलोक्यमाता शिवा ॥ ४॥ श्रीमातस्त्रिपुरे त्वमब्जनिलया स्वर्गादिलोकान्तरे पाताले जलवाहिनी त्रिपथगा लोकत्रये शङ्करी । त्वं चाराधकभाग्यसम्पदविनी श्रीमूर्ध्नि लिङ्गाङ्किता त्वां वन्दे भवभीतिभञ्जनकरीं त्रैलोक्यमातः शिवे ॥ ५॥ श्रीदुर्गे भगिनीं त्रिलोकजननीं कल्पान्तरे डाकिनीं वीणापुस्तकधारिणीं गुणमणिं कस्तूरिकालेपनीम् । नानारत्नविभूषणां त्रिनयनां दिव्याम्बरावेष्टितां वन्दे त्वां भवभीतिभञ्जनकरीं त्रैलोक्यमातः शिवे ॥ ६॥ नैरृत्यां दिशि पत्रतीर्थममलं मूर्तित्रये वासिनीं साम्मुख्या च हरिद्रतीर्थमनघं वाप्यां च तैलोदकम् । गङ्गादित्रयसङ्गमे सकुतुकं पीतोदके पावने त्वां वन्दे भवभीतिभञ्जनकरीं त्रैलोक्यमातः शिवे ॥ ७॥ द्वारे तिष्ठति वक्रतुण्डगणपः क्षेत्रस्य पालस्ततः शक्रेड्या च सरस्वती वहति सा भक्तिप्रिया वाहिनी । मध्ये श्रीतिलकाभिधं तव वनं शाकम्भरी चिन्मयी त्वां वन्दे भवभीतिभञ्जनकरीं त्रैलोक्यमातः शिवे ॥ ८॥ शाकम्भर्यष्टकमिदं यः पठेत्प्रयतः पुमान् । स सर्वपापविनिर्मुक्तः सायुज्यं पदमाप्नुयात् ॥ ९॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं शाकम्भर्यष्टकं सम्पूर्णम् ॥

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